कबूतर आ, आ, आ कहकर उन्हें दाना डालने और घर के आस-पास कबूतरों को डेरा डालने को शुभ मानकर हम इसे अपने करीब रहने का मौका देते है। जी हां हम लोगों में कबूतरों के प्रति गजब का प्यार देखने को मिलता है। कई फिल्मों में तो कबूतर एक्टर-एक्ट्रेस के दोस्ता भी होते हैं। और तो और ना जाने कबूतरों पर कितनी फिल्में, कहानियां और गाने भी बने हैं। कबूतर के डाकिया रूप से भला कौन वाकिफ नहीं है? लेकिन क्या आप जानती हैं कि दोस्ती करने वाला ये पक्षी आपके लिए कितना जानलेवा हो सकता है।
मुझे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ। भला कबूतर, जिसे शांति का प्रतीक माना जाता है। वह खतरनाक कैसे हो सकता है? लेकिन मेरी एक दोस्त ने बताया कि कबूतरों के कारण उसे रिंगवर्म की समस्या हो गई थी। रिंगवर्म स्किन में होने वाला एक तरह का फंगल इन्फेक्शन होता है, जो आपकी बॉडी के किसी भी हिस्से में हो सकता है। पहले लाल दाने के रूप में इसकी शुरुआत होती है फिर यह धीरे-धीरे यह फैलने लगता है। इस बीमारी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह आसानी से ठीक भी नहीं होती है। मुझे लगा कि ऐसे कैसे हो सकता है तब उसने मुझे बताया।
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कबूतर का बीट सूखने के बाद पाउडर बनकर हवा में फैल जाता है। कबूतरों को अपने बीट में रहने की आदत होती है। जब कबूतर अपने सूखे हुए बीट पर बैठते हैं और बार-बार अपने पंख हिलाते हैं तो वो पाउडर आस-पास की हवा में बुरी तरह फैल जाता है। जब कोई इंसान उस हवा को सांस लेता है तो उनके बीट में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और फंगस सांसों से हमारे फेफड़ों में पहुंचते है, फिर धीरे-धीरे हमारी बॉडी के बाकी हिस्सों में उसका सर्कुलेशन होता है। महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है। कबूतरों के बीट में पाए जाने वाले फंगस का हमारी आंखों पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। बल्कि ऐसा भी कहा जाता है कि ये फंगस सबसे पहले हमारे आंखों को ही प्रभावित करते हैं। आइए जानें कबूतरों में पाए जाने वाले फंगस और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियां के बारे में जानें।
हिस्टोप्लाज़मिस
हिस्टोप्लाजमिस एक तरह के फंगस के कारण होने वाली बीमारी है, ये फंगस कबूतरों के बीट में तेजी से बढ़ता है। इसका विस्तार मिट्टी में भी होता है और यह फंगस दुनिया भर में पाया जाता है। कबूतरों की गंदगी साफ करने के दौरान यह फंगस व्यक्ति के अंदर चला जाता है, जो बहुत हद तक इंफेक्शन का कारण बनता है। इसके लक्षणों में थकान, बुखार, चेस्ट पेन आदि लक्षण शामिल हैं। कमजोर इम्यून सिस्टम वाली महिलाएं इसका शिकार बहुत जल्दी हो जाती है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।
साल्मोनेला और लिस्टिरिया
हालांकि यह बीमारी खराब फूड के कारण होती है लेकिन कुछ मामलों में इसका कारण कबूतरों के बीट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया भी होते हैं। यह बैक्टीरिया गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए काफी खतरनाक होते हैं। इंफेक्शन ज्यादा बढ़ने पर मौत का भी खतरा बना रहता है।
क्रिप्टोकोकोसिस
क्रिपिटोकोसीस भी फंगस से होने वाली बीमारी है और इसके फंगस भी कबूतरों के बीट में जन्म लेते हैं साथ ही मिट्टी में तेजी से बढ़ते हैं। यह फंगस भी दुनिया भर में पाया जाता है। हालांकि इस फंगस से हेल्दी व्यक्ति के प्रभावित होने की संभावना बहुत कम होते है। यह आमतौर पर कमजोर इम्यून सिस्टम वाली महिला को प्रभावित करता है। इससे स्किन पर दाने भी हो सकते है।
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सिटाकोसिस
सिटाकोसिस कबूतर, तोते जैसे पक्षियों के कारण होता है। इंसानों में इस बीमारी के लक्षण बुखार, कमज़ोरी, सिर दर्द, दाने, ठंड लगना, और कभी-कभी निमोनिया भी होती है। अगर आपका इम्युनिटी कमजोर है और आप किसी तरह कबूतर की बीट के संपर्क आ जाती हैं, तो आप सिटाकोसिस से पीड़ित हो सकती हैं। इसे पैटर फीवर भी कहते है।
हालांकि इन सबका एक दूसरा भी पहलू है। अभी तक यह साबित नहीं हो सका है कि कबूतर इंसानों के लिए किस हद तक खतरनाक हैं।
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