
साल 2026 में पड़ने वाली किसी भी पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होगा और हर तिथि दिव्यता, पवित्रता और मानसिक संतुलन प्रदान करने वाली होगी। पूर्णिमा तिथि वह समय होती है जब चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ आकाश में उदित होकर समस्त वातावरण को शांत और सौम्य बना देता है। भारतीय परंपरा में यह तिथि धार्मिक अनुष्ठानों, व्रत, ध्यान, जप-साधना और दान के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। पूर्णिमा का उजास मन की अशांति को शांत करता है तथा चिंतन, ज्ञान, भक्ति और आत्मबल को सुदृढ़ बनाता है। चंद्रमा को मन का अधिष्ठाता माना जाता है, इसी वजह से किसी भी पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा तिथि का प्रभाव व्यक्ति की भावनाओं, मानसिक स्थिरता तथा आध्यात्मिक उन्नति पर विशेष रूप से होता है। इस दिन भगवान विष्णु तथा भगवान शिव की आराधना शुभ मानी जाती है। साल 2026 में कुल 12 पूर्णिमा तिथियां पड़ेंगी और हर एक पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व होगा। आइए जानें इन पूर्णिमा तिथियों के बारे में पंडित उमेश चंद्र पंत, संस्थापक पवित्र ज्योतिष से सभी पूर्णिमा तिथियों के बारे में और उनके महत्व के बारे में।
साल 2026 में चूंकि अधिक मास पड़ रहा है, इस वजह से पूरे साल में 13 पूर्णिमा तिथियां पड़ेंगी।ये सभी पूर्णिमा तिथियां धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करना भी विशेष रूप से फलदायी माना जाता है और यह दिन पूजा-अर्चना, व्रत, दान करने के लिए शुभ होता है। यही नहीं इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है, इसलिए चंद्रमा का पूजन और चंद्र को अर्घ्य देना बहुत शुभ होता है। साल 2026 की सभी पूर्णिमा तिथियों के बारे में आप भी जानकारी लें जिससे शुभ फलों की प्राप्ति हो सके।
| पूर्णिमा का नाम | तिथि और दिन |
| पौष पूर्णिमा | 3 जनवरी 2026, शनिवार |
| माघ पूर्णिमा | 1 फरवरी 2026, रविवार |
| फाल्गुन पूर्णिमा | 3 मार्च 2026, मंगलवार |
| चैत्र पूर्णिमा | 2 अप्रैल 2026, गुरुवार |
| वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) | 1 मई 2026, शुक्रवार |
| प्रथम ज्येष्ठ पूर्णिमा | 31 मई 2026, रविवार |
| द्वितीय ज्येष्ठ पूर्णिमा | 29 जून 2026, सोमवार |
| आषाढ़ पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) | 29 जुलाई 2026, बुधवार |
| श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन) | 28 अगस्त 2026, शुक्रवार |
| भाद्रपद पूर्णिमा | 26 सितंबर 2026,शनिवार |
| आश्विन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) | 26 अक्टूबर 2026, सोमवार |
| कार्तिक पूर्णिमा | 24 नवंबर 2026, मंगलवार |
| मार्गशीर्ष पूर्णिमा | 23 दिसंबर 2026, बुधवार |
पौष पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र तिथि कहा जाता है। इस तिथि पर किए गए स्नान, ध्यान और दान से मन शुद्ध होता है तथा तनाव दूर होता है। पौष मास की पूर्णिमा पारिवारिक संबंधों में सौहार्द लाती है और व्यक्ति को धैर्य प्रदान करती है। इस दिन चंद्रमा की पूर्ण आभा मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। धार्मिक नियमों का पालन अत्यंत शुभ माना गया है।
माघ पूर्णिमा तप, स्नान और दान का श्रेष्ठ पर्व माना जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर तीर्थ-स्नान करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। मनोवैज्ञानिक रूप से भी यह दिन एकाग्रता बढ़ाने वाला है। माघ मास की पूर्णिमा पर किया गया ध्यान और व्रत व्यक्ति को मानसिक दृढ़ता प्रदान करता है। दान-धर्म तथा सत्कर्म करने से जीवन में शुभ संकेत प्रबल होते हैं।

फाल्गुन पूर्णिमा उल्लास, पवित्रता और नवचेतना की प्रतीक है। इस तिथि को होली का पर्व होता है, अतः इसका धार्मिक महत्व अत्यंत व्यापक है। इस दिन किए गए जप-ध्यान से मन प्रसन्न होता है और पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है। फाल्गुन पूर्णिमा मानसिक तनाव को दूर कर सकारात्मक विचारों को जन्म देती है। यह दिन नए आरंभ को समर्थन देता है।
चैत्र पूर्णिमा धार्मिक रूप से अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस दिन पर हनुमान जी की आराधना करने का विशेष फल बताया गया है। यह तिथि साहस, निश्चय और आत्मबल को सुदृढ़ करती है। चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन स्नान-दान, व्रत और ध्यान मन की पवित्रता को बढ़ाते हैं। यह समय शुभ संकल्प लेने तथा नए कार्य आरंभ करने के लिए प्रेरक माना गया है।
वैशाख पूर्णिमा का संबंध ज्ञान, संयम और करुणा से जोड़ा जाता है। बौद्ध परंपरा में यह तिथि विशेष महत्व रखती है। इसे बुद्ध पूर्णिमा या श्री बुद्ध जयंती भी कहते हैं। इस दिन किए गए ध्यान से आत्म शांति प्राप्त होती है और मनोबल प्रबल होता है। वैशाख पूर्णिमा पर दान-धर्म का विशेष फल बताया गया है। यह तिथि मानसिक स्पष्टता, सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करती है। सौभाग्य में वृद्धि का संकेत देती है।

ज्येष्ठ मास की पहली पूर्णिमा जलदान और शिव-पूजन के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन मानसिक थकान दूर होती है और विचारों में स्पष्टता आती है। प्रथम ज्येष्ठ पूर्णिमा तनाव को कम कर आत्मविश्वास बढ़ाती है। धार्मिक आस्थाएँ मजबूत होती हैं तथा परिवारिक वातावरण में सामंजस्य बढ़ता है। इस समय किए गए व्रत और साधना मन को अत्यंत शांति प्रदान करते हैं। चूंकि अधिक मास या पुरुषोत्तम मास 17 मई से 15 जून 2026 तक रहेगा। इसलिए ज्येष्ठ महीने में दो पूर्णिमा तिथियां होंगी।
द्वितीय ज्येष्ठ पूर्णिमा मन के संतुलन और भावनात्मक शांति का प्रतीक है। इस दिन चंद्रमा की आभा मन को स्थिरता प्रदान करती है। स्नान-दान से शुभ फल प्राप्त होते हैं और मन की नकारात्मकता दूर होती है। यह तिथि व्यक्ति को शांत, संयमित और धैर्यवान बनाती है। घर-परिवार में सौहार्द बढ़ता है तथा मानसिक दृढ़ता विकसित होती है।
आषाढ़ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है, जो गुरु-भक्ति और ज्ञान का सर्वोच्च पर्व है। इस दिन गुरुजनों का आशीर्वाद जीवन को दिशा देता है। आषाढ़ पूर्णिमा अध्यात्म, विनम्रता और आत्मविकास को प्रबल करती है। इस दिन किया गया ध्यान मन को ऊँची अवस्था तक पहुँचाता है। यह समय सदाचार, कर्तव्य और अनुशासन का स्मरण करता है।
श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन का पावन पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और संरक्षण का प्रतीक है। धार्मिक दृष्टि से भी यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है। श्रावण मास की पूर्णिमा मन की शांति, सौम्यता और शुद्धता को बढ़ाती है। व्रत-उपवास तथा ध्यान व्यक्ति को मानसिक बल प्रदान करते हैं। यह दिवस परिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करता है।

भाद्रपद पूर्णिमा धार्मिक अनुष्ठानों और ध्यान के लिए अत्यंत पवित्र समय है। इस तिथि पर किया गया दान-धर्म पुण्य फल में वृद्धि करता है। भाद्रपद मास की यह पूर्णिमा मानसिक स्थिरता को बढ़ाती है और आत्मचिंतन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। यह दिन संबंधों में सौहार्द को प्रबल करता है। साधना से मनोबल और सकारात्मकता में वृद्धि होती है।
शरद पूर्णिमा वर्ष की सबसे उज्ज्वल पूर्णिमा मानी जाती है। मान्यता है कि इस रात चंद्रकिरणों में अमृत-तुल्य गुण होते हैं। इस तिथि पर ध्यान और जप विशेष प्रभावी माने जाते हैं। आश्विन मास की पूर्णिमा आरोग्य, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाली बताई गई है। यह दिवस मन को निर्मल बनाता है तथा शांति प्रदान करता है। इस दिन श्री वाल्मीकि जयंती भी है।
कार्तिक पूर्णिमा दीपदान, स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों का अत्यंत शुभ काल है। इस तिथि को देवताओं का प्रिय दिवस कहा गया है। कार्तिक मास की पूर्णिमा में दान-धर्म का विशेष फल बताया गया है। यह समय आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। जीवन में सौभाग्य और प्रसन्नता के संकेत बढ़ते हैं। इस दिन श्री गुरु नानक देव की जयंती भी है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक जागरण की प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना विशेष फल देती है। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा मन को शांत करती है और सकारात्मकता बढ़ाती है। यह तिथि शिक्षा, साधना और आत्मचिंतन के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। मानसिक संतुलन और आंतरिक सुख प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना गया है।
साल 2026 में 13 पूर्णिमा तिथियां होंगी और इन सभी का विशेष महत्व होगा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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