शरीर में कई बार हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जिससे शरीर कमजोर होने लगता है और इस अवस्था को एनीमिया कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को कमजोरी की वजह से चक्कर आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं और ये अवस्था कई अन्य बीमारियों का कारण बनती है। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने के लिए कई तरह के उपचार किये जाते हैं ,जैसे कई दवाइयों का इस्तेमाल करना और अन्य घरेलू उपचार। ऐसे ही घरेलू उपचारों में से एक उपचार है आंवला और अश्वगंधा से तैयार प्राकृतिक उपचार। आइए जानें कैसे इसके इस्तेमाल से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को दूर किया जा सकता है।
किन चीज़ों का होता है इस्तेमाल
इसके लिए हम केवल दो प्राकृतिक चीज़ों आंवला और अश्वगंधा का उपयोग करेंगे, जो आमतौर पर हर जगह उपलब्ध हो जाती हैं। इनमें से आंवला का उपयोग हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए किया जाता है और अश्वगंधा से आंवला की प्रभावशीलता को बढ़ाने और एनीमिया से जुड़े लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है । आयरन की कमी वाले एनीमिया के मामले में ये दोनों प्राकृतिक चीज़ें सबसे अधिक प्रभावी होती हैं। हालांकि, अतिरिक्त सहायता के लिए इनका उपयोग अन्य प्रकार के एनीमिया में भी किया जा सकता है।
क्या हैं एनीमिया के लक्षण
एनीमिया से पीड़ित कुछ लोग अनियमित धड़कन, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और सिरदर्द का अनुभव करते हैं। इन लक्षणों को कम करने में आंवला और अश्वगंधा दोनों ही सहायक हैं। ये दोनों चीज़ें लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ाने में भी मदद कर सकती हैं।
आंवला के पोषक तत्त्व
आंवला में आयरन और विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) होता है। आंवला में एस्कॉर्बिक एसिड आंत में लोहे के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करता है। यह अन्य खाद्य पदार्थों से भी लोहे के अवशोषण में सुधार करता है। आयुर्वेद के अनुसार ,आंवला एक प्रसिद्ध एंटी-एनेमिक जड़ी बूटी के रूप में काम करता है और व्यापक रूप से हीमोग्लोबिन बढ़ाने और प्राकृतिक रूप से एनीमिया के इलाज के लिए अकेले या अन्य जड़ी बूटियों के संयोजन में इसका उपयोग किया जाता है। एक शोध के अनुसार आंवला में एंटी-एनेमिक तत्त्व मौजूद होते हैं और आयरन युक्त खाद्य पदार्थों के साथ सेवन करने पर आंवला शरीर में लोहे के अवशोषण को 19 गुना बढ़ा देता है। इसमें एस्कॉर्बिक एसिड के अलावा साइट्रिक एसिड, गैलिक एसिड और टार्टरिक एसिड भी मौजूद होते हैं ।
इसे जरूर पढ़ें : आयरन की कमी बनी Indian women के लिए सबसे बड़ा खतरा
अश्वगंधा के पोषक तत्त्व
आयुर्वेद के अनुसार , हम अश्वगंधा को एक एंटी-एनीमिक और हेमटोजेनिक जड़ी बूटी के रूप में भी मानते हैं। हेमेटोजेनिक का मतलब है कि एजेंट जो अस्थि मज्जा में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ाता है और उत्तेजित करता है। यह आयरन का एक उच्च स्रोत है और हीमोग्लोबिन बढ़ाता है। यह एक प्रसिद्ध एंटीऑक्सिडेंट जड़ी बूटी है। यह थकान, कमजोरी, चक्कर आना और सीने में दर्द जैसी समस्याओं को कम करता है। यह सांस की तकलीफ को रोकता है और सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। आंवला के साथ संयोजन में, यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है और अनियमित दिल की धड़कन को रोकता है।
इसे जरूर पढ़ें : जवां बने रहना हो या स्ट्रेस दूर भगाना, अश्वगंधा है महिलाओं के लिए नंबर-1 हर्ब
आंवला और अश्वगंधा मिश्रण
आवश्यक सामग्री
आंवला पाउडर -100 ग्राम
अश्वगंधा पाउडर -100 ग्राम
त्रिकटु पाउडर -10 ग्राम
बनाने की विधि
100 ग्राम आंवला पाउडर में बराबर मात्रा में अश्वगंधा पाउडर यानी कि 100 ग्राम अश्वगंधा पाउडर और 10 ग्राम त्रिकटु पाउडर को अच्छी तरह से मिलाएं।
इस मिश्रण को एक एयरटाइट ग्लास कंटेनर में रखें।
इस्तेमाल का तरीका
इस मिश्रण के नियमित सेवन से हीमोग्लोबिन की कमी ठीक होती है साथ ही शरीर ऊर्जावान होता है। रोज़ इसका एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं।
इस आयुर्वेदिक उपाय से कुछ ही दिनों में एनीमिया की समस्या से निजात पाया जा सकता है साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को भी दूर किया जा सकता है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों