20 से 50 साल के बीच स्किन पर हार्मोनल बदलाव का कुछ यूं दिखता है असर

हार्मोनल बदलाव के कारण त्वचा पर पड़ने वाले प्रभाव को जानना और समझना, स्किन की सही देखभाल में काफी हद तक मददगार हो सकता है, ताकि हार्मोनल बदलाव के कारण होने वाली स्किन समस्याओं का सही समय पर उचित उपचार किया जा सके।

 
how hormonal changes affect the skin

समय के साथ हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसका शारीरिक अवस्था और त्वचा पर साफ प्रभाव दिखता है। पर कई बार जानकारी के अभाव में हम त्वचा में होने वाले इन बदलावों को समझ नहीं पाते हैं और इसके कारण कई सारी स्किन समस्याओं का शिकार होकर आजीवन परेशान रहते हैं। ऐसे में देखा जाए तो हार्मोनल बदलाव का स्किन पर होने वाले प्रभावों को जानना और समझना जरूरी है।

इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं 20 से 50 साल की उम्र के बीच हार्मोनल बदलाव का स्किन पर किस तरह का असर दिखता है। दरअसल, इस बारे में गुरुग्राम की स्किन एंड हेयर एक्सपर्ट डॉ. नेहा शर्मा से हमने बातचीत की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।

skin expert

स्किन एंड हेयर एक्सपर्ट डॉ. नेहा शर्मा कहती हैं कि हार्मोनल बदलाव के कारण त्वचा पर पड़ने वाले प्रभाव को जानना और समझना, स्किन की सही देखभाल में काफी हद तक मददगार हो सकता है। असल में जब आपको हार्मोनल बदलाव के कारण होने वाली स्किन समस्याओं के बारे में सही जानकारी होती है तो आप उसका समय पर उपचार कर सकते हैं और इससे स्किन की स्थिति अधिक बिगड़ने से बचाई जा सकती है। तो चलिए उम्र के विभिन्न पड़ावों पर होने वाले हार्मोनल बदलावों और उनके असर को जरा विस्तार से जानते हैं।

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किशोरावस्था में मुंहासों का सामना

Pimple problem in teenagers

जीवन के बीसवें दशक के शुरूआती साल यानी कि किशोरावस्था में प्रवेश करने के साथ ही लड़के और लड़की दोनों के शरीर में बड़े हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस उम्र में प्यूबर्टी के साथ ही शरीर मेंएण्ड्रोजन और टेस्टोस्टेरोनजैसे हार्मोन बढ़ने लगते हैं, जिनके कारण सीबम ग्लैंड तेल का अधिक उत्पादन करते हैं। स्किन में तेल का यही अधिक उत्पादन, मृत त्वचा कोशिकाओं और बाहरी गंदगी के साथ मिलकर मुंहासों को जन्म देता है। ऐसे में इस उम्र में अगर त्वचा की उचित साफ-सफाई न की जाए तो फिर मुहांसों की समस्या काफी परेशान कर सकती है।

परिपक्व उम्र में हार्मोनल संतुलन की चमक

early Adulthood Hormonal Balance and Radiance

वहीं जैसे ही व्यक्ति अपने जीवन के बीसवें दशक के अंत और तीसवें दशक की शुरुआत में पहुंचता है तो इस उम्र में हार्मोनल उतार-चढ़ाव लगभग स्थिर से हो जाते हैं। इस हार्मोनल संतुलन का त्वचा को काफी हद तक लाभ मिलता है, नतिजन त्वचा प्राकृतिक रूप से चमकदार और बेहतर नजर आती है। हालांकि, इस उम्र में काम का तनाव और प्रदूषण जैसे बाहरी कारक स्किन की सेहत को प्रभावित कर सकते हैं और त्वचा की प्राकृतिक चमक को छीन सकते हैं। इसलिए इस उम्र में क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग जैसे जरूरी स्टेप्स के जरिए स्किन को हेल्दी बनाए रख सकते हैं।

प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव लाता है चेहरे पर ग्लो

Pregnancy Glow

प्रेग्नेंसी के दौरान भी शरीर में अहम हार्मोनल बदलाव होते हैं, जैसे कि इस दौरान महिला के शरीर में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी), एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन में वृद्धि होती है। वैसे कुछ महिलाएं इस तरह के हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेग्नेंसी ग्लो का सुखद अनुभव करती हैं, तो वहीं कुछ महिलाएं खून में कमी के कारण त्वचा के पीलापन और कुछ परिस्थितियों में गर्भवती महिलाएं मुंहासे का भी शिकार होती हैं।

वयस्कता के साथ त्वचा खोती है नूर

skin aging

व्यस्क उम्र यानी कि जैसे-जैसे महिला अपने चालीसवें और पचासवें वर्ष के करीब पहुंचती है, प्री मेनोपॉज और मेनोपॉज से जुड़े हार्मोनल बदलाव का असर स्किन पर दिखना शुरू हो जाता है। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट आती है, जिसके कारण कोलेजन और इलास्टिन का उत्पादन भी कम हो जाता है। इससे त्वचा पतली होने लगती है और उन पर झुर्रियों की संभावना बढ़ जाती है। इनके अलावा कई बार इस दौरान होने वाले हार्मोनल असंतुलन वयस्क उम्र में मुंहासों की समस्या को जन्म देते हैं।

यूं करें हार्मोनल बदलाव का सामना

जाहिर है कि समय के अनुसार शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव आपके स्किन को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। ऐसे में इससे बचने के लिए स्किन की सही देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है। ऐसे में हार्मोनल बदलाव के कारण होने वाले स्किन समस्याओं का सामना करने के लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा।

  • किशोरावस्था के दौरान होने वाले मुंहासों की समस्या से बचने के लिए सही स्किन केयर जरूरी है। इसके लिए त्वचा की उचित साफ-सफाई के साथ ही मुंहासों के ट्रीटमेंट लिए उपचार ले सकते हैं।
  • मुहांसों की रोकथाम के लिए खान-पान का संतुलित होना भी जरूरी है। इसके लिए आहार में कम से कम तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन करना होगा ताकि सीबम ग्लैंड से होने वाले तेल का उत्पादन संयमित हो सके।
  • स्किन को हेल्दी बनाए रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट के साथ ही विटामिन और पोषक तत्वों का पूर्ति भी जरूरी है, जो स्किन को तमाम तरह की समस्याओं से बचा सकते है।
  • त्वचा की प्राकृतिक नमी और चमक बनाए रखने के लिए हाइड्रेशन बहुत जरूरी है, इसके लिए दिन भर में आवश्यक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।
  • बढ़ती उम्र में स्किन पर होने वाले हार्मोनल बदलाव का सामना करने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है, ताकि शरीर में होने वाली कोलेजन उत्पादन की कमी को पूरा करके बढ़ती उम्र के असर को कम किया जा सके।

इस तरह से कोई भी व्यक्ति अपने बीसवें दशक से लेकर पचासवें दशक तक होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों को समझते हुए उचित देखभाल कर त्वचा को हेल्दी रख सकता है। हालांकि त्वचा की बेहतर देख-भाल के लिए त्वचा विशेषज्ञ की परामर्श भी जरूरी है जो आपको इस दिशा में सही मार्गदशन करेंगे।

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Image Credit:Freepik

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