सेहत से जुड़ी समस्याओं का सामना करने में सबसे बड़ी बाधा बनती है, गलत जानकारी या जानकारी का अभाव। जानकारी के अभाव में अक्सर समस्याएं गंभीर रूप ले लेती हैं, तो वहीं भ्रामक जानकारी के चलते लोग इलाज के लिए गलत तरीके अपनाने लगते हैं। जैसे मिर्गी जैसी दिमागी समस्या को लेकर कई तरह के भ्रामक तथ्य प्रचलित हैं, जोकि इस बीमारी से लड़ने में बाधा उत्पन्न करते हैं। ऐसे में इस दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 26 मार्च के दिन ‘पर्पल डे’’ (Purple Day for Epilepsy) मनाया जाता है।
हमारा यह आर्टिकल भी इस दिशा में छोटा सा प्रयास है, जिसमें हम कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं जो कि मिर्गी के मरीजों के लिए मददगार हो सकते हैं। बता दें कि हमने इस बारे में ‘मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान’की योग प्रशिक्षक मधु खुराना से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
योग प्रशिक्षक मधु खुराना कहती हैं कि मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसमें तंत्रिका कोशिकाएं के असामान्य संकेत के चलते व्यक्ति को दौरे आने लगते हैं। मस्तिष्क से जुड़ी समस्या होने के कारण इस समस्या की रोक-थाम के लिए दिमाग का शांत रहना बेहद जरूरी है और इसमें योग का अभ्यास काफी हद तक लाभकारी हो सकता है।
योगा एक्सपर्ट मधु खुराना आगे बताती हैं कि मानसिक तनाव, मिर्गी के रोग में घातक होता है। तनाव जितना अधिक बढ़ता है, मरीज की परेशानियां भी उतनी ही बढ़ती जाती है, ऐसे में योग के अभ्यास के जरिए तनाव को कम करके इस समस्या में राहत पाई जा सकती है। चलिए अब उन योगासन और योग मुद्राओं के बारे में जान लेते हैं, जो मिर्गी के रोगियों में तनाव नियंत्रित करने में लाभकारी साबित होते हैं।
प्राणायाम
योगा एक्सपर्ट मधु खुराना के अनुसार, मिर्गी से राहत पाने के लिए प्राणायाम का अभ्यास विशेष तौर पर लाभकारी हो सकता है। दरअसल, प्राणायाम के दौरान सांसों के संतुलन और तन्मयता से मानसिक शांति मिलती है। ऐसे में अगर मिर्गी के रोगी इसका नियमित अभ्यास करें तो दौरे की आवृत्ति कम हो सकती है। हालांकि ध्यान रखें कि मिर्गी के रोगी सांसों को रोकने का प्रयास न करें।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति दिलाने में बेहद सहायक माना जाता है। ऐसे में इसके अभ्यास से तनाव को नियंत्रित कर मिर्गी की समस्या से राहत पाई जा सकती है। बता दें कि सांसों का व्यायाम है, जिसका अभ्यास करते वक्त सांसों के लय से मधुमक्खी की भिनभिनाहट जैसी ध्वनि उत्पन्न होती है।
इसके अभ्यास के लिए किसी शांत जगह पर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद आंखों को बंद करके अपनी तर्जनी उंगलियों को दोनों कानों पर रख लें और फिर नाक से सांस लें और छोड़ें। सांसों को छोड़ने के दौरान आपको मधुमक्खी की भिनभिनाहट जैसी आवाज निकालनी है। आप चाहें तो इसकी जगह लिए ओम का उच्चारण भी कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को आपको कम से कम 5 से 7 बार दोहराना है।
बालासन
बालासन का अभ्यास भी मानसिक सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है, ऐसे में मिर्गी से राहत के लिए यह बेहद कारगर माना जाता है। बात करें इसके अभ्यास कि तो इसके लिए आप वज्रासन में बैठ जाए और दोनों हाथों को सीधा रखते हुए आगे की तरफ धीरे-धीरे झुकने का प्रयास करें। सांसों को छोड़ते हुए आपको तब तक आगे की तरफ झुकना है जब तक कि आपके हाथ और सिर जमीन को न छु लें।
अब सिर को दोनों हथेलियों के बीच स्थिर करके आप सांसों को सामान्य कर लें और ऐसी स्थिति में कुछ देर के लिए बने रहे। ऐसा आप 5 सेकंड से 5 मिनट तक कर सकते हैँ।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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