आज के समय में लोग अपनी हेल्थ को लेकर ज्यादा कॉन्शियस हो गए हैं और यही वजह है कि वे अपने खाने पर ज्यादा फोकस करने लगे हैं। आमतौर पर, जब भी हेल्दी खाने की बात आती है, तो सबसे बड़ा कंफ्यूजन होता है कि क्या हमें घर का बना हुआ खाना चाहिए या फिर नए जमाने के ट्रेन्ड मसलन डाइट फूड खाया जाए। एक तरफ जहां मम्मी के हाथों के दाल-चावल व रोटी-सब्ज़ी सिर्फ आपका पेट ही नहीं भरते, बल्कि इससे आपके मन को भी एक अजीब तरह का सुकून मिलता है।
वहीं, दूसरी ओर लो कैलोरी व डाइट फूड माने जाने वाले ओट्स, क्विनोआ बाउल, प्रोटीन बार्स आपको फिट रहने का दावा करते हैं। जिसकी वजह से यह समझ ही नहीं आता है कि वास्तव में क्या खाया जाए और क्या नहीं। हम सभी के मन में यह सवाल जरूर आता है कि क्या हमेशा घर का खाना बेहतर होता है या फिर वाकई डाइट फूड से वज़न घटता है और स्किन ग्लो करती है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डाइटीशियन रितु पुरी आपको घर के बने खाने और डाइट फूड के बीच के अंतर के बारे में बता रही हैं।
घर के बने खाने में दाल, रोटी, सब्जी, चावल, कभी-कभी पराठा या पुलाव आदि को बनाया जाता है और लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं। इस खाने का फायदा यह होता है कि आपको पूरी जानकारी होती है कि खाने में क्या डाला जा रहा है। इसमें किसी तरह के प्रिज़र्वेटिव्स या केमिकल्स नहीं होते। साथ ही, घर का बना खाना फ्रेश होता है, जिससे आपको काफी अच्छा टेस्ट मिलता है। इसके अलावा, आप स्वाद के अनुसार इसमें मसाले व तेल की मात्रा को भी तय कर सकते हैं।
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कई बार हम टेस्ट के चक्कर में बहुत अधिक घी, मक्खन आदि का इस्तेमाल करते हैं या फिर तला हुआ पापड़ व पैकेज्ड अचार को खाने के साथ खाते हैं। बहुत ज्यादा सफेद कार्ब्स जैसे केवल चावल या मैदा खाना भी अच्छा नहीं माना जाता है, यह वजन कम नहीं, बल्कि बढ़ा सकते हैं।
आज के समय में लोग वेट लॉस या फिर हेल्दी रहने के चक्कर में डाइट फूड लेते हैं, जिसमें ओट्स, सलाद, क्विनोआ बाउल्स, स्मूदीज व उबली हुई सब्ज़ियों को शामिल किया जाता है। कैलोरी कंट्रोल के लिए इन्हें अच्छा माना जाता है, क्योंकि अक्सर इसमें कम कैलोरी, फैट, शुगर वगैरह में होता है। साथ ही, कई डाइट फूड्स प्रोटीन की मात्रा बढ़ाकर वेट लॉस या फिटनेस में मदद करते हैं। इतना ही नहीं, इसमें कोई डीप फ्राइंग, शुगर या मैदा नहीं होती, जिसकी वजह से इसे हेल्दी माना जाता है।
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कभी-कभी ये उबाऊ या बहुत ही लाइट लगता है। जिससे तरह-तरह की फूड क्रेविंग्स होती हैं। कई बार डाइट स्नैक्स, प्रोटीन बार्स, या क्विनोआ खरीदना हमेशा बजट में नहीं होता।
एक बैलेंस्ड घर का बना खाना डाइट फूड से ज्यादा अच्छा माना जाता है। यह आपको फुलर फील करवाता है, जिससे आप अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं। लेकिन अगर आप किसी खास फिटनेस गोल को पूरा करना चाहते हैं तो ऐसे में डाइट फूड का सेवन करना अधिक बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है।
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