कैंसर पेशेंट्स करेंगे ये 3 एक्‍सरसाइज तो डेथ रिस्‍क हो जाएगा कम, एक्‍सपर्ट से जाने

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे पेशेंट्स कुछ खास एक्‍सरसाइज कर के इस बीमारी से होने वाली मृत्‍यु के रिस्‍क को कम कर देती हैं। 

expert talks about exercise for cancer

सेहत को चुस्‍त-दु‍रुस्‍त रखना है तो सबसे जरूरी है कि आप अच्‍छा भोजन करें और भोजन के साथ ही अपनी लाइफस्‍टाइल को भी सुधारें। मगर इन दोनों से भी ज्‍यादा जरूरी हैं कि रोज सुबह उठकर एक्‍सरसाइज करें। एक्‍सरसाइज शरीर की कई बीमारियों को दूर करती हैं और कुछ बीमारियों में पेशेंट को राहत देती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कैंसर के मरीजों को भी एक्‍सरसाइज करनी चाहिए। खासतौर पर कीमोथेरेपी के दौरान और उसके बाद पेशेंट को जरूर एक्‍सरसाइज करनी चाहिए। एक स्‍टडी के मुताबिक अगर कैंसर पेशेंट रोज एक्‍सरसाइज करता है तो बीमारी से जल्‍दी मौत होने का रिस्‍क कम हो जाता है।

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क्‍या कहती है स्‍टडी

एएनआई न्‍यूज एजेंसी में छपी एक न्‍यूज के मुताबिक एक स्‍टडी में यह बात साबित हुई हैं कि जिन कैंसर के पेशेंट्स अगर 10 मिनट भी थोड़ा बहुत व्‍यायाम कर लें तो कैंसर से मौत होने का खतरा काफी कम हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी ऑफ मांट्रियल रिसर्च सेंटर (सीआरसीएचयूएम) के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर फ्रेड साड मानते हैं कि शारीरिक व्यायाम कैंसर पर सीधा प्रभाव डालता है। कैंसर होने पर व्‍यक्ति सुस्‍त हो जाता है मगर व्‍यायाम करने पर पेशेंट की सुस्‍ती गायब हो जाती है।

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कैंसर पेशेंट्स को ये 3 खास एक्‍सरसाइज रोज करनी चाहिए

दिल्‍ली बेस्‍ड फिटनेस एक्‍सपर्ट सोनिया बजाज बताती हैं कि कैंसर पेंशेंट को किस तरह की एक्‍सरसाइज करने से कॉन्फिडेंस मिलेगा और कौन सी एक्‍सरसाइज उनकी बॉडी को स्‍ट्रॉन्‍ग बनाएंगी।

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वॉकिंग एंड जॉगिंग

कैंसर पेशेंट किसी भी तरह की हार्ड एक्‍सरसाइज नहीं कर सकते मगर वॉकिंग और जॉगिंग करने में कोई हार्म नहीं है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज होने के बावजूद यह पेशेंट को अंदर से तोड़ देती है। पेशेंट न किसी से मिलना चाहता है और न ही घर से बाहर निकलना चाहता है। ऐसे में वॉकिंग और जॉगिंग दो ऐसी एक्‍सरसाइज हैं जो बॉडी में ब्‍लड सर्क्‍यूलेशन को तो अच्‍छा करती ही हैं साथ ही पेशेंट को बाहर के एनवायरनमेंट में निकालने का बहाना भी बन जाती हैं। हल्‍का म्‍यूजिक लगा कर रोज सुबह कुछ देर वॉक करना पेशेंट की सेहत के लिए बहुत अच्‍छा होता है।

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योगा और स्‍ट्रेचिंग एक्‍सरसाइज

कीमोथेरेपी के बाद मरीज का शरीर काफी कमजोर हो जाता है। उसे वापिस से स्‍ट्रॉन्‍ग बनाने के लिए एक्‍सरसाइज करना बहुत जरूरी हो जाता है। पोस्‍ट कीमो मरीज को योगा जरूर करना चाहिए । योगा करने से हड्डियां मजबूत होती है और शरीर की वीकनेस भी खत्‍म हो जाती है। एक्‍सपर्ट सोनिया बताती हैं, ‘योगा को लोग वेट लॉस ट्रेनिंग समझते हैं मगर ऐसा नहीं है। योगा माइंड, सोल और बॉडी तीनों का मिक्‍सचर होता है। योगा करने से मन शांत होता है और पोजिटिविटी आती है। इसलिए कैंसर से जूझ रहे पेशेंट्स योगा जरूर करना चाहिए।’ इस बीमारी के मरीजों को थोड़ी बहुत स्‍ट्रेचिंग एक्‍सरसाइज भी करनी चाहिए। इससे ज्‍वाइंट्स को काफी रिलैक्‍स मिलता है

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मेडिटेशन

मेडिटेशन से कैंसर के मरीजों के जीन्स में वो मॉलिक्यूल्स कम उत्पन्न होते हैं, जिनसे इंफ्लेमेशन ज़्यादा होता। इंफ्लेमेशन कम होगी, तो कैंसर में रिकवरी भी जल्‍दी होगी। इसके अलावा कैंसर के पेशेंट्स में अकसर देखा गया है कि वो डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। सोनिया बताती हैं, ‘डिप्रेशन दूर करने का सबसे अच्‍छा तरीका है मेडिटेशन करना। मेडिटेशन करने से मरीज में कॉन्‍फीडेंस आता है। इससे उसे बीमारी से लड़ने का हौसला मिलता है। किसी भी मरीज के लिए बहुत जरूरी है कि उसके अंदर बीमारी से ठीक होकर बाहर निकलने की चाहत हो और वो यह न सोचे कि बीमारी के बाद जिंदगी खत्‍म हो गई। मेडिटेशन जीवन जीने की फीलिंग को स्‍ट्रॉन्‍ग बनाता है।’

Image Credit: Image Bazaar

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