मोटा अनाज मतलब जानती हैं क्या आप?
गेहूं और चावल नहीं बल्कि हम बात कर रहे हैं मोटे अनाज की। मोटा अनाज खाने से आप मोटी नहीं होंगी। किसी तरह की बीमारी नहीं होगी और हमेशा एक्टिव रहेंगी। इसलिए तो भारत सरकार इस साल को मोटा अनाज वर्ष की तरह मना रही हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र संघ खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के महासचिव जोस ग्रेजियानो डा सिल्वा को ‘वर्ष 2019 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ (International Year of Millets) घोषित करने हेतु प्रस्ताव भेजा है। ध्यातव्य है कि भारत द्वारा वर्ष 2018 को ‘राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने 1-5 अक्टूबर, 2018 के मध्य रोम में प्रस्तावित ‘कृषि पर समिति (Coag) के 26वें सत्र’ में इस प्रस्ताव को शामिल किए जाने का निवेदन किया है।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल, 2018 में भारत सरकार ने मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने के लिए इन फसलों को ‘पोषक-अनाज’ (Nutricereals) के रूप में अधिसूचित किया है और पोषणीय सहायता में सुधार हेतु इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल करने की अनमुति प्रदान की है। (Read More: ब्रेकफास्ट में Oats खाएं या Cornflakes खाएं?)
पोषक अनाज के रूप में वर्गीकृत कदन्नों में जवार, बाजार, रागी, कंगनी/काकुन, कुट्टू आदि शामिल हैं।
शहरों में रहने वाले लोगों को मोटे अनाज के फायदे नहीं मालूम हैं और वे खाने में इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। जबकि वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर बताया है कि ज्वार खाने से कुपोषण की समस्या नहीं होती है। ज्वार में सारे पोषक-तत्व होते हैं जबकि गेहूं में केवल कार्बेहाईड्रेट होता है।
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रागी खाने के भी कई सारे फायदे हैं। रागी में कैल्शियम काफी मात्रा में होता है जिससे इसे खाने से हड्डियों की समस्या नहीं होती है। इसलिए जो लोग ऑस्टेपेनिया के शिकार हैं उनको रागी खाने से कई सारे फायदे होते हैँ। इसी तरह से लैक्टोज़ की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए भी रागी काफी फायदेमंद है। इसलिए रागी का इस्तेमाल छोटे बच्चों के भोजन में भी होता है।
ओट्स आसानी से पच जाता है। इसमें फाइबर उच्चा मात्रा में होते हैं। साथ ही यह कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट का भी स्रोत है। ओट्स हृदय संबंधी बीमारियों को ठीक करता है। इसी तरह से जौ खाने से ब्लड कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहता है। मक्का खाने से शरीर में कमजोरी नहीं होती है।
मोटे अनाजों के यही सब फायदों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए सरकार अगले साल को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ के तौर पर मनाना चाहती है।
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