हर साल जब सावन आता है,तो बड़ी बुजुर्ग बहुत सारी चीजों को खाने से मना करते हैं। इनमें से एक है हरी पत्तेदार सब्जी साग। कई लोग इसे धार्मिक मान्यताओं से जोड़ते हैं, तो कई इसे परंपरा के रूप में मानते आए हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है? अब तक नहीं जानते थें, तो आज हम आपको इस बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से बता रहे हैं। चलिए एक न्यूट्रीशनिस्ट से समझते हैं। इस बारे में मिस मुस्कान न्यूट्रीशनिस्ट एट क्लाउड 9 ग्रुप का हॉस्पिटल न्यू दिल्ली, कैलाश कॉलोनी से इस बारे में जानते हैं विस्तार से।
सावन में क्यों मना किया जाता है साग खाना?
देखिए इसे संक्रमण से जोड़ा जाता है। सावन यानी जून जुलाई अगस्त के महीने में बारिश और नमी का स्तर बहुत ज्यादा होता है ऐसे में हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, सरसों मेथी, बथुआ में बैक्टीरिया फंगस कीड़े और मिट्टी के कीटाणु पनपने की संभावना बढ़ जाती है। अगर इन्हें ठीक से नहीं धोया गया या अच्छी तरह से नहीं पकाया गया, तो फूड प्वाइजनिंग, पेट में संक्रमण या डायरिया जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
वहीं, मानसून के दौरान शरीर का पाचन तंत्र थोड़ा धीमा और संवेदनशील हो जाता है। हरी पत्तेदार सब्जियों में ज्यादा मात्रा में फाइबर होता है। जिससे इस समय पचना कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है। खासकर पाचन क्रिया पहले से ही कमजोर हो तब। इससे गैस, एसिडिटी और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।
बरसात में खेतों में पानी जमा हो जाता है और मिट्टी की गंदगी साग की पत्तियों में चिपक जाती है। साग पर कीटनाशकों का प्रभाव भी अधिक रहता है। इसलिए जब तक साग को अच्छी तरह से साफ करके ना पकाया जाए, तो इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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कैसे करें साग का सेवन?
एक्सपर्ट बताती हैं कि अगर आप साग खाना चाहती हैं, तो उसे बहता पानी में अच्छी तरह धोए और कम से कम 15 से 20 मिनट तक धोते रहे। कच्ची या कम पकी साग को खाने से परहेज करें।
अगर संभव हो तो घर पर ऑर्गेनिक तरीके से उगाया गया साग अधिक सुरक्षित होता है। खासकर मानसून के दौरान।
पोषक तत्वों के लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियों की जगह पर तोरी, लौकी, परवल टिंडा जैसी हल्की और आसानी से बचने वाली सब्जियों का सेवन करें।
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Image Credit:Freepik
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