ध्यान, हमेशा से भारतीय जीवनशैली का अहम हिस्सा रहा है, जिसका अभ्यास धार्मिक क्रियाओं से लेकर आयुर्वेद में उपचार के तौर पर किया जाता रहा है। आज के आधुनिक युग में दुनिया ने भारत के ध्यान क्रिया को मेडिटेशन के रूप में अपनाया है। आज मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और लाइफ कोच मेडिटेशन के जरिए जीवन सुधारने की नसीहत देते हुए, इसके लाभ गिनाते थकते तक नहीं है। पर देखा जाए तो फिर भी बहुत सारे लोग मेडिटेशन के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि असल में लोगों को मेडिटेशन यानी ध्यान का सही ढंग से अभ्यास करना नहीं आता है, ऐसे में वो इसका पूरा लाभ भी नहीं ले पाते हैं। इसीलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी कुछ बातें बता रहे हैं जिन पर अमल कर आप ध्यान का पूरा लाभ ले सकते हैं। दरअसल, हमने इस बारे में ‘मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान’ की योग प्रशिक्षक मधु खुराना से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
हमारी योगा एक्सपर्ट मधु खुराना कहती हैं ध्यान का सही ठंग से अभ्यास से किया जाए तो यह मानसिक सेहत के साथ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी संजीवनी का काम कर सकता है। आमतौर पर लोग ध्यान को मानसिक सेहत से जोड़ कर देखते हैं, पर असल में योग का अभ्यास से मस्तिष्क के साथ ही पूरे शरीर के लिए लाभकारी होता है।
ध्यान के नियमित अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बेहद सकारात्मक असर पड़ता है, जिससे कई संक्रमण से बचाव होता है। वहीं योग हाई ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण, आंखों, स्किन और दिल की सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। हां, लेकिन जरूरी है कि आप इसका सही से अभ्यास करें और इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
शारीरिक मुद्रा का ध्यान रखें
ध्यान की अवस्था में जब भी बैठे अपनी शारीरिक मुद्रा यानी कि बॉडी पॉश्चर को सही रखें, इसके लिए आपको अपनी कमर, गर्दन और सिर को एक सीध में रखना होगा। जैसा कि गीता के 6 अध्याय के 13वें श्लोक में भी बताया गया है...
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः।
संप्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन्।।
इसका अर्थ है काया शिर और ग्रीवा को सीधे अचल धारण करके और दिशाओं को न देखकर केवल अपनी नासिका के अग्रभाग को देखते हुए स्थिर होकर बैठे।
निश्चित समय और निश्चित जगह पर करें अभ्यास
हमारी योगा एक्सपर्ट कहती हैं कि ध्यान का सही ढंग से अभ्यास करने के लिए जरूरी है आपको इसके लिए एक निश्चित समय और स्थान का निर्धारण करना होगा। असल में जब आप नियमित रूप से हर रोज एक ही स्थान और एक ही समय पर ध्यान का अभ्यास करते हैं तो उस स्थान की ऊर्जा ध्यान के लिए संचालित हो जाती है। इससे आपको ध्यान का पूरा लाभ मिलता है।
ध्यान से पहले करें इनका अभ्यास
महर्षि पतंजलि के अनुसार ध्यान अष्टांग योग का 7वां अंग है और एक सामान्य व्यक्ति को ध्यान करने से पहले ध्यान तक पहुंचने के लिए यम, नियम, आसन और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। असल में इनका अभ्यास शरीर को अधिक समय तक ध्यान में बैठने के लिए तैयार करता है। वहीं प्राणायाम मन को नियंत्रित करने और प्रत्याहार में बाहरी दुनिया से इंद्रियों को वापस लेने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति पूरी तरह से ध्यान में लीन हो पाता है।
मन का शुद्धिकरण भी है जरूरी
योगा एक्सपर्ट मधु खुराना कहती हैं ध्यान से पहले साक्षी भाव का विकास भी आवश्यक है। इसके लिए त्राटक जैसे शुद्धिकरण अभ्यास मन को एकाग्र करने में मदद करते हैं और वहीं भ्रामरी प्राणायाम मन को शांत करता है। इससे व्यक्ति को ध्यान के दौरान आनंद की स्थिति तक पहुंचने में मदद मिलती है।
ऐसे लोगों को विशेष सर्तकता बरतनी चाहिए
ध्यान के सही ढंग से अभ्यास के लिए शरीर और मन दोनो का साथ चाहिए। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति मानसिक अवसाद से पीड़ित है, तो उन्हें शुरुआत में ध्यान के अभ्यास से पूरी तरह बचना चाहिए। ऐसे लोगों को किसी योग प्रशिक्षक के परामर्श और निर्देशानुसाह ही ध्यान का अभ्यास करना चाहिए।
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Image Credit:Freepik
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