समय के साथ-साथ हमारी शादियों में शामिल हो रहे खाने का स्वाद भी बदलता जा रहा है। आज के दौर में पिज्जा, पास्ता, मंचूरियन और इंटरनेशनल कुजीन ने पारंपरिक व्यंजनों की जगह ले ली है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब दादी-नानी के समय में शादी होती थी, तो मेहमान किस स्वाद से फूले नहीं समाते थे? वो देसी खुशबू, मिट्टी की सौंधी महक और घर की रसोई से निकला हुआ प्यार भरा खाना आज के मेन्यू से लगभग गायब हो चुका है।
आज जब हम शादी के मेन्यू में कुछ अलग अनुभव देना चाहते हैं, तो यही भूले-बिसरे पारंपरिक व्यंजन हमारी सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं। ये डिशेज न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि उनमें हमारी संस्कृति, परंपरा और भावनाओं की भी मिठास घुली होती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे पारंपरिक व्यंजन जिन्हें अपनी शादी के मेन्यू में शामिल करके आप अपने मेहमानों के दिलों को जीत सकते हैं।
राजस्थान की शान मानी जाने वाली दाल बाटी चूरमा न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि यह हर उम्र के मेहमानों को पसंद आती है। तंदूर में सिंकी बाटी, देसी घी में तैरता हुआ चूरमा और मसालेदार पंचमेल दाल, इन तीनों का संगम शादी के मेन्यू को राजसी बना सकता है। खास बात यह है कि इसे बड़े पैमाने पर भी आसानी से परोसा जा सकता है।
सुबह के नाश्ते में जब शादी के घर में गर्मागरम कचौरी और मसालेदार आलू की सब्जी परोसी जाती थी, तो मेहमान तारीफ किए बिना नहीं रह पाते थे। आज कुछ ही ही क्षेत्रों में कचौरी और आलू की सब्जी नाश्ते में परोसी जाती है। आप भी शादी के फंक्शन में इसे स्टॉल के रूप में रखकर नॉस्टैल्जिया का तड़का लगा सकते हैं।
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मिठास के बिना कोई भी शादी पूरी नहीं होती। आज तो शादियों में 3-4 तरह के डेजर्ट होते हैं। मगर एक समय था जब खीर और मालपुआ बड़े चाव से परोसे जाते थे। दूध और इलायची से बनी ये पारंपरिक मिठाई शादी में मिठास घोलती थी। वहीं, घी में तली हुआ और चाशनी में भीगा मालपुआ रबड़ी के साथ रंग जमाता था। आज के समय में इन दोनों को लाइव काउंटर पर परोसकर आप पुराने समय की यादें ताजा कर सकते हैं।
दादी-नानी के हाथ से बने आलू, पनीर या गोभी के भरवा परांठे भी कभी शादी समारोह का हिस्सा हुआ करते थे। घर पर बने सफेद मक्खन या देसी घी से चुपड़े हुए ये परांठे अगर दही या अचार के साथ परोसे जाएं तो मेहमान उंगलियां चाटते रह जाएंगे। इन्हें आप सुबह के नाश्ते में परोस सकते हैं या शाम की आरती के बाद चाय के साथ परोस सकते हैं।
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गांव की शादियों में बाजरे की मोटी रोटियां और साथ में परोसा गया ताजा गुड़ एक खासियत होती थी। अब तो बाजरा देखने को भी कम ही मिलता है। फिटनेस पसंद लोग अब इसे पसंद करने लगे हैं, लेकिन एक समय में लोग इसका सेवन ज्यादा करते थे। अगर आप अपनी शादी में देसी टच चाहते हैं तो एक ट्रेडिशनल फूड सेक्शन बनाकर इसे जरूर शामिल करें।
उत्तर भारत में एक जमाने में शादी का जश्न बेगानी पूड़ी और गरमागरम कढ़ी के बिना अधूरा माना जाता था। बेगानी पूड़ी यानी ऐसी पूड़ी जो बेसन या मसाले के साथ बनाई जाती है। इसे हल्के खट्टे स्वाद वाली कढ़ी के साथ परोसना मेहमानों को घर जैसा अपनापन देगा। आप भी उत्तर भारत की इस डिश को अपने मेन्यू में शामिल करें।
आज जब हम हर चीज में कुछ नया और अनोखा ढूंढ़ते हैं, तो क्यों न अपनी जड़ों से जुड़कर उस मिठास को वापस लाया जाए, जो हमारे पूर्वजों ने हमें विरासत में दी थी?
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