आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खासकर महिलाओं के लिए जीवन में बैलेंस बनाना काफी मुश्किल हो गया है। ऑफिस में लंबे समय तक काम करना, घर पर एक साथ कई जिम्मेदारियां निभाना और इन सभी चीजों के साथ अदृश्य इमोशनल बोझ, जिसे वे अक्सर चुपचाप उठाती हैं। इन सभी का नतीजा यह होता है कि चिंता, थकान और शारीरिक तनाव जैसी चीजें धीरे-धीरे शरीर और मन पर हावी होने लगते हैं। अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका आसान और असरदार समाधान शशांक-भुजंगासन है। यह सांसों पर आधारित एक ऐसा योगासन है, जो कुछ ही मिनटों में आपके पूरे शरीर को नई ताजगी और आराम पहुंचा सकता है।
वैसे तो इसे आमतौर पर शशांक-भुजंगासन कहा जाता है, लेकिन इसका सही नाम बालकासन-भुजंगासन है। इस योगासन में दो जरूरी आसन बालक आसन और भुजंग आसन शामिल हैं। ये लयबद्ध तरीके से सांसों के साथ तालमेल बिठाते हुए किए जाते हैं। जब आप सांसों के साथ इन आसनों को फ्लो में करती हैं, तब यह शरीर को गति और मजबूती देता है। सांसों के साथ तालमेल बिठाकर किया गया यह अभ्यास शारीरिक, मानसिक और इमोशनल रूप से आपको तुरंत नई ऊर्जा देने की अद्भुत क्षमता रखता है। इस योगासन के बारे में हमें ग्लोबल योग एजुकेटर, लेखक और अखंड योग संस्थान के फाउंडर डॉक्टर योगऋषि विश्वकेतु बता रहे हैं।
शशांक-भुजंगासन कैसे करें?
यह योगासन बहुत ही आसान है और इसे कोई भी आसानी से कर सकता है। इसे करने के लिए आपको कुछ स्टेप्स को फॉलो करना होगा-
- सबसे पहले टेबल पोज में आएं। इसके लिए आप अपने हाथों और घुटनों के बल जमीन पर आ जाएं, जैसे एक टेबल होती है।
- आपकी कलाइयां कंधों के ठीक नीचे और घुटने हिप्स के ठीक नीचे होने चाहिए।
- अपनी सांसों को नॉर्मल रखें और शरीर को नीचे ले जाते समय धीरे से सांस अंदर भरें।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी चिन और चेस्ट को जमीन की ओर नीचे लाएं। इस बात का ध्यान रखें कि कोहनियां शरीर के पास ही रहें, बाहर की ओर न फैलें।
- अब सांस अंदर भरते हुए, अपने शरीर को धीरे से आगे की ओर खिसकाएं और फिर ऊपर उठाते हुए भुजंगासन यानि कोबरा पोज में आ जाएं। अपनी चेस्ट को खोलें, कंधों को आराम दें और उन्हें कानों से दूर रखें। कमर पर ज्यादा प्रेशर न डालें।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, अपने हिप्स को एड़ियों पर टिकाते हुए बालासन (चाइल्ड पोज) में वापस आ जाएं।
- आप अपनी बाजुओं को आगे की ओर फैलाकर रख सकती हैं या शरीर के दोनों ओर आराम से टिका सकती हैं।
यह एक एक्टिविटी है, जिसे आपकी सांसों के साथ तालमेल बिठाकर करना होता है। यह क्रिया आपको शांत रखने के साथ-साथ अंदर से शक्तिशाली भी महसूस कराती है।
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शशांक-भुजंगासन करने से महिलाओं को क्या फायदे मिलते हैं?
यह साधारण सा दिखने वाला योगासन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है-
डाइजेस्टिव सिस्टम को रखता है दुरुस्त
इसे करने से पेट और आंतों के काम सही तरीके से होते हैं, जिससे ब्लोटिंग और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है।
तनाव से छुटकारा
यह हिप्स, पीठ, कंधों और शरीर के कनेक्टिव टिश्यु मे जमा स्ट्रेस और जकड़न को धीरे-धीरे खोलता है और राहत देता है। इसे करने से दिनभर की थकान के बाद काफी आराम मिलता है।
पेट की मसल्स में स्ट्रेच
इससे पेट की मसल्स को अच्छा स्ट्रेच मिलता है, जो आपके बैठने-उठने के पोश्चर को सुधारने, डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाने और हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने के लिए बहुत अच्छा है।
आंतरिक अंगों का रखता है ठीक
यह हार्ट और लंग्स की हेल्थ को सही रखने में मदद करता है और अस्थमा के लक्षणों को कम करता है, क्योंकि इससे सांस लेने की क्षमता में सुधार होता है।
नर्वस सिस्टम का करता है शांत
यह नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जिससे घबराहट और बेचैनी कम होती है और आप इमोशनली मजबूत होती है।
यह योगासन आपकी सांस लेने के तरीके को भी सुधारने में मदद करता है, जो अक्सर तनाव या घबराहट के कारण बिगड़ जाता है। यह पेट और पेल्विक एरिया की मसल्स को टोन और मजबूती देता है। यह एरिया महिलाओं के हार्मोनल हेल्थ, रिप्रोडक्टिव एनर्जी और आत्मविश्वास के लिए जरूरी है।
चाहे आप पीरियड से पहले की समस्याओं (पीएमएस) से गुजर रही हों, ज्यादा तनाव भरे दौर से गुजर रही हों या बस कभी-कभी जब मन अशांत और असंतुलित महसूस हो, तब यह योगासन बैलेंस महसूस कराने में मदद करता है।
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शशांक-भुजंगासन के दौरान कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?
इस योगासन को आरामदायक और असरदार बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-
आराम के लिए कुशन का इस्तेमाल
- यदि आपके घुटनों में तकलीफ हो, तो आराम के लिए उनके नीचे एक मुलायम कुशन या मुड़ा हुआ कंबल रख सकती हैं।
स्लिप डिस्क की समस्या
- यदि आपको स्लिप डिस्क की समस्या है, तो इस योगासन को बहुत धीरे-धीरे और सावधानी से करें, या किसी योगा एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
सांसों पर फोकस करें
- इस योगासन को धीमी और गहरी सांसों के साथ करें। आप खुद महसूस करेंगी कि आपकी ऊर्जा और मानसिक स्वास्थ्य में कितना सकारात्मक बदलाव आता है।

जैसा कि हिमालयन मास्टर डॉक्टर योगऋषि विश्वकेतु बताते हैं: "आपकी सांस ही आपके लचीलेपन और सहनशक्ति का द्वार है।" यह आसान योगासन आपको बार-बार सांस, शरीर और अपनी आंतरिक शक्ति की ओर लौटने की याद दिलाता है। इसे डेली रूटीन का हिस्सा बनाकर आप हेल्दी और बैलेंस जीवन की ओर कदम बढ़ा सकती हैं।''
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Image Credit:Shutterstock & Freepik
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