जब भी लजीज खाने की बात की जाती है, तो दाल मखनी की बात जरूर की जाती है। कभी रोटी का स्वाद बढ़ाने के लिए, तो कभी चावल के साथ बड़े ही चाव से खाई जाती है। वहीं, आपकी थाली को संवारने और आपकी भूख को मिनटों में कम करने वाली यह दाल बड़ी मोहब्बत से बनाई जाती है।
हालांकि, कई बार एक ही स्वाद खाकर बोर हो जाते हैं। इसलिए लोग अरहर की दाल, मसूर की दाल ट्राई करते हैं। मगर आप दाल बुखारा भी ट्राई कर सकते हैं। हालांकि, कई लोगों को लगता है कि दाल बुखारा या दाल मखनी एक ही डिश है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें कुछ डिफरेंस हैं, जिसे हम इस लेख में आपके साथ साझा कर रहे हैं।
क्या है दाल मखनी?
दाल मखनी एक ऐसा भारतीय व्यंजन है, जो साबुत उड़द की दाल, राजमा, मक्खन और कई तरह के मसालों से तैयार किया जाता है। दाल मखनी बनाने के लिए आपको बहुत ज्यादा धैर्य की जरूरत होती है, क्योंकि इसकी तैयारी में थोड़ा ज्यादा समय लगता है।
यह मुख्य रूप से दिल्ली और पंजाब का व्यंजन है, जो अब पूरी दुनिया में अपनी जगह बना चुका है। यही नहीं दिल्ली में कई ऐसे रेस्टोरेंट भी हैं जो सिर्फ दाल मखनी के स्वाद के लिए ही जाने जाते हैं।
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क्या है दाल बुखारा?
दाल बुखारा एक पंजाबी डिश है, जिसमें घी और मक्खन का तड़का लगाया जाता है। इसे काली उड़द की दाल से बनाया जाता है। इसमें कोई भी तड़का नहीं लगाया जाता, बस मसालों से खेला जाता है। हां, इसमें दाल को अच्छी तरह से मैश किया जाता है।
मैश करने के बाद यह दाल मखनी टाइप बन जाती है। इसका रंग भी गहरा हो जाता है। बस आपकी दाल तैयार है जिसे गरमा-गरम रोटी या फिर नान के साथ सर्व किया जाता है।
बनाने की विधि में होता है अंतर
दाल मखनी बनाने के लिए दाल और राजमा को रात भर भिगोया जाता है और फिर धीमी आंच पर पकाया जाता है। साथ ही, इसमें मक्खन और क्रीम का काफी इस्तेमाल होता है, जिससे इसका नाम मखनी पड़ा है। इसमें टमाटर, अदरक-लहसुन का पेस्ट, और कई मसाले मिलाए जाते हैं।
वहीं, दाल बुखारा बनाने के लिए दाल को रात भर भिगोया जाता है। फिर धीमी आंच पर कई घंटे तक पकाया जाता है। इसमें भी मक्खन और क्रीम का उपयोग होता है, लेकिन मक्खन ज्यादा डाला जाता है। इसमें टमाटर की मात्रा अधिक होती है, जिससे इसका स्वाद थोड़ा अलग और अधिक टमाटरी होता है।
स्वाद में पाया जाता है अंतर
दाल मखनी और दाल बुखारा के स्वाद में काफी अंतर होता है। मखनी बहुत ही क्रीमी होती है। इसमें मक्खन और क्रीम ज्यादा मात्रा में डाला जाता है। इससे इसका स्वाद गहरा और मखमली हो जाता है।
वहीं, दाल बुखारा यह भी क्रीमी और मसालों से भरपूर होती है। इसमें मक्खन का स्वाद ज्यादा आता है। इसमें क्रीम का उपयोग कम होता है, जिससे इसका स्वाद थोड़ा हल्का होता है।
प्याज-लहसुन के तड़के में अंतर
आपको लगता है कि प्याज-लहसुन को स्वाद बढ़ाने का काम करता है, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर आप दाल बुखारा में प्याज-लहसुन का इस्तेमालकरते हैं, तो स्वाद बेकार हो सकता है। वहीं, दाल मखनी में इन सामग्रियों का तड़का स्वाद को दोगुना बढ़ा देती है।
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दाल मखनी में इसका इस्तेमाल दो तरह से किया जाता है। पहले इसके अंदर इन सामग्रियों को डाला जाता है और फिर ऊपर से तड़का लगाया जाता है।
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