आज के समय में हर व्यक्ति ज्यादा फिट दिखना चाहता है और एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीना चाहता है। इसके लिए सबसे जरूरी होता है कि आप अपनी डाइट पर फोकस करें। जब आपकी डाइट अच्छी होती है और आप अपने हेल्थ कंसर्न को ध्यान में रखते हुए डाइट लेते हैं तो इससे आपको काफी अच्छे रिजल्ट मिलते हैं। हालांकि, ऐसी कई डाइट हैं, जो पूरी दुनिया में बहुत पॉपुलर हैं और अधिकतर लोग उन्हें फॉलो कर रहे हैं।
मसलन, कीटो डाइट और इंटरमिटेंट फास्टिंग को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। खासतौर से, जो लोग वेट लॉस करना चाहते हैं, उनके लिए ये डाइट काफी अच्छी मानी जा रही हैं। हालांकि, कई बार लोग इस बात को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं कि उन्हें इनमें से किस डाइट को फॉलो करना चाहिए, जिससे उन्हें अधिक फायदा हो। दरअसल, दोनों ही डाइट के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, इसलिए किसी भी डाइट को शुरू करने से पहले आपको इन दोनों के फायदे व नुकसान के बारे में जान लेना चाहिए, जिससे आप खुद के लिए एक बेस्ट डाइट सलेक्ट कर पाएं-
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे व नुकसान
- इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करते हुए आपको अपनी ईटिंग को टाइम बाउंड करना पड़ता है। इस डाइट में ईटिंग विंडो व फास्टिंग विंडो होता है। टाइम रिस्ट्रिक्शन होने की वजह से व्यक्ति अपेक्षाकृत कम कैलोरी इनटेक करता है।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग मेटाबॉलिज्म व इंसुलिन सेंसेटिविटी को बेहतर बनाती है। जिससे फैट बर्निंग में मदद मिलती है।
- इसमें आपको कैलोरी गिनने या मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को ट्रैक करने की आवश्यकता नहीं है। यह इस बारे में अधिक है कि आप कब खाते हैं, न कि आप क्या खाते हैं।
- इसमें फास्टिंग पीरियड अधिक चैलेंजिंग हो सकता है, खासकर शुरुआत में, जिससे भूख और चिड़चिड़ापन हो सकता है।
- कुछ खास बीमारियों वाले लोग, गर्भवती महिलाएं या फूड डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करना मुश्किल हो सकता है।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करने के लिए आपको खाने की टाइमिंग को लेकर सख्त होना पड़ता है और इसलिए हर किसी के शेड्यूल में फिट नहीं हो सकता है।
कीटो डाइट के फायदे व नुकसान

- कीटो डाइट एक हाई फैट डाइट है, जिसमें प्रोटीन को मॉडरेट और कार्बोहाइड्रेट को कम लिया जाता है। कीटो डाइट के अपने कई फायदे व नुकसान हैं-
- कीटो डाइट भूख को कम करने और फैट बर्न करने में मदद करते हैं, जिससे वेट लॉस करना आसान हो जाता है।
- कीटो डाइट ब्लड शुगर लेवल को कम करने और इंसुलिन सेंसेटिविटी में इंप्रूव करने में सहायक है, इसलिए इसे टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए काफी अच्छा माना जाता है।
- इसमें कार्ब्स अधिक ना होने के कारण ब्लड शुगर क्रेश की शिकायत नहीं होती है, जिससे आपका एनर्जी लेवल स्टेबल रहता है।
- कीटो डाइट में हाई फैट कंटेंट आपको फुलर होने का अहसास करवाता है, जिससे आपका ओवरऑल कैलोरी इनटेक कम हो जाता है।
- चूंकि, कीटो आहार बहुत अधिक रिस्ट्रिक्टिव होती है, जिससे लंबे समय तक इसे फॉलो करना मुश्किल होता है। इसके लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की सावधानीपूर्वक ट्रैकिंग की आवश्यकता होती है।
- जैसे-जैसे शरीर कीटोसिस के अनुकूल होता है, आपको थकान, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन सहित फ्लू जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
- कीटो डाइट में कई फलों, अनाज और सब्जियों को अक्सर अवॉयड किया जाता है, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
किसे करें फॉलो

- अब सवाल यह उठता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग और कीटो डाइट में किसे फॉलो किया जाए। इसका चयन आपको अपने हेल्थ कंसर्न को ध्यान में रखकर करना चाहिए। मसलन-
- वजन कम करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग और कीटो डाइट दोनों ही फायदेमंद है। इंटरमिटेंट फास्टिंग उनके लिए अच्छी है, जो अपने फूड आइटम्स को लेकर रिस्ट्रिक्ट नहीं होना चाहते हैं। वहीं, जो लोग समय के प्रति पाबंध नहीं हो सकते हैं, उनके लिए कीटो डाइट अच्छी है।
- कीटो डाइट ब्लड शुगर और इंसुलिन लेवल पर तुरंत असर डालती है, जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग फॉलो करते समय भी इंसुलिन सेंसेटिविटी बेहतर होती है, लेकिन इसमें कुछ वक्त लग सकता है।
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Image Credit- freepik
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