सफेद चाय: दुनिया की सबसे महंगी चाय है, बनती है ऐसी

क्या आपको मालूम है कि दुनिया की सबसे महंगी चाय कौन सी है? इसका जवाब छुपा है सफेद चाय में। सफेद चाय मतलब सफेद पत्तियों से बनने वाली चाय। 

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क्या आपको मालूम है कि दुनिया की सबसे महंगी चाय कौन सी है? इसका जवाब छुपा है सफेद चाय में।

सफेद चाय मतलब कुछ लोग दूध से बनी चाय समझते हैं। जबकि वो दूध वाली चाय होती है। सफेद चाय तो सफेद पत्तियों से बनती है जो हेल्दी होती है और काफी महंगी होती है।

सर्दी में पिएं

सर्दी आने वाली है। सर्दी में लोग छह से सात कप चाय पी लेते हैं। इतनी चाय पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अगर आप अपने स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं और चाय का मजा भी लेना चाहते हैं तो सफेद चाय पिए। सफेद चाय में कैफीन की मात्रा कम होती है।

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12 हजार रुपए किलो है

सफ़ेद चाय 12 हजार रुपए किलो बिकती है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सियांग जिले में स्थित डोनी पोलो चाय बागान ने सफेद चाय 12,001 रुपये प्रति किलो बेची है। अभ तक बेची गई सभी चाय में, इस चाय की कीमत सबसे ज्यादा है। इस चाय की पहली बार निलामी असम के गुवाहाटी स्थित टी नीलामी केंद्र (जीटीएसी) में की गई थी। जहां इस नई तरह की चाय ने सबसे ज्यादा कीमत हासिल कर यहां के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। (Read More:गुरुमान की राय इम्युनिटी बूस्ट करता है मसाला चाय, पिछले 38 साल से पी रहे हैं यह)

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क्या है सफेद चाय ?

सफेद चाय, सफेद पत्तियों से बनाई जाती है। ये पत्तियां चाय की कलियों और नई पत्तियों के आसपास के सफ़ेद रोएं/रेशे से मिलाकर बनाई जाती हैं। ये दिखने में हल्के ब्राउन या सफेद जैसे होते हैं इसलिए इसका नाम सफेद चाय पड़ गया। सफेद चाय को लेकर दुनिया में कोई एक राय नहीं है। कई जगहों पर ये कम प्रसंस्करण के साथ सुखाई गईं पत्तियों से बनाया जाता है तो कहीं कलियों से बनाया जाता है।

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काफी गुणकारी है यह चाय

  • यह चाय काफी गुणकारी है। इस कारण ही यह चाय काफी महंगी है और इसे ‘संजीवनी चाय’ कहते हैं।
  • इसमें कैफीन कम होती है जिससे भूख ना लगने की समस्या नहीं होती है। साथ ही नींद पर भी कोई असर नहीं डालती है।
  • वजन करने में भी सहायक होती है।
  • इससे झुर्रियां भी नहीं आती हैं।
  • मतलब बस एक कप सफ़ेद चाय और सभी शारीरिक परेशानियों की छुट्टी।

इसलिए है फायदेमंद

सफेद चाय का ना तो ऑक्सीकरण किया जाता है और न ही इसकी पत्तियों को कूटा-पीटा जाता है इसके परिणामस्वरूप इस चाय का स्वाद और रंग-रूप अपनी बिरादरी की हरी या पारंपरिक काली चाय की तुलना में हल्का होता है और इसलिए ही यह हेल्दी होती है।

इसे बिल्कुल उसी तरह बनाया जाता है जैसे अन्य चाय बनाए जाते हैं। तो फिर आज से पीना शुरू करे दें ये चाय।

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