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Shardiya Navratri 2025: कब करें कलश स्थापना, नवरात्रि के 9 दिनों में क्या पहनें और माता दुर्गा पूजा विधि समेत यहां लें त्योहार की पूरी जानकारी

Shardiya Navratri Puja Muhurat 2025: अगर आप नवरात्रि के शुभ समय में माता दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक करती हैं तो आपको पूजा की सही विधि, नौ दिनों के भोग, माता के विभिन्न स्वरूप और इस पर्व से जुड़ी कई बातों की पूरी जानकारी भी होनी चाहिए। आइए आपको बताते हैं इस साल शारदीय नवरात्रि की सही तिथि और कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त के साथ अन्य जरूरी बातें।
Editorial
Updated:- 2025-09-18, 17:37 IST

शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से नवरात्रि आरंभ होता है और दशहरा के साथ इस उत्सव का समापन होता है। इस पर्व को माता दुर्गा की आराधना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ हो रही है और 2 अक्टूबर को दशहरा के साथ इसका समापन होगा। चारों तरफ नवरात्रि और दुर्गा पूजा की धूम है और भक्तों ने माता के आगमन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस साल माता का आगमन हाथी पर हो रहा है जो बहुत शुभ माना जाता है और इससे आपके जीवन में भी बहुत से सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। अगर आप भी माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के आगमन की तैयारी कर रही हैं और शारदीय नवरात्रि का उपवास करती हैं तो इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, माता के विभिन्न स्वरूपों के अलग-अलग रंग और भोग के बारे में जानकारी लेनी जरूरी है। शारदीय नवरात्रि की धूम न सिर्फ भक्तों के बीच है बल्कि गूगल ट्रेंड में भी इस पर्व को लेकर भक्तों में मन में कई सवाल हैं। शारदीय नवरात्रि की पूजा से जुड़े कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए उनसे जानें इस पर्व और माता दुर्गा के 9 स्वरूपों के बारे में विस्तार से।

2025 में शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हो रही है?

  • हर साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। यह हर साल पितृ पक्ष के समापन यानी सर्वपितृ अमावस्या के ठीक दूसरे दिन आरंभ होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से आरंभ हो रही है।
  • आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 21 सितंबर, रविवार मध्य रात्रि 1 बजकर 23 मिनट से हो रहा है।
  • आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि का समापन 22 सितंबर, सोमवार रात्रि 2 बजकर 55 मिनट पर होगा।
  • उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ हो रही है और इसी दिन कलश स्थापना करना भी शुभ होगा।

kalash sthapna ka muhurat

2025 में नवरात्रि कलश स्थापना का मुहूर्त क्या है? 

  • अगर आप भी शारदीय नवरात्रि पर कलश स्थापना करती हैं तो इसका शुभ मुहूर्त जान लेना जरूरी है।
  • कलश स्थापना के लिए ब्रह्म मुहूर्त: 22 सितंबर 2025, प्रातः 04:43 बजे से प्रातः 05:31 बजे तक
  • कलश स्थापना प्रातः काल का मुहूर्त: 22 सितंबर 2025, प्रातः 06:09 बजे से 08:06 बजे तक
  • कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त: 22 सितंबर 2025, प्रातः 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक
  • यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में किसी वजह से कलश स्थापना नहीं कर पा रही हैं तो इस दिन का अभिजीत मुहूर्त भी बहुत शुभ है।

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शारदीय नवरात्रि की पूजा कैसे करें? 

  • शारदीय नवरात्रि की पूजा से पहले आपको नवरात्रि पूजा की पूरी सामग्री इकठ्ठा करने की आवश्यकता होती है।
  • शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि में सबसे मुख्य कलश स्थापना होती है। कलश स्थापना के लिए आपको एक प्याले की जरूरत होगी जिसमें आप जौ ऊगा सकती हैं।
  • प्याले में मिट्टी भरें और उसमें जौ डालें। उसके ऊपर एक कलश रखें जिसमें जल भरें और उसके भीतर एक सिक्का रखें। कलश में मौली या कलावा बांधें और इसमें आम के 5 पत्ते रखें और ऊपर से नारियल रखें। नारियल में आप एक लाल चुनरी लपेटें या कलावा बांधें।
  • कलश के पास अखंड ज्योति जलाना बहुत शुभ माना जाता है। आप अगर कलावा डालकर अखंड ज्योति की बाती तैयार करती हैं तो ये बहुत शुभ माना जाता है और ये पूरे नौ दिनों तक प्रज्वलित रहती है। 
  • आप पूजन शुरू करने से पहले घर के मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और सभी मूर्तियों को स्नान कराने के बाद नए वस्त्र पहनाएं।
  • एक चौकी में लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उसमें माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। माता दुर्गा को नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
  • पूजा शुरू करते समय माता को चुनरी ओढ़ाएं और लाल सिंदूर लगाएं। पूजा में सबसे प्रमुख होता है दुर्गा सप्तशती का पाठ करना।
  • नवरात्रि के नौ दिनों में आपको नियमित रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
  • पूजन के बाद माता की आरती जरूर करनी चाहिए।
  • यदि आप पूजन के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें तो आपके जीवन में इसके सकारात्मक लाभ हो सकते हैं।
  • आरती के बाद माता के 9 स्वरूपों को अलग-अलग दिन अलग भोग अर्पित करें।
  • नियमित पूजन में माता दुर्गा को लौंग का जोड़ा चढ़ाएं।

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शारदीय नवरात्रि में 9 दिन कौन-कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?

शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में अलग रंगों के वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का पूजन करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप माता के विभिन्न स्वरूपण के अनुसार ही वस्त्र धारण करती हैं और माता को भी उन्हीं रंगों के वस्त्रों से सुसज्जित करती हैं तो पूजन का पूर्ण फल मिल सकता है। आइए जानें इन शुभ रंगों के बारे में यहां-

शारदीय नवरात्रि तिथि   माता का स्वरूप  शुभ रंग 
22 सितंबर 2025, सोमवार मां शैलपुत्री सफेद रंग
23 सितंबर 2025, मंगलवार  मां ब्रह्मचारिणी लाल रंग
24 सितंबर 2025, बुधवार मां चंद्रघंटा रॉयल ब्लू 
25 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार मां चंद्रघंटा रॉयल ब्लू 
26 सितंबर 2025, शुक्रवार  मां कूष्माण्डा  पीला रंग
27 सितंबर 2025, शनिवार मां स्कंदमाता गहरा हरा 
28 सितंबर 2025, रविवार मां कात्यायनी स्लेटी रंग
29 सितंबर 2025, सोमवार मां कालरात्रि  नारंगी रंग
30 सितंबर 2025, मंगलवार मां महागौरी   पीकॉक ग्रीन  (हरा रंग)
01 अक्टूबर 2025, बुधवार  मां सिद्धिदात्री  गुलाबी रंग

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शारदीय नवरात्रि 9 दिन माता को क्या-क्या भोग लगाएं?

अगर आप नवरात्रि के नौ दिनों में माता के अलग स्वरूपों को भोग लगाती हैं तो ये जानना जरूरी है कि कौन सा भोग सबसे ज्यादा शुभ हो सकता है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप माता की पसंद के भोग उन्हें अर्पित करती हैं तो सदैव उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है।

माता का स्वरूप    क्या भोग लगाएं 
मां शैलपुत्री का भोग नवरात्रि के पहले दिन माता को घी का भोग लगाएं
मां ब्रह्मचारिणी का भोग नवरात्रि के दूसरे दिन माता को चीनी का भोग लगाएं
मां चंद्रघंटा का भोग नवरात्रि के तीसरे दिन माता को खीर का भोग लगाएं
मां कूष्माण्डा का भोग नवरात्रि के चौथे दिन माता को मालपुए का भोग लगाएं। 
मां स्कंदमाता का भोग नवरात्रि के पांचवें दिन माता को केले का भोग लगाएं। 
मां कात्यायनी का भोग नवरात्रि के छठे दिन माता को शहद का भोग लगाएं
मां कालरात्रि का भोग नवरात्रि के सातवें दिन माता को गुड़ का भोग लगाएं
मां महागौरी का भोग  नवरात्रि के आठवें दिन माता को नारियल का भोग लगाएं
मां सिद्धिदात्री का भोग नवरात्रि के नौवें दिन माता को सफेद तिल का भोग लगाएं
   

mata ke swaroop aur mantra

माता के 9 स्वरूप और उनके मंत्र

अगर आप शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करती हैं और उनके विशेष बीज मंत्रों का जाप करती हैं तो आपके घर में सदैव खुशहाली बनी रहती है। यही नहीं मंत्रों का जाप आपके आस-पास के वातावरण को भी सकरात्मक करता है। आइए आपको बताते हैं 9 दिनों के शुभ मंत्रों के बारे में -

माता का स्वरूप  माता के बीज मंत्र
प्रथम शैलपुत्री पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
द्वितीय ब्रह्मचारिणी पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम
तृतीय चंद्रघंटा पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघण्टायै नम:
चतुर्थ कूष्माण्डा पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नम:
पंचम स्कंदमाता पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:
षष्ठी कात्यायनी पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नम:
सप्तम कालरात्रि पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:
अष्टम महागौरी पूजा ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नम:
नवम सिद्धिदात्री पूजा  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:

शारदीय नवरात्रि का महत्व क्या है?

शारदीय नवरात्रि का महत्व सनातन धर्म में बहुत ज्यादा है। यह पर्व विशेष रूप से माता दुर्गा की पूजा का समय होता है, जिसमें भक्त नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की आराधना विधि-विधान से करते हैं। इस पर्व के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है जिसे अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। पुराणों में भी इस बात का वर्णन है कि माता दुर्गा ने महिषासुर जैसे राक्षस का वध करके धर्म की रक्षा की थी। नवरात्रि के दौरान, भक्त पूरे नौ दिन उपवास करते हैं और माता से घर की समृद्धि की कामना करते हैं। इस दौरान घर में कलश की स्थापना करना और ज्वार उगाना इस बात का प्रतीक होता है कि आप माता से घर की खुशहाली की कामना कर रही हैं। इस दौरान जगह-जगह पर दुर्गा पंडाल लगाए जाते हैं और लोग इन स्थानों पर एक साथ पूजन करते हैं जो सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक भी माने जाते हैं। शारदीय नवरात्रि का पर्व जीवन में सकारात्मकता, सुख-शांति और समृद्धि लाने का एक साधन होता है। यह न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का अवसर भी है।

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में उपवास, पूजा, कलश स्थापना और भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है, जो न केवल भक्तों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। इस पर्व के दौरान माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से घर में खुशहाली और समृद्धि का वास होता है।

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