ब्रेस्टफीडिंग के प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि इसे सभी आसानी से कर लें। महिलाओं को इसके बारे में जानने की जरूरत है, विशेष रूप से पहली बार ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं को जिस तरह आपका अपने बच्चे को फीड करवाने का ये पहला अनुभव है ठीक उसी तरह आपके बच्चे का भी ये पहला भोजन है। जहां आपको बच्चे की नर्सिंग और एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगेगा वहीं बच्चे को भी ब्रेस्ट और नर्सिंग के बारे में समझने में थोड़ा समय लगेगा। डिलिवरी के बाद कुछ हफ्तों तक कई बार महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग मुश्किल लगती है। समय, धैर्य, समर्थन, और प्रयास से दोनों मां और बच्चा इस रूटीन से एडजस्ट हो सकते हैं।
शुरुआत कैसे करें?
वर्तमान के सुझाव बताते हैं कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां के साथ स्किन-टू-स्किन रखना चाहिए। यह जन्म के एक घंटे के अंदर ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत को आसान बनाता है जिसे ब्रेस्ट क्रॉल के रूप में जाना जाता है। ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए दर्दरहित प्रक्रिया है अगर बच्चा सही तरह से ब्रेस्ट से दूध पीने लगे।
हालांकि, अधिकांश बच्चे स्वाभाविक रूप से दूध पीना जानते हैं लेकिन कभी-कभी मां और बच्चे को एक अच्छी शुरुआत करने के लिए अपनी हेल्थ केयर टीम और एक ब्रेस्टफीडिंग प्रोफेशनल से मदद की आवश्यकता होती है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाली कुछ आम समस्याएं-
वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय कोई निश्चित समस्याएं नहीं होती हैं जो मां या बच्चे के सामने आती हैं, लेकिन फिर भी कुछ समस्याएं आमतौर पर देखने को मिलती हैं जो ब्रेस्टफीडिंग के शुरुआती दिनों में दिखती हैं।
• शिशु को ब्रेस्ट को जकड़कर दूध खींचना या जुड़े रहना चुनौतीपूर्ण लगता है
• यह स्थिति मां या बच्चे के लिए आरामदायक नहीं हो सकती है
• ब्रेस्ट से दूध खींचने के प्रयास से शिशु को बहुत अधिक नींद आ सकती है
• सही अटैचमेंट और ब्रेस्ट से दूध खींचने के बाद भी बच्चे को पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है
ये नेचुरल है कि इस ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया को समझने में आपको और बच्चे दोनों को थोड़ा समय मिलेगा।
इसे जरूर पढ़ें- प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है NIPT टेस्ट, बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है ये असर
ब्रेस्टफीडिंग की पोजीशन सही होती है जब-
- अधिकांश एरिओला (काला हिस्सा) बच्चे के मुंह के अंदर हो खासतौर पर निचला एरिओला
- बच्चे का मुंह पूरा खुला हो
- निचला होंठ बाहर की ओर घूमा हुआ हो
- ठोड़ी ब्रेस्ट से टच हो
फीडिंग कराते समय अपने बच्चे को कैसे पकड़ें?
ऐसा कोई तय नियम नहीं है जो ये बताए कि फीडिंग के समय बच्चे को कैसे पकड़ा जाए। पर कुछ आसान तरीके जो बच्चे को छोड़ने में मदद करते हैं वो हैं-
• फुटबॉल / क्लच होल्ड - मां की साइड में ब्रेस्ट लेवल पर एक तकिया रखें। इस तकिया पर शिशु को लिटाएं। हिप्स को फ्लेक्सिबल रखते हुए शिशु को मां की ओर मोड़े। मां का हाथ शिशु के सिर के नीचे होना चाहिए। यह मां और बच्चे दोनों के लिए एक आरामदायक स्थिति है, खासतौर पर अगर जन्म सिजेरियन सेक्शन द्वारा हुआ है। यह जुड़वा बच्चों को एक साथ फीड कराने के लिए भी उपयोगी है।
• क्रैडल/ मैडोना होल्ड - शिशु को माताओं के साइड में फोरआर्म्स के पास लिटाना। मां ब्रेस्टफीडिंग के लिए इसका इस्तेमाल भी कर सकती हैं। ऐसा करते हुए शिशु का सिर मां की मुड़ी हुई कोहनी या फोरआर्म्स के बीच में होता है।
• साइड-लाइंग- आप एक तरफ लेटकर बच्चे को बगल में लिटा लें, उसका मुंह निप्पल्स के पास या थोड़ा नीचे होना चाहिए। ब्रेस्ट की ओर उसके सिर को गाइड करने के लिए अपने दूसरे हाथ को सर्कल में घुमाएं।
• क्रॉस क्रैडल होल्ड- दूध पिलाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ब्रेस्ट से उल्टी दिशा में शिशु मां की कलाई में लेटा हुआ रहता है। बच्चे का सिर को गर्दन के निचले भाग पर ठीक कानों के नीचे रखा जाता है।
• लेडबैक/ बायोलॉजिकल नर्चरिंग पोजीशन- मां की पीठ को किसी रिक्लाइनर या बेड का पूरा सपोर्ट मिलता है (ये फ्लैट नहीं होता, लेकिन पीठ की ओर से आराम से झुककर लेटा जा सकता है) शिशु का शरीर पूरी तरह से मां के ऊपर रहता है जहां गाल मां के ब्रेस्ट के पास और बच्चे का चेस्ट मां के चेस्ट के पास होता है।
नवजात को ब्रेस्टफीड करवाना-
जब भी आपका बच्चा भूख से रोता है या फिर दूध पीने के संकेत देता है तो उसे ब्रेस्ट तक पहुंचाएं ताकि वो सकल (चूसने की प्रक्रिया) कर सके। रोना भूख लगने की आखिरी स्टेज होती है तो उतनी देर के लिए न इंतज़ार करें। अगर आपकी मिल्क सप्लाई जरूरत से कम है तो चिंता न करें। लगातार होने वाली सकलिंग से शरीर में ऑक्सिटोसिन और प्रोलैक्टीन हार्मोन्स को बढ़ाती है जिससे मिल्क सप्लाई बढ़ती है। हर फीडिंग सेशन 5 से 45 मिनट तक चलेगा। बच्चा हर ब्रेस्ट से फीड करेगा कम से कम 20 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 40 मिनट तक। दूध के ट्रांसफर होने के संकेतों को देखें जैसे बड़े जबड़े के मूवमेंट्स और घूंठ भरना।
कई बार आपको ये महसूस हो सकता है कि ब्रेस्ट सख्त हो गया है। सख्त हुए ब्रेस्ट से फीड करना बच्चे के लिए मुश्किल हो जाता है। कुछ तरीके जिनसे ये तय कर सकें कि ब्रेस्ट सख्त न हो-
- गर्म पानी से नहाएं
- आगे की ओर झुकें और हाथों से आराम से मसाज करें
- इससे पहले की बच्चा ब्रेस्ट को जकड़े अपने हाथों से या फिर पंप की मदद से थोड़ा सा दूध निकालने की कोशिश करें
- अगर दर्द हो रहा है या सूजन है तो ठंडी पत्तागोभी की पत्तियां या फिर आइसपैक्स की मदद से इसे कम करने की कोशिश करें।
Recommended Video
इसे जरूर पढ़ें- सेकंड ट्राइमेस्टर में मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट प्रेग्नेंसी में क्यों कराना चाहिए? जानें
ब्रेस्टफीड कैसे करते हैं ये सीखना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसकी आदत दोनों ही माता और शिशु को पड़ने में कुछ समय लगता है।
डॉक्टर मनीशा गोग्री (एमबीबीएस, आईबीसीएलसी, डिप.सीबीई) को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए विशेष धन्यवाद।
अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।