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    मेनोपॉज के दौरान अक्सर महिलाएं कर बैठती हैं इन मिथ्स पर भरोसा

    मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के भीतर कई शारीरिक व मानसिक बदलाव होते हैं, जिसके चलते महिलाओं में मन में भी कई तरह के मिथ्स पैदा होते हैं। इस लेख में जानिए इन मिथ्स की सच्चाई।
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    • Mitali Jain
    • Editorial
    Updated at - 2021-06-27,11:15 IST
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    main menopause myths in hindi

    महिलाओं के शरीर में समय-समय पर कई बदलाव होते हैं। 40 की उम्र के बाद 50 वर्ष के भीतर कभी भी महिलाओं को मेनोपॉज हो सकता है। यह एक स्थिति है, जब महिला के पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। जैसे-जैसे एक महिला की उम्र बढ़ती है उसके अंडाशय अनरिस्पान्सिव हो जाते हैं। अंडाशय द्वारा उत्पादित दो मुख्य महिला हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में उतार-चढ़ाव होता है और समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाता है जिससे हार्मोन असंतुलन हो जाता है। अंततः समय के साथ अंडाशय अंडा निष्कासित करना बंद कर देता है, इससे पीरियड्स भी नहीं होता है। महिलाओं में इन सब कारणों से गर्भधारण की क्षमता भी नगण्य हो जाती है। मेनोपॉज एकदम से नहीं होता, बल्कि धीरे-धीरे पीरियड्स आने बिल्कुल बंद हो जाते हैं। इस दौरान महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म, हॉट फ्लैश महसूस होना, रात को पसीने से तर-बतर होना, मूड बदलना, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, तनाव, नींद ना आना, थकान, सिरदर्द जैसे कई लक्षण नजर आते हैं। शरीर व मन में आने वाले बदलावों के कारण महिलाएं कई मिथ्स पर भरोसा कर बैठती हैं। तो चलिए आज हम आपको मेनोपॉज से जुड़े कुछ मिथ्स व उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-

    मिथ 1- मेनोपॉज के दौरान हर महिला को हॉट फ्लैश का अनुभव होता है। 

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    सच्चाई- यह सच है कि मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैश के लक्षण नजर आते हैं,  अर्थात् एकदम से अचानकर बहुत गर्मी लगती है। लेकिन हर महिला का मेनोपॉज एक्सपीरियंस अलग होता है। जहां कुछ हॉट फ्लैश का अनुभव करती हैं तो कुछ को अनिद्रा या इनसोमनिया की समस्या का सामना करना पड़ सकता  है। वहीं कुछ महिलाएं, किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं करती हैं। कुछ महिलाओं को इस दौरान, मूत्रमार्ग सूजन, सूखापन या जलन का अनुभव हो सकता है, जिससे यूटीआई का खतरा बढ़ जाता है या पेशाब की आवृत्ति बढ़ जाती है। इसलिए इस मिथ में कोई सच्चाई नहीं है कि मेनोपॉज के दौरान हर महिला को हॉट फ्लैश का अनुभव होता है।

    मिथ 2- आपके पीरियड्स बस एकदम से रुक जाएंगे।

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    सच्चाई- इस मिथ में कोई सच्चाई नहीं है। आम धारणा के विपरीत, मेनोपॉज का मतलब यह नहीं है कि आप एक दिन जागते हैं और आपके पीरियड्स एकदम से चले जाते हैं, कभी वापस नहीं आते। यह एक ऐसा प्रोसेस है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है। मसलन, आपके पीरियड्स धीरे-धीरे स्किप होना शुरू हो जाते हैं और आपको पीरियड्स में अनियमितता का सामना करना पड़ता है। उसके बाद, पीरियड्स आना एकदम से बंद होता है। केवल कुछ ही महिलाएं होती हैं, जिन्हें पीरियड्स में किसी प्रकार की अनियमितता देखे बिना वह पूरी तरह से रूक जाते हैं।  

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    मिथ 3- इसका इलाज किया जाना चाहिए।

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    सच्चाई- इस मिथ पर भरोसा करने से पहले आपको यह समझना चाहिए कि मेनोपॉज एक पूरी तरह से सामान्य प्रक्रिया है, न कि ऐसी बीमारी जिसका इलाज किया जाना चाहिए। हालांकि, कई महिलाओं को इसके साइन्स व लक्षणों को देखते हुए व बढ़ती उम्र के दौरान क्रॉनिक कंडीशन को मैनेज करने के लिए उपचार की जरूरत हो सकती है, क्योंकि आपकी स्वास्थ्य समस्याएं मेनोपॉज के लक्षणों को बदतर बना सकते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।

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    मिथ 4- आप मेनोपॉज के दौरान गर्भवती नहीं हो सकती हैं।

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    सच्चाई- यह मेनोपॉज से जुड़ा एक पॉपुलर मिथ है, जिस पर लगभग हर महिला विश्वास करती है। हालांकि, सच्चाई यह है कि मेनोपॉज या प्रीमेनोपॉज के दौरान आप गर्भवती हो सकती हैं, जब आपका चक्र अनियमित हो सकता है या अक्सर मासिक धर्म के बीच समय का कोई निर्धारित पैटर्न नहीं होता है। लेकिन जब आपके पीरियड्स आना पूरी तरह से बंद हो जाते हैं और इसे लगभग एक वर्ष बीत जाता है, तब आप गर्भवती नहीं हो सकती हैं। हालांकि, आपको यह याद रखना होगा कि आप अभी भी यौन संचारित रोगों (एसटीडी), जैसे गोनोरिया, क्लैमाइडिया, या यहां तक कि एचआईवी/एड्स आदि का रिस्क हो सकता है। इसलिए, आप मां नहीं बन सकती हैं, यह सोचकर अपनी सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता ना करें।

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    Image Credit- Freepik 

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