आजकल दिल की बीमारियां, शुगर, कैंसर और सांस की बीमारियां जैसी गंभीर बीमारियां (NCDs) दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों की जान ले रही हैं। भारत में ये बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर शहरों में जहां लोग सही से खाते नहीं हैं, वर्कआउट नहीं कम करते हैं और पैकेटबंद खाना ज्यादा खाते हैं। इस खतरे से बचने का एक आसान और असरदार तरीका पोषण के बारे में सही जानकारी रखना है। इसके बारे में MyThali प्रोग्राम, आरोग्य वर्ल्ड की हेड डॉक्टर मेघना पासी विस्तार से बता रही हैं।
दिखना सेहतमंद, लेकिन अंदर से बीमार
सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि बहुत से लोग, खासकर युवा, अपनी सेहत को हल्के में लेते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे बाहर से ठीक दिख रहे हैं, तो अंदर भी सब ठीक होगा। लेकिन, ऐसा नहीं है। 30-40 साल की उम्र में भी बहुत से लोगों को दिल की बीमारियां, प्री-डायबिटीज या मेटाबॉलिज्म से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं, जिनके कोई खास लक्षण नहीं दिखते है। अक्सर लोग थकान, नींद न आना या वजन में बदलाव जैसे छोटे-छोटे संकेतों को अनदेखा कर देते हैं और जब तक उन्हें पता चलता है, तब तक बीमारी गंभीर हो चुकी होती है।
खाना: हमारी पहली सुरक्षा
हमारी दादी-नानी जो बात पहले से जानती थीं, विज्ञान भी अब वही कह रहा है कि हमारा खाना ही हमारी सेहत बनाता और बिगाड़ता है। ज्यादा चीनी, रिफाइंड आटे की चीजें, अनहेल्दी फैट और नमक वाला खाना खाने से मोटापा, हाई बीपी, शुगर और हार्मोन की दिक्कतें होती हैं। इसके बजाय, हरी सब्जियां, फल, दालें, साबुत अनाज, अच्छे फैट और मेवे खाने से शरीर की सूजन कम होती है, हमारी इम्यूनिटी बढ़ती है और हम बीमारियों से बचे रहते हैं।
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पोषण जागरूकता क्यों जरूरी है?
पोषण जागरूकता का मतलब सिर्फ जंक फूड से दूर रहना या डाइटिंग करना नहीं है। इसका मतलब है-
- यह समझना कि हम जो खाते हैं, उसका हमारे शरीर पर क्या असर होता है।
- खाने के पैकेट पर लिखी जानकारी को पढ़ना और उसमें छिपे अनहेल्दी फैट या चीनी को पहचानना।
- अपनी उम्र, जीवनशैली और सेहत के हिसाब से सही खाना चुनना।
- छोटे-छोटे बदलाव करना जो लंबे समय में बड़ा फायदा देते हैं।

शिक्षा से होगी शुरुआत
इस बदलाव की शुरुआत स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों से होनी चाहिए। बच्चे जो खाना शुरू में सीखते हैं, वही उनकी आदत बनती है। MyThali जैसे आसान तरीके, एक्टिविटी सेशन और सरल भाषा में न्यूट्रिशन की क्लास लोगों को सही खाना चुनने में मदद करती हैं।
टेक्नोलॉजी से बदलाव आसान
आजकल डिजिटल दुनिया में सही जानकारी आसानी से मिल जाती है। सोशल मीडिया, हेल्थ ऐप्स और ऑनलाइन न्यूट्रिशन पेज लोगों को उनके खाने के फैसलों के लिए गाइड कर सकते हैं, बस सलाह सीधी, समझने में आसान और हमारी संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिए।
कम खर्च, ज्यादा असर
महंगे इलाज हर किसी के लिए आसान नहीं होते हैं, वहीं पोषण के बारे में जानकारी देना एक कम लागत वाला है, लेकिन बहुत असरदार सार्वजनिक स्वास्थ्य तरीका है। यह सिर्फ स्वास्थ्य का बजट ही नहीं बचाता है, बल्कि देश की काम करने की क्षमता को भी बढ़ाता है और संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 3 (सभी के लिए अच्छी सेहत) को पूरा करने में मदद करता है।
हर प्लेट एक मौका है सेहत चुनने का
पोषण जागरूकता का मतलब यह नहीं कि आप अपनी पसंदीदा चीजें खाना छोड़ दें। इसका मकसद है समझदारी से, संतुलित तरीके से खाना और यह जानना कि आप जो खाते हैं, उसका आपके शरीर पर क्या असर होता है।
भारत जैसे देश में जहां गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, वहां लोगों को जागरूक करना और उन्हें हेल्दी विकल्प चुनने में मदद करना बहुत जरूरी है।
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कुछ छोटे कदम, जैसे पर्याप्त पानी पीना, ताजा भोजन करना और हफ्ते में कुछ बार घर का बना संतुलित खाना खाना, आपकी सेहत को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।
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