हेल्दी रहने के लिए योग करना बहुत जरूरी है। हालांकि, प्रकृति ने हमें कई प्रकार के योग और मुद्राएं दी हैं। मगर हम ठीक से पता नहीं लगा पा रहे हैं कि कौन-सी मुद्राएं हमारे लिए बेहतर हैं और कौन-सी मुद्राएं हमें किस वक्त करनी चाहिए। इसलिए बेहतर होगा कि जो भी मुद्रा करें, तो एक बार किसी गुरु से जरूर सलाह लें।
ऐसा इसलिए क्योंकि कई मुद्राओं को करने से हमें काफी नुकसान हो सकता है। मगर बंध मुद्रा ऐसी है जिसे करने से काफी शारीरिक लाभ पहुंचता है। हालांकि, कई लोगों को बंध मुद्रा के बारे में सुना ही नहीं होता। अगर आप भी इसी लिस्ट में शामिल हैं, तो इस लेख के माध्यम से आज हम आपको इस मुद्रा और इसके फायदे के बारे में बताएंगे।
इस मुद्रा का अभ्यास करना फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होता है। बस इस मुद्रा को करने के लिए आपको हमारी बताए गए स्टेप्स को फॉलो करना होगा। तो देर किस बात की आइए विस्तार से जानते हैं।
क्या है बंध योग मुद्रा?
यह मुद्रा शरीर में एनर्जी को स्टोर करके रखने का काम करती है। इसमें हठयोग शामिल है, जो एक प्रकार की आंतरिक मुद्रा है। इसे कई लोग शरीर का ताला के नाम से भी जानते हैं। इस मुद्रा को ताला इसलिए कहा गया है क्योंकि इसे करने के दौरान ऊर्जा शरीर में लॉक हो जाती है।
इस बात को स्पष्ट बंध नाम भी करता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है बंधन, बेड़ी या पकड़ना। वहीं, जब हम ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं या अच्छा खानपान फॉलो करना चाहिए। इससे आपको काफी फायदा होगा और इस योग को आसानी से कर भी पाएंगे।
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कैसे करें बंध मुद्रा?
- बंध मुद्रा का अभ्यास खड़े होकर या बैठकर किया जा सकता है।
- इसे करने के लिए सबसे पहले पैरों को कंधे की चौड़ाई पर अलग करके खड़े हो जाएं।
- फिर आगे की ओर झुकें और पीठ को सीधा रखें। इसके बाद अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें।
- सांस लेने की क्रिया करें, लेकिन इस दौरान कोई हवा अंदर न लें।
बंध मुद्रा के फायदे क्या हैं?
- इस मुद्रा का अभ्यास करके आप अपनी एनर्जी को स्टोर करके सही दिशा में लगा सकते हैं।
- इस मुद्रा को करने से इम्यून सिस्टम हेल्दी रहता है और इम्यूनिटी बढ़ती है।
- इससे आपकी शरीर और दिमाग का आपसी तालमेल अच्छा रहता है।
- दिमाग शांत रहता है और मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है।
- यह मुद्रा शरीर में रक्त संचार को बढ़ाने में भी मददगार होती है।
3 तरह की होती हैं बंध योग मुद्रा
- यह मुद्रा 3 तरह की होती है, जिसके अलग-अलग फायदे और नुकसान होते हैं। इसमें पहली मुद्रा का नाम मूलबंध होती है, यह मुद्रा शरीर के मुख्य चक्र को एक्टिवेट करने के साथ ही एनर्जी को बढ़ाती है।
- दूसरी उड्डियान बंध मुद्रा नाम से जानी जाती है, जो शरीर के बीच मौजूद एनर्जी को ऊपर की ओर धकेलती है। इसे बहुत ही ध्यान से करना होता है, अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
- वहीं, तीसरी जालंधर मुद्रा होती है, जो गले के चक्र के जरिए एनर्जी के बहाव को कंट्रोल करती है। अगर आपको गले की कोई प्रॉब्लम्स है, तो इस मुद्रा को अपने रूटीन में शामिल किया जा सकता है।
- हालांकि, इन मुद्राओं का अभ्यास आपको किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही करना चाहिए। अगर आपको कोई बीमारी है, तो इसे बिना सलाह के बिल्कुल भी न करें।
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Image Credit- (@Freepik)
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