आजकल खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से लोगों में खून की कमी देखने को मिलती है। इसके कारण लोग एनीमिया के शिकार हो जाते हैं ज्यादातर यह बीमारी महिलाओं को होती है। वहीं खून से जुड़ी एक और रेयर बीमारी है जिसे हम सिकल सेल एनीमिया के नाम से जानते हैं। कुछ लोग सिकल सेल एनीमिया को नॉर्मल एनीमिया समझ बैठते हैं। ऐसे में आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि नॉर्मल एनीमिया से कितना अलग होता है सिकल सेल एनीमिया?यह बीमारी क्यों होती है और इसका इलाज क्या है। इसको लेकर हमने हेल्थ एक्सपर्ट से बात की।Dr. Vibhor Sharma,Sr Consultant & Head - BMT & Medical Oncology, Asian Hospital, Faridabad ने इस बारे में जानकारी दी है।
एक्सपर्ट की माने तो एनीमिया तब होता है जब आपके पास पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है। यह आयरन की कमी के कारण होता है, जो आमतौर पर पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन न करने पर या आयरन अवशोषित न करने पर खून की कमी हो जाती है। इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और इसके कई तरह के लक्षण नजर आते हैं जैसे थकान, सिर में दर्द, चेहरे का पीला पड़ना, सांस लेने में कठिनाई। वहीं जब आप पर्याप्त मात्रा में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। आयरन सप्लीमेंट्स लेते हैं तो यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। लेकिन सिकल सेल एनीमिया जो है वह इससे काफी ज्यादा अलग होता है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि सिकल सेल एनीमिया जेनेटिक डिफेक्ट होता है यह लाल रक्त कोशिकाओं के आकार को प्रभावित करता है जो शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन ले जाते हैं आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाएं गोल और लचीली होती है इसलिए वह आसानी से रक्त वाहिकाओं के माध्यम से आगे बढ़ती है लेकिन जब सिकल सेल एनीमिया होता है तो रेड ब्लड सेल्स चंद्रमा के आकार की होती है यह चिपचिपा और कठोर हो जाती है जो रक्त के प्रभाव को धीमा कर देता है इस वजह से शरीर में खून की कमी होने लगती है।
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आमतौर पर जो लाल रक्त कोशिकाएं होती है वह 120 दिनों तक जीवित रहती है उसके बाद उन्हें बदलने की जरूरत होती है, लेकिन सिकल कोशिकाएं आमतौर पर 10 से 20 दिनों में मर जाती हैं जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है। लाल रक्त कोशिकाओं के बिना शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और इससे कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। जैसे दर्द, हाथ पैर में सूजन, सिर में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, सही विकास न होना, आंखों से संबंधित शिकायत।
अगर बीमारी माइल्ड फॉर्म में है तो इसका इलाज दवाइयों के माध्यम से हो सकता है लेकिन अगर यह सीवियर है तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए होता है।
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