सर्दियों के महीने में कफ, कोल्ड और फ्लू जैसे लक्षण दिखना आम बात है। इस समय समस्या सांस से जुड़ी बीमारियां भी बहुत बढ़ जाती हैं। ये समय अस्थमा इन्फेक्शन के लिए भी बहुत हानिकारक समय होता है। अगर किसी को अस्थमा है और वो ठंडी हवा इनहेल कर लेता है तो उसके लंग्स में स्पैज़म होने लगता है और हवा बाहर निकालने के लिए मुश्किल होती है। इसकी वजह से लंग्स को और तकलीफ होती है और ये समस्या बढ़ती चली जाती है। इसी कारण कफ आना, छींकना, सांस फूलना आदि होता है।
जितना ज्यादा अस्थमा होगा उतना ही ज्यादा सर्दियों के समय सांस लेने में दिक्कत महसूस होगी। अगर आपको अस्थमा नहीं भी है तो कई बार विंटर एलर्जी के चलते इसमें समस्या हो जाती है।
हमने इस बारे में एस्टर आरवी हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन यादव से बात की और ये जाना कि आखिर इस मौसम में कैसे हम विंटर एलर्जी और अस्थमा की समस्या से निजात पा सकते हैं। डॉक्टर पवन यादव इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, स्लीप मेडिसिन और लंग ट्रांसप्लांटेशन की फील्ड में काम करते हैं और इस विषय में अच्छी परख रखते हैं।
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सर्दी को तो कंट्रोल नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी जगह आप अपने अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए कुछ स्टेप्स को जरूर ध्यान रखें-
इसके पहले की सर्दी में आपको समस्या शुरू हो आप पहले ही डॉक्टर से बात कर लें। एक अस्थमा एक्शन प्लान पहले से तैयार रहेगा तो इमरजेंसी में आपको परेशानी नहीं होगी। आप पहले से ही एक मेडिकल किट भी तैयार कर सकते हैं।
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अगर आप ठंड में बाहर एक्सरसाइज के बारे में सोच रहे हैं तो एक्सरसाइज शुरू करने से 15 से 30 मिनट पहले से ही इनहेलर लें। ये आपके एयरवेज को ओपन कर देता है और आप ज्यादा आसानी से सांस ले पाते हैं। अपने साथ इनहेलर हमेशा रखें ताकि अगर अस्थमा अटैक हो तो आपका काम ठीक हो सके। कठिन एक्सरसाइज करने से 15-20 मिनट पहले आप नॉर्मल वार्म अप करें। अपने चेहरे को भी गर्म रखें। नाक ठंडी नहीं होनी चाहिए।
आपके लिए ये सबसे सुविधाजनक ऑप्शन साबित हो सकता है कि आप घर पर ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करते रहें। इन्हें इस्तेमाल करने से पहले इनकी सर्विसिंग और सफाई जरूर कर लें ताकि इसमें डस्ट ना रह जाए। आपके घर के एयर फिल्टर भी हमेशा साफ रहने चाहिए। अगर आप हीटर इस्तेमाल करते हैं तो ये इसका भी ध्यान रखें। ऐसा करने से डस्ट अंदर नहीं आएगी और आपकी सेहत में सुधार होगा। अगर आपके घर की एयर क्वालिटी सही रहेगी तो आपका अस्थमा भी कंट्रोल में रहेगा।
अगर आपको पेट्स से समस्या होती है और एलर्जी है तो उनके साथ समय कम बिताएं। कम से कम अपने बाथरूम और सोने के कमरे में तो ये बिल्कुल भी ना करें। अगर आपने उन्हें छुआ है तो हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें या साबुन से 20 सेकंड तक हाथ धोएं। पेट्स की एलर्जी कई लोगों को होती है और इसलिए उससे बचें।
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ऊपर बताए गए सभी स्टेप्स को फॉलो करने के साथ-साथ इनहेलर का समय और दवाओं की उपलब्धता का भी ध्यान रखें।
अस्थमा की समस्या के साथ-साथ सर्दियों में एलर्जी की समस्या भी ज्यादा होती है। सीजनल एलर्जी आपको परेशान कर सकती है। हां, पोलन एलर्जी इस दौरान कम हो सकती है, लेकिन अन्य कई तरह की समस्याएं सामने आ जाती हैं। सर्दियों में एलर्जी और कफ-कोल्ड के बीच का अंतर समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दोनों ही मामलों में छींक आना, नाक बहना, गले में खराश और नाक का बंद होना जैसे लक्षण दिखते हैं।
इस दौरान एलर्जी असल में इम्यून सिस्टम का रिएक्शन होता है जो किसी ट्रिगर के कारण बढ़ता है। सर्दियों में होने वाली एलर्जी में डस्ट माइट्स, पेट्स से होने वाली एलर्जी, फफूंद से होने वाली एलर्जी, घर के अंदर मौजूद किसी चीज़ से होने वाली एलर्जी शामिल होती है।
घर के अंदर फैब्रिक फाइबर, लिंट, माइक्रो ऑर्गेनिज्म, खाने-पीने की चीज़ें, जानवरों की समस्या रहती है जिसके कारण ही एलर्जी बढ़ती है।
विंटर एलर्जी को कम करने के लिए ये सारे स्टेप्स काम के साबित हो सकते हैं-
ये सारे स्टेप्स आपको परेशानी से बाहर निकालने के काम आ सकते हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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