प्राचीन काल से ही योग में प्राणायाम का विशेष स्थान है। यह श्वास के माध्यम से जीवन ऊर्जा (प्राण) के प्रवाह को नियंत्रित करने और बढ़ाने की तकनीक है। ऐसा ही एक शक्तिशाली प्राणायाम कपालभाति है। यह मन और तन को डिटॉक्स करने वाली ब्रीदिंग तकनीक है। "कपालभाति" शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें कपाल का अर्थ है "माथा" और भाति का अर्थ "चमकना" है। रोजाना इस प्राणायाम को करने से न सिर्फ हेल्थ अच्छी रहती है, बल्कि चेहरे पर चमक आती है और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। कपालभाति प्राणायाम क्या है, इसके क्या फायदे हैं, इसे कैसे करना चाहिए और इसे करते समय कौन सी सावधानियां लेनी चाहिए? इस बारे में हमें Rootin Yoga के फाउंडर अखिल गोरे बता रहे हैं।
कपालभाति प्राणायाम क्या है?
हालांकि, कपालभाति को प्राणायाम कहा जाता है, लेकिन यह सफाई अभ्यास के अंतर्गत आता है, जो कि षट्कर्म है और छह मुख्य सफाई अभ्यासों में से एक है। सफाई का उद्देश्य फेफड़ों को शुद्ध करना है। दूसरे शब्दों में आप कह सकती हैं कि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और श्वसन प्रणाली को साफ करने में मदद करता है। साथ ही, मानसिक जागरूकता भी बढ़ाता है। लेकिन, इसे करते समय आपको एक बात का ध्यान रखना होता है कि सांस लेने के लिए पेट का उपयोग करें, ताकि कपाल में सांस की तीव्रता और ऊर्जा महसूस हो।
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कपालभाति प्राणायाम कैसे करें?
- इसे करने के लिए आरामदायक मुद्रा जैसे सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें।
- अपनी रीढ़ को सीधा रखें, कंधों से रिलैक्स करें और हाथों को घुटनों पर (जैसे, ज्ञान मुद्रा) रखें।
- आंखें धीरे से बंद करें और अपना पूरा ध्यान सांसों पर लेकर जाएं।
- नाक से गहरी और धीमी सांसें लेना शुरू करें और जोर से छोड़ें।
- अब अपनी नाक से सांसों को जोर से बाहर निकालने के लिए पेट की मांसपेशियों का इस्तेमाल करें।
- हर सांस छोड़ने के साथ आपका पेट अंदर की ओर जाना चाहिए।
- लगभग 20 बार सांसों को छोड़ें और फिर धीरे से सांस लें।
- इसे एक राउंड के रूप में गिना जाता है।
- 1-2 राउंड से शुरू करें और सुविधा और क्षमतानुसार धीरे-धीरे 3-5 राउंड तक बढ़ाएं।
- पूरा होने के बाद थोड़ी देर आराम करें।
- अगले चक्र को शुरू करने से पहले अपनी सांसों को सामान्य होने दें।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे क्या हैं?
शरीर को करता है डिटॉक्स
जोर से सांस लेने और छोड़ने से कार्बन डाइऑक्साइड और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे श्वसन प्रणाली साफ होती है, शरीर को ऊर्जा मिलती है और यह अंगों को शुद्ध करता है।
फेफड़ों की क्षमता होती है मजबूत
रोजाना कपालभाति करने से फेफड़ें मजबूत होते हैं और नाक का मार्ग साफ होता है, जिससे श्वसन स्वास्थ्य अच्छा होता है और अस्थमा और साइनस से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं।
पाचन शक्ति होती है अच्छी
कपालभाति करते समय पेट के आंतरिक अंगों की मालिश होती है और पाचन और मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है। इसलिए, रोजाना कपालभाति करने वाली महिलाओं को पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज, एसिडिटी, अपच आदि नहीं होती हैं।
वजन घटाने में मददगार
इसे करने से मेटाबॉलिज्म रेट बेहतर होती है और चर्बी तेजी से जलती है, जिससे वजन और पेट के आस-पास की चर्बी कम होती है।
याददाश्त होती है तेज
यह ब्रेन में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है, जिससे फोकस, याददाश्त और मानसिक सतर्कता बढ़ती है।
तनाव होता है कम
प्राणायाम करने से नर्वस सिस्टम बैलेंस और पैरासिम्पेथेटिक सिस्टम (पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम शरीर के कामकाज को नियंत्रित करता है। यह हार्ट रेट को धीमा करता है, ब्लड प्रेशर को कम करता है, पाचन तंत्र को सही करता है और शरीर को आराम की स्थिति में लाता है।) को एक्टिव होता है। इससे मन शांत रहता है और तनाव कम होता है।
हार्मोन को करता है बैलेस
रोजाना कपालभाति प्राणायाम करने सेपैंक्रियाज और थायराइड जैसे ग्लैंड उत्तेजित होते हैं, जिससे हार्मोंस से जुड़े काम सही तरीके से होने लगते हैं।
ब्लड सर्कुलेशन में करता है सुधार
इसे करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे सभी अंगों को सही पोषण मिलता है।
बढ़ती है ऊर्जा
यह शरीर में प्राण ऊर्जा को एक्टिव करता है, जिससे दिनभर एनर्जी मिलती है और सकारात्मकता बनी रहती है।
कपालभाति प्राणायाम कितनी बार करें?
- इसे आपको सुबह खाली पेट करना चाहिए।
- 20 सांसों के 1-2 राउंड से शुरू करें।
- फिर, धीरे-धीरे रोज 3-5 राउंड तक बढ़ाएं।
कपालभाति प्राणायाम के दौरान सावधानियां
- प्राणायाम करते समय सांस लेने की स्पीड बहुत ज्यादा घटानी या बढ़ानी नहीं चाहिए।
- आपका पूरा ध्यान पेट की मूवमेंट पर होना चाहिए।
- कपालभाति करते समय कंधे हिलने नहीं चाहिए।
- सांस अंदर लेते समय पेट बाहर की ओर और सांस छोड़ते समय पेट अंदर की ओर होना चाहिए।
- यदि आप प्रेग्नेंट हैं, हाई ब्लड प्रेशर, हर्निया या हार्ट संबंधी समस्याओं से परेशान हैं, तो आपको कपालभाति करने से बचना चाहिए।
कपालभाति प्राणायाम सिर्फ ब्रीदिंग एक्सरसाइज नहीं है, बल्कि यह उपचार तकनीक है, जो आपकी आंतरिक जीवन शक्ति को जागृत करती है। इसे रोजाना करने से आपको मन शांत रहता है, पाचन बेहतर होता है, मन शांत रहता है और आप स्वस्थ महसूस करती हैं। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Shutterstock & Freepik
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