प्रेग्नेंसी में ज्यादा गुस्सा करने से बच्चे की सेहत पर क्या असर पड़ता है?

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2025-05-20, 20:40 IST
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, गुस्सा या चिड़चिड़ापन ऐसे में होना लाजमी है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि अगर आप ज्यादा गुस्सा करेंगी, तो आपकी बच्चे की सेहत पर कितना बुरा असर पड़ेगा।
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प्रेग्नेंसी में मां को अपनी मेंटल और शारीरिक स्वास्थ्य का खूब ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि इसमें कुछ भी उलट फेर होगा तो इसका असर सीधे बच्चे की विकास पर पड़ेगा। वहीं बहुत सारी महिलाएं इस दौरान चिड़चिड़ी और गुस्सैल बर्ताव करती हैं। क्या ऐसा करना सही है। क्या इसका बच्चे पर खराब असर पड़ता है? इन सभी सवालों का जवाब हम आपको इस आर्टिकल में दे रहे हैं। Dr. Sadhna Singhal Vishnoi, Senior Consultant – Obstetrics and Gynecology, Cloudnine Group of Hospitals, New Delhi, Punjabi Bagh इस बारे में खास बातचीत की है। चलिए जानते हैं।

प्रेग्नेंसी में ज्यादा गुस्सा करन से बच्चे की सेहत पर क्या असर पड़ता है?

प्रेग्नेंसी में ज्यादा गुस्सा करन से बच्चे की सेहत पर क्या असर पड़ता है

एक्सपर्ट बताती हैं कि मानसिक तनाव या गुस्सा आना एक सामान्य भावना है, शरीर में बदलाव आता है तो ऐसा होना नुेचरल है। लेकिन जब यह नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो इसके गंभीर असर हो सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में ज्यादा गुस्सा करने से बच्चे की सेहत पर क्या-क्या असर पड़ सकता है।

प्रेग्नेंसी में गुस्सा करने से या तनाव लेने से शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन का स्तर बढ़ जाता है। ये हार्मोन गर्भवती महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं। इस असंतुलन का असर बच्चे की प्लेसेंटा पर पड़ सकता है, जिससे बच्चे तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।

अत्यधिक गुस्सा और तनाव भ्रूण के विकास में बाधा डाल सकती है। इससे बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है। बच्चे का वजन कम हो सकता है। यह बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।

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गुस्से और तनाव के कारण बच्चे के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। इससे बच्चे में जन्म के बाद व्यवहार संबंधी समस्याएं, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या भावनात्मक अस्थिरता जैसी समस्याएं विकसित हो सकती है।

गुस्से के कारण मां का बीपी और हार्टबीट बढ़ सकता है, अगर ऐसा बार बार होता है, इससे गर्भावस्था में जटिलताएं हो सकती है, जैसे प्रीएक्लेम्पसिया। यह बीमारी मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।

इसके अलावा इससे बच्चे के भविष्य के व्यवहार पर गहरा असर पड़ता है। बच्चे में जन्म के बाद चिंता, डिप्रेशन या आक्रमक व्यवहार होने की संभावना बढ सकती है।

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Image Credit:Freepik,

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