on which day durga saptashati path should be done

Durga Saptashati Path 2025: किस दिन, किस समय और कैसे करना चाहिए दुर्गा सप्तशती का पाठ?

Durga Saptashati Path Kaise Kare: दुर्गा सप्तशती का पाठ शुभ फलदायी होता है। खासकर, नवरात्रि के दिनों में इसके पाठ से मां की विशेष कृपा होती है और भक्तों की इच्छाएं पूरी करती हैं लेकिन, इसका शुभ फल पाने के लिए आपको इसे करने के सही तरीके के बारे में पता होना चाहिए। इसका पाठ करते वक्त किन नियमों का पालन जरूरी है, चलिए आपको बताते हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-09-24, 17:21 IST

नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। इन दिनों में भक्त मां को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष उपाय करते हैं। माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां सच्चे मन से की भक्तों की सभी प्रार्थनाओं को सुनती हैं और उनके बिगड़े काम बनाती हैं।मां दुर्गासप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का आशीर्वाद मिलता है। इस पाठ से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और भक्तों को प्रसन्नता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जीवन के बड़े से बड़े संकट को टालने में यह पाठ सहायक है। दुर्गा सप्तशती का पाठ अगर श्रद्धा और नियम के साथ किया जाए तो इस पाठ के माध्यम से नव दुर्गाओं को सिद्ध किया जा सकता है, लेकिन अक्सर लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कई गलतियां कर देते हैं जिसके कारण पाठ का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। उदाहरण के तौर पर, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि दुर्गा सताशाती का पाठ किस दिन करना चाहिए, किस समय करना चाहिए, किस विधि से करना चाहिए और किन नियमों के साथ करना चाहिए, इन सब चीजों के बारे में जाने बिना ही लोग पाठ करते हैं। आइये जानते हैं विस्तार से।

दुर्गा सप्तशती का पाठ कब करें? (When Should Be Durga Saptashati Path Done?)

When Should Be Durga Saptashati Path Done

दुर्गा सप्तशती का पाठ चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान करना चाहिए। इसके अलावा, दोनों गुप्त नवरात्रि के दौरान भी कर सकते हैं क्योंकि इन दोनों नवरात्रि में कलश स्थापना नहीं होती है, लेकिन माता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।

आप रोजाना भी जब नवरात्रि का पर्व न हो तब भी दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। वहीं, समय की बात करें तो नवरात्रि में सुबह सूर्योदय के दौरान और शाम को संध्याकाल के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ का पाठ करना उत्तम माना जाता है।

इसके अलावा, अगर सामान्य दिनों में कर रहे हैं आप दुर्गा सप्तशती का पाठ तो शाम के समय ही करें। ऐसा इसलिए क्योंकि सामान्य दिनों में संध्या के समय इस पाठ को करने से नव दुर्गाओं की ऊर्जा जागृत होती है और आपकी रक्षा करती है।

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दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें? (How Should Be Durga Saptashati Path Done?)

How Should Be Durga Saptashati Path Done

दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहते हैं तो विधिपूर्वक करें। अगर सुबह कर रहे हैं तो जल्दी उठकर स्नान कर लें। मां दुर्गा का ध्यान करें और आसन बिछाएं। आसान पर बैठकर सबसे पहले मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के नौ नामों का उच्चारण करें।

इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरकर अपने पास रखें और उस जल से संकल्प छोड़ें। फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करें। ध्यान रहे कि चाहे 1 ही पाठ करें लेकिन पूर्ण श्रद्धा से करें और इस बात का भी ख्याल रखें कि पाठ के दौरान सोएं नहीं।

इसके बाद जब पाठ पूरा हो जाए तो जल से पुनः संकल्प छोड़कर समापन करें। मां दुर्गा के नौ नामों का उच्चारण पुनः करें। फिर आसन पर से उठने से पहले उसे थोड़ा सा मोड़कर उसके नीचे थोड़ा जल छिड़कें तभी पाठ पूरा माना जाएगा।

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दुर्गा सप्तशती पाठ के क्या नियम हैं? (Rules Should Be Followed While Doing Durga Saptashati Path)

Rules Should Be Followed While Doing Durga Saptashati Path

दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे करने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। सर्वप्रथम, पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामनाओं को ध्यान में रखते हुए संकल्प लें।

पाठ की शुरुआत नवरात्र के पहले दिन से करनी चाहिए और पाठ करते समय पवित्र लाल वस्त्र धारण करें। दुर्गा सप्तशती को लाल चुनरी या वस्त्र से लपेट कर रखना चाहिए और पाठ एक ही बैठक में या नौ दिनों में पूरा करना चाहिए।

पाठ करते समय मौन रहें और केवल मंत्रों का उच्चारण करें। पाठ के दौरान ब्रह्मचर्य और स्वच्छता का ध्यान रखें, और शब्दों का स्पष्ट और लयबद्ध उच्चारण करें। पाठ शुरू करने से पहले देवी दुर्गा का ध्यान करें।

पाठ पूरा होने के बाद क्षमा प्रार्थना करके पाठ को उन्हें समर्पित करें। तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से बचें। लाल आसन पर बैठकर पाठ करें, और यह पाठ सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।

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FAQ
दुर्गा सप्तशती का पाठ कब करना चाहिए?
दुर्गा सप्तशती का पाठ चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्रि में करना चाहिए। दोनों गुप्त नवरात्रि में भी यह पाठ कर सकती हैं।
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