दाल को पकाने से पहले भिगोना क्यों है जरूरी? बस 4 घंटे भिगोने से होगा गजब का फायदा

क्या आपको पता है कि अगर दालों को कुछ देर भिगोया जाए, तो उनसे आपको कितना फायदा पहुंचेगा? चलिए इस लेख में आपको बताओं की दाल को पहले भिगोना जरूरी क्यों होता है और उससे आपका काम कैसे आसान हो सकता है?
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हम में से कई लोग समय की कमी के कारण दाल को बिना भिगोए ही सीधा कुकर में डाल देते हैं। मगर अगर आप शेफ्स और विशेषज्ञों की मानें तो दाल को पकाने से पहले कुछ घंटे पानी में भिगोना न सिर्फ कुकिंग को आसान बनाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है।

हम लोग छोले, राजमा और चने जैसी दालों को ही भिगोते हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि बाकी दालों को भी भिगोया जाना चाहिए। इससे उन्हें पकाने में टाइम कम लगता है। इस एक आसान-सी आदत से न सिर्फ आपकी दाल जल्दी पकती है, बल्कि गैस की बचत होती है और स्वाद भी बेहतर होता है। आइए जानते हैं, क्यों दाल भिगोना जरूरी है और दाल को कितनी देर के लिए भिगोना चाहिए?

क्यों है जरूरी दाल को भिगोना?

दालों में पाए जाने वाले फाइटिक एसिड और टैनिन जैसे एंटी-न्यूट्रिएंट्स शरीर में आयरन और जिंक को अब्जॉर्ब करने से रोक सकते हैं। जब आप दाल को भिगोती हैं, तो ये घट जाते हैं और पोषक तत्व अच्छे से मिलते हैं।

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वहीं, भिगोने से दाल के अंदर मौजूद कुछ जटिल शर्कराएं और प्रोटीन टूट जाते हैं जिससे ये आसानी से पचती हैं। इससे गैस, अपच और ब्लोटिंग की दिक्कतें कम होती हैं। इतना ही नहीं, दाल भिगोने से आपके लिए खाना बनाना आसन हो जाता है और इससे आपकी कुकिंग काफी ईजी हो जाती है-

तेजी से पकती है दाल:

भिगोने से दाल के दाने मुलायम हो जाते हैं जिससे वे जल्दी गलते हैं। इससे कुकर की सीटी भी कम लगती है और गैस की बचत होती है।

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समय और एनर्जी बचती है

एक सामान्य दाल जैसे कि मसूर या अरहर को बिना भिगोए पकाने में 6-7 सीटी लग सकती हैं, जबकि भिगोई गई दाल 2-3 सीटी में ही पक जाती है। इससे न सिर्फ आपका समय बचेगा, बल्कि एलपीजी गैस की खपत भी कम होगी।

स्वाद हो जाता है बेहतर

पानी में भीगने के बाद दाल में नमी आ जाती है जिससे वह पकने पर ज्यादा मलाईदार और स्वादिष्ट लगती है। साथ ही मसाले भी उसमें अच्छे से समा जाते हैं।

दाल को कितनी देर भिगोना चाहिए?

सभी दालों को भिगोना का समय अलग हो सकता है। कुछ दालों को 1 घंटे भिगोने की जरूरत होती है, तो कुछ दालों को 4-6 घंटे भिगोना पड़ता है।

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मसूर दाल की दाल पकने में ज्यादा समय नहीं लगता है, इसलिए इसे दो से ढाई घंटे भिगोकर रखना सही माना जाता है। मूंग दाल (छिलका/छिलके वाली) दाल को कम से कम 3-4 घंटे भिगोना चाहिए। अगर आप अरहर की दाल बना रही हैं, तो उसे पकाने से पहले कम से कम 4 घंटे भिगोना चाहिए। चने और उड़द दाल को 6 घंटे भिगोना चाहिए और राजमा या छोले को कम से कम 8-10 घंटे या रातभर भिगोना पड़ता है।

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दाल भिगोते समय न करें ये गलतियां-

  • कुछ लोग मसूर या अरहर की दाल को 12-14 घंटे तक भिगोए रखते हैं जिससे वह सड़ने लगती है और उसमें खमीर उठ सकता है। इससे बदबू आने लगती है और वह खाने लायक नहीं रहती।
  • भिगोने के बाद दाल का पानी फेंक दें क्योंकि इसमें एंटी-न्यूट्रिएंट्स घुल जाते हैं। हमेशा ताजे पानी में दाल पकाएं।
  • खुले में दाल भिगोने से उसमें धूल, कीड़े या बैक्टीरिया लग सकते हैं। इसे ढक कर रखें।
  • अगर तापमान ज्यादा है और दाल को 6-8 घंटे से ज्यादा भिगोना है तो फ्रिज में रखें, वरना पानी खट्टा हो सकता है। इससे दालें खराब हो सकती हैं।

अगली बार जब आप दाल बनाने की सोचें, तो उसे समय रहते भिगोना न भूलें। यह एक छोटी-सी आदत आपके किचन के काम को आसान कर सकती हैं। आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

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