पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण या तो बेहद हल्के होते हैं या अक्सर गंभीर रूप लेने से पहले नजर ही नहीं आते हैं। हालांकि, जब इररेगुलर मेंस्ट्रुएशन, वेजाइनल डिस्चार्ज से अप्रिय गंध, इंटरकोर्स के दौरान ब्लीडिंग या फिर इससे मिलते-जुलते लक्षण नजर आएं, तो महिला को तुरंत ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए और पेल्विक क्षेत्र में किसी भी प्रकार के इंफेक्शन के प्रभाव का पता लगाने के लिए परीक्षण करना चाहिए।
आपके गायनेकोलॉजिस्ट पेल्विस और वेजाइनल डिस्चार्ज की जांच के साथ आपके इलाज की शुरुआत कर सकते हैं। साथ ही वह कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है पैप स्मियर। अगर बार-बार इन्फेक्शन हो रहा है तो डिस्चार्ज को स्वैब के जरिए इकट्ठा किया जाता है और कल्चर टेस्ट (इन्फेक्शन जांचने के लिए अपनाई जाने वाली विधि) के लिए भेजा जाता है। इससे इन्फेक्शन फैलाने वाले जीवाणु या वायरस का पता चल जाता है, जिससे इंफेक्शन हुआ है। डॉक्टर जांच के लिए वेजाइना और सर्विक्स से कॉटन स्वैब पर सैंपल्स भी लेते हैं। इसके अलावा बेहतर जांच और इलाज के लिए डॉक्टर आपको कुछ और डीटेल्ड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
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ब्लड टेस्ट- इस टेस्ट में आपके व्हाइट ब्लड सेल काउंट की जांच के द्वारा इन्फेक्शन का पता लगाया जाएगा। सेल काउंट में असामान्यताएं हैं तो यह इन्फेक्शन, इंफ्लेमेशन की ओर इशारा कर सकता है। हल्का इन्फेक्शन आमतौर पर ब्लड टेस्ट में नजर नहीं आता है, मगर, गंभीर इन्फेक्शन के मामले में व्हाइट सेल काउंट द्वारा इन्फेक्शन के स्तर का आंकलन किया जाता है।
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कुछ पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसे, गोनोरिया, क्लैमाइडिया, हर्पीत, एचपीवी यौन संचारित होती हैं। ब्लड टेस्ट के द्वारा इनका पता लगाया जा सकता है। पीआईडी अक्सर यूरिन इन्फेक्शन और यूरिनरी लक्षणों से जुड़ा होता है जिसके लिए यूरिन टेस्ट करवाना बहुत जरूरी होता है। (यूरिन में दर्द और जलन का कारण)
अल्ट्रासाउंड- इस टेस्ट में रिप्रोडक्टिव ऑर्गन की फोटोज लेने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। पीआईडी के गंभीर होने पर फैलोपियन ट्यूब में सूजन आ सकती है और पस बन सकता है, जिसे अब्सेस के नाम से जाना जाता हैं। इसका अल्ट्रासोनोग्राफी द्वारा पता लगाया जा सकता है। हालांकि, हल्के पीआईडी के कोई भी लक्षण अल्ट्रासोनोग्राफी में नहीं दिखाई देते हैं।
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लेप्रोस्कोपी- लेप्रोस्कोपी, जिसे कीहोल सर्जरी भी कहा जाता है, इसमें पेल्विस में समस्या को देखने और इलाज के लिए एक पतली दुरबीन का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर, इसका उपयोग अंतिम विकल्प के रूप में किया जाता है, जब क्षतिग्रस्त ट्यूबों के कारण कंसीव करने में कठिनाई होती है या फिर एंटीबायोटिक दवाओं के बाद भी फोड़ा सही नहीं होता है।
एंडोमेट्रियल बायोप्सी- इस प्रक्रिया में, डॉक्टर यूट्रस की लाइनिंग से टिशूज के सैम्पल्स को विश्लेषण और परीक्षण के लिए इकट्ठा करता है। ट्यूबरक्लोसिस से पेल्विस के प्रभावित होने के मामलों में ऐसा किया जाता है।
टेस्ट होने के बाद, यदि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की पुष्टी होती है, तो डॉक्टर तुंरत आपको मौखिक रूप से ली जानें वाली एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स पर ले जाएगा। यदि इन्फेक्शन गंभीर है, तो डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दे सकता है। अस्पताल में भर्ती होने पर, इंजेक्शन द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं को शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा।
अगर आपका कोई सेक्शुअल पार्टनर है, तो उसे भी टेस्ट करवाने होंगे और उन टेस्ट के परिणामों के आधार पर उसका भी इलाज किया जाएगा। डॉक्टर आपको इलाज पूरा होने तक सेक्शुअल इंटरकोर्स न करने की सलाह देगा क्योंकि यह बीमारी सेक्शुअल संपर्क से तेजी से फैलती है। (पेल्विक मसल्स को मजबूत करेगी कीगल एक्सरसाइज)
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के बहुत कम केसेज में सर्जरी की आवश्यकता होती है। यदि फोड़ा फूट रहा है या उसके फूटने का खतरा है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर फोड़े को ऑपरेट कर सकता है। यदि किसी का इंफेक्शन एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है तो भी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का पता यदि समय रहते चल जाए, तो आमतौर पर इस बीमारी का मौखिक या इंजेक्शन द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं देकर इलाज संभव है।
https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/pelvic-inflammatory-disease/diagnosis-treatment/drc-20352600
https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/9129-pelvic-inflammatory-disease-pid/prevention
एक्सपर्ट सलाह के लिए डॉ. अंशुमाला शुक्ला-कुलकर्णी (एमडी, एफसीपीएस, डीजीओ) को विशेष धन्यवाद।
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