यह तो हम सभी जानते हैं कि ब्रेकफास्ट हमारे दिन का सबसे पहला और मुख्य मील होता है। अमूमन अपने ब्रेकफास्ट में हम ऐसी आइटम्स को शामिल करना पसंद करते हैं, जो झटपट बन जाए और साथ ही साथ हमें अधिक एनर्जेटिक भी फील करवाए। हालांकि, जब आप अपना ब्रेकफास्ट तैयार करते हैं तो आपको अपने डाइजेस्टिव हेल्थ का भी ख्याल रखना चाहिए। अगर आपका ब्रेकफास्ट गट फ्रेंडली होता है तो इसका पॉजिटिव असर आपकी ओवर ऑल हेल्थ पर पड़ता है।
गट हेल्थ का ख्याल रखना कई मायनों में बेहद जरूरी माना गया है, यह न केवल हमारे भोजन से एनर्जी को कनवर्ट करता है, बल्कि यह हमारे अधिकांश न्यूरोट्रांसमीटर भी बनाता है। इसका पॉजिटिव असर इम्यून सिस्टम पर देखने को भी मिलता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने नाश्ते को फाइबर रिच बनाएं, जिससे गट हेल्थ को सपोर्ट मिले। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको अपने ब्रेकफास्ट में शामिल करके अपनी गट हेल्थ का ख्याल रखना चाहिए-
अगर आप एक क्विक लेकिन गट फ्रेंडली ब्रेकफास्ट करना चाहती हैं तो ऐसे में पोहा बनाकर खाया जा सकता है। पोहा काफी लाइट होता है और यह आसानी से पच जाता है। अगर आप इसे बनाते समय मटर, गाजर और पालक जैसी सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपको पर्याप्त फाइबर भी मिलता है। वहीं, इसमें नट्स् और सीड्स शामिल करने से आपको हेल्दी फैट्स मिलते हैं, जो पाचन में सहायता करते हैं। फाइबर और हेल्दी फैट का कॉम्बिनेशन गट हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है।
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नाश्ते में ओट्स खिचड़ी बनाना भी अच्छा विचार है। दरअसल, ओट्स में सॉल्यूबर फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। यह एक प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है और गुड बैक्टीरिया को पोषण देता है। अगर आप खिचड़ी बनाते समय इसमें पालक, गाजर और मटर जैसी सब्ज़ियों को मिलाते हैं तो इससे अतिरिक्त फाइबर और पोषण मिलता है। फाइबर की अधिकता के कारण आपको कब्ज आदि की शिकायत का सामना नहीं करना पड़ता है।
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अधिकतर भारतीय घरों में लोग नाश्ते में बेसन चीला खाना पसंद करते हैं। इसे गट हेल्थ के लिए भी उतना ही अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें साल्यूबल फाइबर पाया जाता है। बेसन में मौजूद फाइबर गुड गट बैक्टीरिया को सपोर्ट करता है और पाचन से जुड़ी परेशानियों को दूर करता है। अगर आप चीला बनाते समय उसमें प्याज, टमाटर और हरी मिर्च जैसी सब्जियां मिलाते हैं तो इससे आपको अन्य कई तरह के पोषक तत्व भी मिलते हैं। बेसन का चीला खाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप ग्लूटेन फ्री डाइट पर हैं या फिर आपको ग्लूटेन सेंसिटिविटी है तो भी आप इसे खा सकते हैं।
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अगर आपको साउथ इंडियन फूड खाना काफी अच्छा लगता है तो ऐसे में आप इडली सांभर बनाकर खाएं। इडली को चावल और उड़द दाल के बैटर से बनाया जाता है। यह एक फरमेंटेड फूड है, जो गट में गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है। वहीं, सांभर में ड्रमस्टिक, गाजर और टमाटर जैसी सब्जियां होती हैं। इनमें फाइबर कंटेंट अधिक होने पर पाचन तंत्र पर अच्छा असर पड़ता है।
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