पीसीओएस की समस्या आज के समय में महिलाओं में बहुत कॉमन हो गई है। इसका मुख्य कारण अनियमित जीवनशैली, खानपान की गलत आदतें और तनाव है। भले ही ये समस्या आजकल काफी कॉमन हो गई है लेकिन ये महिलाओं के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। पीसीओएस की वजह से महिलाओं के पीरियड्स पर असर पड़ता है और फर्टिलिटी भी प्रभावित होती है। महिलाओं को पीसीओएस के लक्षणों और इसे ठीक करने के लिए क्या कुछ करना चाहिए, इस बारे में सही जानकारी नहीं है। इसकी वजह से कई बार ये परेशानी जिंदगी भर बनी रह सकती है। पीसीओएस हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से होता है। महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन के संतुलन बिगड़ने से ओवरी में सिस्ट बनने लगती है जिसकी वजह से पीसीओएस की समस्या होने लगती है।
पीसीओएस के बारे में बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिनसे महिलाएं अनजान होती है। सही जानकारी के अभाव में ये समस्या बढ़ने लगती है। डाइटीशियन राधिका गोयल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पीसीओएस के बारे में कुछ ऐसी बातें शेयर की हैं जिनके बारे में महिलाओं को ज्यादा जानकारी नहीं है। आइए इस बारे में जानते हैं।
पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, नाम से ही साफ है कि इसमें महिलाओं की ओवरीज में सिस्ट बनने लगती हैं लेकिन असल में ये बात पूरी तरह सही नहीं है। सभी महिलाएं जिनमें पीसीओएस के लक्षण पाए जाते हैं, जरूरी नहीं है कि उनकी ओवरीज में सिस्ट हो।
पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन यानी की मेल हार्मोन का उत्पादन अधिक होता है। जिस वजह से इस सिंड्रोम से ग्रसित महिलाएं मसल्स आसानी से बना सकती है। वहीं जो महिलाएं इस सिंड्रोम से प्रभावित नहीं हैं उन्हें इसमें ज्यादा समय लगता है।
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जो महिलाएं पीसीओएस की समस्या से जूझ रही हैं उन्हें भले ही अभी पीरियड साइकिल के अनियमित होने की दिक्कत हो लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ये ठीक हो जाती है। एक उम्र के बाद पीसीओएस में महिलाओं को पीरियड्स ज्यादा रेगुलर आने लगते हैं। (पीसीओएस और पीसीओडी में अंतर)
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पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को नींद से जुड़ी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सही से नींद ना आना या फिर नींद का बीच बीच में टूटना , ये समस्या यूं तो किसी को भी हो सकती है लेकिन पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में ये ज्यादा देखने को मिलती है।
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