Glaucoma को काले मोतिया के नाम से भी जाना जाता है। अधिक उम्र के लोगों की आंखों की यह समस्या आम है। Glaucoma आंख में होने वाली एक दशा है, जिसमें optic nerve में नुकसान होने की वजह से आंखों की रोशनी को नुकसान होता है। Optic nerve दृष्टि की सूचना ब्रेन तक ले कर जाती है। ज्यादातर दशाओं में optic nerve को नुकसान तब होता है जब आंख के सामने वाले हिस्से में द्रव्य का प्रेशर बढ़ जाता है। पर Glaucoma संबंधित आंख को नुकसान तब भी हो सकती है जब द्रव्य का प्रेशर नॉर्मल होता है।
Glaucoma के ज्यादातर रूपों में जिन्हें प्राइमरी ओपन एंगल Glaucoma भी कहते हैं, द्रव्य आंख में अनियंत्रित घूमता है और समय के साथ इसका प्रेशर बढ़ता रहता है। इसका अकेला लक्षण दृष्टि का धीरे-धीरे खत्म होना ही होता है। इस बीमारी का एक रूप कम सामान्य रूप न्यून या बंद एंगल Glaucoma भी होता है। यह अचानक बनता है और आंख में लाली और दर्द पैदा कर देता है। Glaucoma के इस प्रकार में प्रेशर तेजी से बढ़ता है। ऐसे में आंख में सामान्य द्रव्य का बहाव अवरुद्ध हो जाता है। यह तब होता है, जब एंगल की संरचना हो जाती है। विशेषज्ञों अभी तक पता नहीं है कि क्यों Glaucoma के दोनों रूप optic nerve को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा खुले और बंद दोनों एंगल Glaucoma के साथ आंख के दोष से सम्बंधित कुछ अन्य दुर्लभ बीमारी भी हो सकती हैं।
Glaucoma को 'दृष्टि का मूक चोर' भी कहा जाता है, क्योंकि इसके ज्यादातर प्रकार में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता और न दृष्टि हानि तक इसके कोई लक्षण दिखाई भी देते हैं। Glaucoma विश्व स्तर पर अंधापन के तीसरे प्रमुख कारणों में से एक है। अनुमान के अनुसार Glaucoma 12 लाख भारतीयों को प्रभावित करता है और देश में कुल 12.8 प्रतिशत अंधेपन का कारण बनता है और United States में Glaucoma अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। जबकि अफ्रीकी अमेरिकी लोगों में यह अंधेपन का मुख्य कारण है। भारत में काला मोतिया अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
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Glaucoma 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में पाया जाता है, लेकिन कई बार कंजेनाइटल Glaucoma शिशुओं में भी होता है। बच्चों में होने वाला कंजेनाइटल जन्मजात होता है। इसके लक्षणों में आंखों में लालिमा, पानी आना, आंखों का बड़ा होना, कॉर्निया का धुंधलापन आदि शामिल है।
Glaucoma को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर निदान और इलाज समय पर किया जाये तो बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। क्योंकि बढे हुए दबाव के कारण मोतियाबिंद से ग्रस्त अधिकांश लोगों में इसके कोई प्रारंभिक लक्षण या दर्द दिखाई नहीं देते, इसलिए नेत्र चिकित्सक से नियमित रूप से जांच कराना महत्वभपूर्ण होता है, ताकी Glaucoma का निदान और इलाज किया जा सकें लंबी अवधि के दृश्य नुकसान से बचने के लिए।
अगर आप 40 साल की उम्र से ऊपर है और Glaucoma का परिवार का इतिहास है तो आपको नेत्र चिकित्सक से एक या दो साल में अपनी आंखों की पूरी जांच करवानी चाहिए। अगर आपको डायबिटीज या परिवार के इतिहास में Glaucoma जैसी स्वास्थ्य समस्या है या अन्य नेत्र रोगों का खतरा है तो आपको अपने नेत्र चिकित्सक से अपनी समय-समय पर जांच करवानी चाहिए।
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World Health Organization के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में करीब 70 करोड़ लोग Glaucoma से ग्रस्त हैं। वहीं इस रोग के संबंध में हुए सर्वे और अनुसंधानों से पता चला है कि आज देश में लगभग एक करोड 20 लाख लोग Glaucoma के शिकार हैं।
साइंटिस्ट्स ने लैब में स्टेम सेल की मदद से रेटिनल नर्व सेल बनाने की तकनीक विकसित की है। जो visual signal आंखों से ब्रेन में भेजती है। यह तकनीक Glaucoma और multiple sclerosis से होने वाले अंधेपन के इलाज में कारगर होगी।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डोनाल्ड जेक के अनुसार 'हमारा प्रयोग सिर्फ ऑप्टिक नर्व की संरचना को समझने में मदद करेगा, बल्कि इससे उन दवाइयों को खोजने में मदद मिलेगी जो इन बीमारियों के इलाज में कारगर हो। इस तकनीक में शोधकर्ताओं ने जीनोम एडिटिंग टूल का उपयोग कर स्टेम सेल में बदलाव कर उन्हें प्रोटीन की मदद से फ्लोरोसेंट बनाया ताकि प्रभावित कोशिकाएं अलग पहचानी जा सके। जैक का दावा है कि नई सेल से मोतियाबिंद और आंखों से जुड़ी अन्य बीमारियों के नए इलाज खोजने में मदद मिलेगी।
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