लखनऊ खाने की दुनिया में अपने समृद्धि और स्वादिष्ट अवधि करी के लिए जाना जाता है। पर ये करीज स्वादिष्ट तब तक नहीं लगतीं जब तक इ्नका मजा शीरमाल के साथ न लिया जाए। शीरमाल एक थोड़ी-सी मीठी, तंदूरी केसर वाली नान होती है, जिसे रमजान के इफ्तार में भी खूब खाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि अवध के नवाबों के किचन में ही इस डिश की उत्पत्ति हुई। बावर्ची या रकाबदारों ने केसर और इलायची जैसे मसालों के साथ तंदूर में इस नान को बनाया और फिर यह हमारे खाने का भी अहम हिस्सा बन गई।
क्या वाकई नवाबों के शहर से इसके ताल्लुकात हैं या इसे किसी से प्रेरणा लेकर बनाया गया। शीरमाल नान के इतिहास के बारे में आइए आप और हम भी जानें।
क्या फारस से आई शीरमाल नान?
कुछ कहानियों की मानें, तो शीरमाल की उत्पत्ति फारस में बताई जाती है और कहा जाता है कि इसने सिल्क रोड के माध्यम से भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की यात्रा की। हालांकि, किंवदंती यह है कि नान अवध के पहले राजा गाज़ीउद्दीन हैदर के शासनकाल के दौरान एक प्रयोग का परिणाम था। जब उन्होंने अपने खानसामों के आगे एक नई प्रकार की रोटी बनाने का अनुरोध किया था। शीरमल, महमूद नामक एक स्थानीय बेकर द्वारा तैयार की गई थी, जिन्हें निहारी के आविष्कार का श्रेय भी दिया जाता है।
भारतीय उपमहाद्वीप के भीतर, मुगल अपने साथ शीरमल ले जाते थे। गलौटी कबाब, जो लखनऊ के नवाब के लिए बनाए गए थे, शीरमल के अंदर भरे रहते थे। मैदे और केसर के साथ बनाया गया, इस नान को दूध से नरम किया जाता है (फारसी में शीर का मतलब दूध होता है)। इसका एक डेलिकेट फेल्वर होता है।
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भारतीय शहरों में हैं शीरमाल के अलग वर्जन
विभिन्न भारतीय शहरों में शीरमल के कई वर्जन्स हैं और यह आमतौर पर पुराने क्षेत्रों में खूब मिलती है। भारत के कई शहरों में शीरमाल गोल होती है, जिसे केसर के साथ बनाया जाता है। हालांकि, भोपाल में, यह एक आयताकार आकार लेता है। भैंस का दूध एक प्राकृतिक स्वीटनर है और इसका उपयोग शीरमल के लिए नरम आटा तैयार करने के लिए किया जाता है। कुछ रसोइए इसमें केवड़ा एसेंस भी डालते हैं और भोपाल में लौंग भी मिलाते हैं (नान के लिए परफेक्ट मैदा गूंथने के टिप्स)।
लखनऊ में तो शीरमल वाली गली भी है, जिसे नवाबों के शासनकाल के दौरान स्थापित किया गया था और यह बेकरियों से भरी एक पूरी गली है जो ताजा पके हुए ब्रेड की खुशबू से आपको मोह लेगी। इस गली में आपको अन्य प्रकार के फ्लैटब्रेड जैसे नान, बकर खानी और ताफ्तान आदि भी मिलेंगे।
एक फारसी कहावत है, "नान-ए-लखनऊ, शिरीन अस्त", जिसका मतलब है कि लखनऊ की शीरमल सबसे मीठी रोटी है।
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अब रेसिपी में होते हैं कई तरह के प्रयोग
आज के समय में इस पॉपुलर नान को कई अलग इंग्रीडिएंट्स से मिलाकर बनाया जाता है। शीरमाल को अब व्यावसायिक रूप से बेक किया जाता है और भारत के विभिन्न हिस्सों में इसकी अलग-अलग रेसिपी तैयार की जाती है। ब्रेड को नरम बनाने के लिए कुछ रसोइया बेकिंग सोडा का इस्तेमाल एक लीवनिंग एजेंट के रूप में भी करते हैं।
वहीं, फारस से जब यह रेसिपी दुनिया भर में आई, तो इसकी ओरिजनल रेसिपी में बेकिंग सोडा, इलायची और अन्य मसाले शामिल नहीं थे। हालांकि ऐसा नहीं है कि आज इसमें किसी बदलाव से इसकी पुरानी यादें खो गई हैं। आज भी शीरमल नवाबों के दिनों की एक मीठी याद दिलाती है।
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