हम सबके जीवन में ऐसा दिन आता है, जब हमें नकारात्मकता घेर लेती है। हम गलत विचारों में खुद को कैद पाते हैं। इससे निकलने की कितनी कोशिश करें, लेकिन हम इनसे निकल नहीं पाते हैं। इंटरव्यू पर जाने से पहले आपके मन में भी आता होगा कि आप फेल हो जाएंगे। एग्जाम पास नहीं कर पाएंगे।
आप मानें या न मानें लेकिन इस डर से, इस विचार से सभी गुजरते हैं। मगर बार-बार इन चीजों से गुजरना आपको एंग्जाइटी, अवसाद और चिंता की तरफ ले जाता है। यह बार-बार आने वाले नेगेटिव थॉट्स, जो सिर्फ और सिर्फ नेगेटिव चीजों पर ही फोकस करते हैं, इन्हें ऑटोमेटिक नेगेटिव थॉट्स कहा जाता है। ये हमें महसूस करवाते हैं कि हमारे आसपास का स्पेस डार्क है।
जानी-मानी क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी कहती हैं, ‘नकारात्मक विचार वे विचार हैं जिनके कारण हम आशा या उम्मीद को खो देते हैं। जो आपके स्वास्थ्य में सुधार के रास्ते में खड़े होते हैं। एक नकारात्मक विचार आमतौर पर स्वयं की बार-बार आलोचना है।’
वह आगे कहती हैं, ‘इसके कारण सोशल एंग्जाइटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस और सेल्फ-स्टीम कम होता है। अपने नकारात्मक विचारों को बदलने के लिए यह समझना है कि आप अभी कैसे सोचते हैं फिर इन विचारों को बदलने के लिए रणनीतियों का उपयोग करें।’ नकारात्मक विचारों से बाहर निकलने के लिए आप और क्या तरीके अपना सकती हैं, ये भी डॉ. भावना बर्मी बता रही हैं।
डायरी या जर्नल लिखें
आप अगर अपनी बातें, अपने डर को किसी के साथ शेय़र नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें खुद के साथ बांटें। आपके दिमाग में जो भी नेगेटिव विचार आ रहे हैं, उन्हें एक डायरी में लिखें। वो विचार आपको क्यों उसका कारण भी स्पष्ट तरीके से लिखें। क्या वह विचार अच्छे हैं? आपको उन विचारों के बारे में सोचकर कैसा लगता है, ये सब लिखें और कोशिश करें कि आप इस तरह रोजाना लिखें। इससे आप समझ पाएंगे कि आपके डर और उन नकारात्मक विचारों का कारण क्या है।
मेडिटेशन है अच्छी थेरेपी
मेडिटेशन आपके दिमाग को शांत करता है, इसलिए आपको रोजाना मेडिटेशन करना चाहिए। मेडिटेशन के दौरान, आप अपना ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और उलझे हुए नेगेटिव विचारों को समाप्त पाते हैं, जो आपके दिमाग में तनाव पैदा कर रहे हैं। यह हमारी एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लेवल को घटा सकता है और ध्यान, एकाग्रता और समग्र मनोवैज्ञानिक कल्याण में सुधार करता है।
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अपनी किसी हॉबी पर ध्यान लगाएं
जर्नल ऑफ़ पॉजिटिव साइकोलॉजी के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग हर दिन एक क्रिएटिव एक्टिविटी में बिताते हैं, उनमें उन लोगों की तुलना में सकारात्मक मनोवैज्ञानिक वेल-बीइंग को देखा गया है, जो इन चीजों पर समय नहीं बिताते। नेगेटिव थॉट्स से बाहर आने के लिए अपना समय अपनी रुचि में लगाएं। गार्डनिंग, स्केचिंग, डांसिंग, कैलिग्राफी, सिंगिंग, जो भी आपको पसंद हो, उसे करें। इससे आपका मन शांत होगा और नेगेटिव थॉट्स भी आपके दिमाग से बाहर होगें।
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रिमाइंडर से खुद को करें प्रेरित
आप दिन में कितनी बार खुद को एप्रिशिएट करती हैं? कितनी बार अपनी किसी छोटी उपलब्धि के लिए खुश होती हैं? खुद को शाबाशी देना, खुद की तारीफ करना भी नेगेटिव थॉट्स को आप पर हावी नहीं होने देता है। खुद के लिए छोटे-छोटे रिमाइंडर सेट करें। मान लीजिए आपकी कोई मीटिंग है, तो खुद के लिए एक रिमाइंडर सेट करें, ‘आपकी यह मीटिंग बहुत अच्छी होगी। या फिर आप इसे बेहतर तरीके से करेंगी।’ ऐसे रिमाइंडर्स आपको थोड़ा बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं और उस नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
अगर आप भी ऐसे ही विचारों से घिरी रहती हैं और उनसे बाहर निकलना चाहती हैं, तो इन तरीकों को अपने जीवन में अपनाएं और अपने मानसिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। हमें उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आएगा। इसे लाइक और शेयर करें और हेल्थ से जुड़े ऐसे आर्टिकल पढ़ने के लिए विजिट करें हरजिंदगी।
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