आपने शायद सुना होगा कि डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। असल में, 'डायबिटीज' शब्द ग्रीक और लैटिन भाषाओं से आया है, जिसका मतलब "मीठा पास होना" है। बार-बार पेशाब आना और पेशाब में मीठेपन आना इसके खास लक्षण हैं। इसके अन्य लक्षणों में बहुत ज्यादा भूख और प्यास लगना, कमजोरी और बिना किसी वजह के वजन कम होना शामिल हैं। डायबिटीज तब होता है, जब शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है, जिससे मेटाबॉलिज्म यानी भोजन को एनर्जी में बदलने वाला प्रोसेस गड़बड़ा जाता है। खराब खान-पान की आदतें खून में शुगर का लेवल बढ़ा सकती हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि टाइप 2 डायबिटीज को रोका जा सकता है। आज हमारी एक्सपर्ट एलाईव हेल्थ की पोषण विशेषज्ञ और आहार सलाहकार, नौशीन शेख आपको बताएंगी कि ब्लड में शुगर बढ़ने यानी हाइपरग्लाइसेमिया के क्या कारण है और इससे बचाव के तरीके।
खून में शुगर बढ़ने (हाइपरग्लाइसेमिया) के कारण
डायबिटीज के मरीजों में खून में शुगर बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं।
गलत खान-पान या वर्कआउट न करना
प्रोसेस्ड फूड्स, ज्यादा चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाने और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी न करने से शरीर में इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं हो पाता है, जिससे शुगर बढ़ती है।
शरीर में पानी की कमी
जब शरीर में पानी की कमी होती है, तब खून में शुगर ज्यादा गाढ़ा हो जाता है, जिससे लेवल बढ़ा हुआ दिखता है। पर्याप्त पानी न पीने से किडनी भी एक्सट्रा शुगर को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती है।
इसे जरूर पढ़ें: ब्लड शुगर हाई होने पर शरीर देता है ये संकेत
दवाएं
कुछ दवाएं, खासकर जिनमें स्टेरॉयड होते हैं, वह खून में शुगर के लेवल को बढ़ा सकती हैं। साथ ही, यदि डायबिटीज के मरीज अपनी शुगर कम करने वाली दवाएं जैसे इंसुलिन या ओरल मेडिकेशन सही मात्रा में नहीं लेते हैं या उन्हें गलत तरीके से लेते हैं, तो भी शुगर बढ़ सकती है।
कोई बीमारी, इंफेक्शन, चोट या सर्जरी
जब शरीर किसी बीमारी, इंफेक्शन, चोट या सर्जरी से जूझ रहा होता है, तब वह तनाव में आ जाता है। इस तनाव के कारण शरीर कोर्टिसोल जैसे हार्मोन छोड़ता है, जो इंसुलिन के काम में रुकावट पैदा करते हैं और शुगर का लेवल बढ़ा सकते हैं।
फिजिकल और इमोशनल स्ट्रेस
चाहे वह फिजिकल हो जैसे ज्यादा मेहनत करना या चिंता और गुस्से जैसा इमोशनल, किसी भी तरह का तनाव हार्मोन के स्राव को ट्रिगर करता है, जो ब्लड में शुगर लेवल बढ़ा सकता है। पीरियड्स और मेनोपॉज के दौरान हार्मोन में बदलाव भी शुगर पर असर डालते हैं।
शुगर की जांच रेगुलर कराना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे आपको अपनी शुगर के पैटर्न को समझने में मदद मिलती है।
हाइपरग्लाइसेमिया को कंट्रोल करने वाली जरूरी बातें
छोटे हिस्सों में पौष्टिक भोजन करें
हेल्दी खाने की आदतों को अपनाने से शुरुआत करें। कम कैलोरी वाली डाइट लें और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर नजर रखें। दिन में तीन बड़े भोजन करने की बजाय कई बार छोटे भोजन करें और उसी हिसाब से अपनी इंसुलिन या दवाएं एडजस्ट करें।
एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें
हाइपरग्लाइसेमिया से परेशान लोगों को कोई भी नया डाइट प्लान शुरू करने से पहले हमेशा किसी डाइटिशियन से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
वेट लॉस पर नहीं, हेल्थ पर ध्यान दें
हाइपरग्लाइसेमिया से परेशान ज्यादातर लोगों को अपनी बीमारी को कंट्रोल करने के लिए वजन कम करने की जरूरत होती है। लेकिन, सिर्फ वजन घटाने पर ध्यान देने से लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। इसके बजाय, फ्रेश, बिना मिलावट वाले और पौष्टिक फूड्स को छोटे-छोटे हिस्सों में खाने की आदत डालें, जो पेट भरने वाले हों। हेल्दी डाइट लेने से वजन कम होगा और शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा।
पोर्शन कंट्रोल
यह अपने शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना कैलोरी कम करने और वेट लॉस का सबसे अच्छा तरीका है। अपनी थाली में खाने की मात्रा का ध्यान रखें।
इसे जरूर पढ़ें: ब्लड शुगर लेवल बिगड़ने पर नजर आते हैं ये लक्षण, न करें इग्नोर
सही डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज से ब्लड में शुगर के लेवल को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में आप कह सकती हैं कि लो कार्ब डाइट इंसुलिन की जरूरत को कम करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकती है।
अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik & Shutterstock
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों