देशभर में धूमधाम से जन्माष्टमी के उत्सव की धूमधाम है। माना जाता है कि आज कान्हा ने जन्म लिया था और सृष्टि का उद्धार करने के लिए वह धरती पर आए थे। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई श्रीकृष्ण के रंग में रंगा नजर आ रहा है। जहां छोटे बच्चे नन्हे कान्हा और राधा बने हुए हैं, वहीं बड़े श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने की तैयारियों में लगे हैं। इस मौके पर घर और मंदिरों को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ सजाया रहा है। इस दिन लगने वाली श्रीकृष्ण की झांकियां सबका मन मोह लेती हैं। हर ओर कान्हा के गीतों और भजन की गूंज के साथ जन्माष्टमी का उत्सव और भी उल्लासपूर्ण हो जाता है। वैसे इस बार की जन्माष्टमी इसलिए खास है, क्योंकि यह दो दिन मनाई जा रही है। आज बाल-गोपाल को भोग लगाने के लिए घर में विशेष व्यंजन बनाए जा रहे हैं। इनमें पंजीरी और 56 प्रकार के भोग की विशेष मान्यता है और यह सदियों से चली आ रही है।
माना जाता है कि छप्पन भोग से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। भगवान को 56 भोग चढ़ाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि गोकुल धाम में जब नन्हे कान्हा अपनी यशोदा मां के साथ रहते थे, तब मां हर दिन आठों पहर उन्हें भोजन देती थीं। कान्हा अपनी मां के हाथों से ये भोजन लेते थे। लेकिन इसके बाद गोकुल धाम में एक ऐसी विपदा आई कि कान्हा को लगातार कई दिन तक भूखा रहना पड़ गया।
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दरअसल इंद्रदेव ने गोकुल पर घनघोर वर्षा कर दी। लगातार हो रही बारिश से गोकुल वासी परेशान होने लगे। इस पर कृष्ण ने गोकुल वासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक ऊंगली पर उठा लिया और लगातार 7 दिन तक इसी तरह खड़े रहे, जब तक बारिश बंद नहीं हो गई।
56 भोग में होती हैं कान्हा की पसंद की चीजें
जब बारिश बंद हुई तो गोकुल वासियों को राहत मिली और वे गोवर्धन पर्वत के नीचे से बाहर आ गए। लेकिन इस दौरान गोकुल वासियों को इस बात का अहसास हुआ कि कान्हा ने सात दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए उनकी रक्षा की। इस दौरान श्री कृष्ण को जोरों की भूख लगी थी। तब माता यशोदा और सभी गोकुलवासियों ने मिलकर अपने आराध्य देव के लिए सातों दिन के आठ पहर की गणना करते हुए उनके लिए 56 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन पकाए। विशेष बात ये है कि 56 भोग में वही व्यंजन होते हैं, जो कान्हा को पसंद हैं। ये व्यंजन बनाते हुए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है ।
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56 भोग में होते हैं ये फूड आइटम्स
हमारे देश में श्रीकृष्ण के लिए स्वादिष्ट 56 भोग चढ़ाए जाने की परंपरा सदियों से रही है। जन्माष्टमी की रात को भगवान के पैदा होने की खुशी में धनिये की पंजीरी का प्रसाद बनाया जाता है। 56 भोग में पंजीरी के अलावा अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी अलग-अलग फूड आइटम्स शामिल होते हैं।
विशेष रूप से बनने वाले सभी पकवान शुद्ध देसी घी में तैयार किए जाते हैं। महिलाएं 56 भोग बनाने के लिए तैयारियां काफी पहले से शुरू कर देती हैं और जन्माष्टमी के दिन 56 भोग तैयार करने मेंं घर-परिवार के सभी लोग बढ़-चढ़कर सहयोग देते हैं।
56 तरह के फूड आइटम्स में बहुत सी महिलाएं 20 तरह की मिठाइयां, 16 तरह की नमकीन और 20 तरह के ड्राई फ्रूट्स भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं। आमतौर पर इस विशेष दिन के विशेष भोग में कान्हा को माखन मिश्री, खीर, बादाम का दूध, काजू, बादाम, पिस्ता, रसगुल्ला, जलेबी, लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मूंग दाल का हलवा, मोहनभोग आदि चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा चटनी, पकौड़े, टिक्की, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूड़ियां, मुरब्बा, साग, दही, चावल, इलायची, दाल, कढ़ी, घेवर, चिला और पापड़ आदि भी 56 भोग का हिस्सा होते हैं।
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इन तरह-तरह के व्यंजनों का भगवान को भोग लगाने के बाद ही घर-परिवार के लोग खाना खाते हैं। आज के दिन बच्चे विशेष रूप से कृष्ण अवतार में सजने-संवरने, खेलने-कूदने, बांसुरी बजाने और राधा-कृष्ण के गानों पर डांस करने का मजा लेते हैं।
हमारी यही दुआ है कि जन्माष्टमी का दिन आपके लिए बेहद शुभ रहे और आप अपने पूरे परिवार के साथ इसे धूमधाम के साथ सेलिब्रेट करें।