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Navratri Puja Vidhi 2025: नवरात्रि के दिनों में इस विधि से करें माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा, सदैव बनी रहेगी सुख-समृद्धि

Shardiya Navratri Puja Vidhi 2025: ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में यदि माता के विभिन्न स्वरूपों की सही विधि से पूजा की जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। आइए, जानते हैं नौ दिनों की पूजा विधि के विस्तृत चरण, जिससे आप माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-09-18, 18:20 IST

Chaitra Navratri Puja Vidhi 2025: नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति की उपासना का सबसे शुभ समय माना जाता है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पावन समय साधना, उपवास और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि यदि नवरात्रि के नौ दिनों में माता की सही विधि से पूजा की जाए, तो जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य की कमी नहीं होती।

नवरात्रि के दौरान घटस्थापना, अखंड ज्योति जलाना, देवी के मंत्रों का जाप, भोग अर्पण और कन्या पूजन जैसी विधियों का विशेष महत्व होता है। साथ ही, हर दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होता है। यदि पूजा विधि शास्त्रों के अनुसार की जाए, तो यह न केवल मनोकामनाओं की पूर्ति करती है बल्कि नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।

इस लेख में हम आपको चैत्र नवरात्रि 2025 की संपूर्ण पूजा विधि विस्तार से बताएंगे, जिससे आप इस पावन पर्व का पूरा लाभ उठा सकें और माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

नवरात्रि पहला दिन मां शैलपुत्री पूजा विधि

maa shailpurti puja vidhi

मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। इस दिन भक्त मां शैलपुत्री की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में स्थिरता और साहस प्राप्त करते हैं।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का पहला स्वरूप हैं। शैलपुत्री माता पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। इस दिन भक्त मां शैलपुत्री की आराधना कर उनके आशीर्वाद से जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि प्राप्त करने की कामना करते हैं।

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इस दिन की पूजा विधि के अनुसार आप सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करके, कलश की स्थापना करें। कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें,  इसके बाद मां का ध्यान करके उन्हें लाल वस्त्र, फूल, अक्षत, चंदन, और धूप-दीप अर्पित करें।

मां शैलपुत्री को सफेद फूल और विशेष रूप से गाय का घी चढ़ाएं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे भक्त के स्वास्थ्य में सुधार होता है और जीवन में समृद्धि आती है।

पूजा के अंत में मां शैलपुत्री की आरती करें और प्रसाद वितरण करें। भक्त इस दिन व्रत रखकर मां शैलपुत्री से अपने जीवन की समस्त परेशानियों का निवारण करने की प्रार्थना कर सकते हैं।

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नवरात्रि दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा विधि

brahmcharini mata puja

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। उनकी पूजा से संयम, ध्यान और तप की शक्ति मिलती है।
इस दिन  सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं। पूजा स्थल को साफ़ करें और मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
कलश के पास दीपक जलाएं और यदि आपने अखंड ज्योति लगाई है तो उसके आस-पास जल छिड़कें।
मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करके उन्हें आवाहन करें। मां का ध्यान करते समय यह मंत्र बोल सकते हैं - 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे'।
ब्रह्मचारिणी मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है। मां को विशेष रूप से कमल के फूल, चंदन, धूप, दीप, अक्षत और शुद्ध घी का दीपक अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और भोग में सफ़ेद चीजें अर्पित करें।

नवरात्रि तीसरा दिन मां चंद्रघंटा पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो शांति और सौम्यता का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से भय और नकारात्मकता दूर होती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का सिर पर अर्धचंद्र से सुशोभित रूप अत्यंत शक्तिशाली और शांतिदायक माना जाता है। मां के इस रूप में दस भुजाएं हैं, जिनमें उन्होंने विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण किए हैं और उनका वाहन सिंह है। यह रूप मां की शक्ति और उनके युद्ध कौशल का प्रतीक है। मां चंद्रघंटा की आराधना से साधक को शांति, साहस, और संकटों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

मां चंद्रघंटा पूजा विधि के रूप में पूजा के पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
कलश स्थापना: पूजा स्थल पर विधिपूर्वक कलश स्थापना करें। कलश में पवित्र जल, आम के पत्ते, और नारियल रखें।
मां चंद्रघंटा का ध्यान करके उन्हें पूजा में आमंत्रित करें। ध्यान करते समय 'ॐ देवी चन्द्रघंटायै नमः' मंत्र बोलें।
मां को लाल या सुनहरे वस्त्र अर्पित करें। उन्हें लाल फूल, धूप, दीप, चंदन और अक्षत चढ़ाएं। मां चंद्रघंटा को शहद का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
घंटा और शंख: मां चंद्रघंटा की पूजा में शंख और घंटा बजाना विशेष माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके वातावरण को शुद्ध करता है।
पूजा के बाद मां चंद्रघंटा की आरती करें और उनसे आशीर्वाद लें।

नवरात्रि चौथा दिन मां कूष्मांडा पूजा विधि

maa kushmanda

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जिनसे भक्तों को स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है।

मां कूष्मांडा को 'सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली' माना जाता है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। मां कूष्मांडा की पूजा से पहले स्नान कर शुद्ध करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
पूजा स्थल पर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें पुष्पों की माला और वस्त्र अर्पित करें।
पूजा के बाद मां कूष्मांडा की आरती करें और भजन गाएं। मां से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें।
पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा विधि

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। उनकी पूजा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माता की पूजा आपको यहां बताई विधि से करनी चाहिए-
पूजा से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके शुद्ध जल से शुद्ध करें।

पूजा स्थल पर माता स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। माता को सफेद या पीले फूलों की माला अर्पित करें, क्योंकि यह रंग माता को प्रिय हैं।
माता का ध्यान करें और निम्न मंत्र का जाप करें:'ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः'।मंत्र जाप करते समय माता का आह्वान करें और उनसे कृपा की प्रार्थना करें।
माता को चंदन, अक्षत, धूप, दीप और सफेद या पीले रंग के फूल अर्पित करें। माता स्कंदमाता को केले का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा के बाद माता की आरती करें और भजन गाएं। इस दिन माता की विशेष आराधना से जीवन में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा समाप्त होने पर प्रसाद सभी भक्तों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

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नवरात्रि के छठें दिन माता कात्यायनी की पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिनकी कृपा से भक्तों को प्रेम और विवाह में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन आप स्नान आदि से मुक्त होकर माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। माता को लाल या गुलाबी फूल अर्पित करें क्योंकि यह रंग उन्हें प्रिय हैं। माता कात्यायनी का ध्यान करते हुए माता के मन्त्रों का जाप करें। मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें और माता से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
माता को लाल वस्त्र, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, और गुलाबी या लाल फूल अर्पित करें। माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।
माता की आरती करें और उन्हें समर्पित भजन गाएं। उनकी आराधना से जीवन की सभी कठिनाइयां दूर होती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। पूजा के बाद प्रसाद सभी भक्तों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा विधि

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। उनकी पूजा से जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। माता कालरात्रि देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप के रूप में जानी जाती हैं। इनका नाम कालरात्रि इसीलिए पड़ा क्योंकि वे काले रंग की हैं और रात्रि की भांति अंधकार को समाप्त करती हैं।

माता कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और साधक को भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माता के पूजन के लिए पूजा स्थान पर माता कालरात्रि की प्रतिमा स्थापित करें। माता को लाल पुष्प विशेष रूप से प्रिय होते हैं, इसलिए उन्हें लाल पुष्प अर्पित करें।
पूजन के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में माता की आरती करने के बाद भोग अर्पित करें।

नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा विधि

maa gauri puja

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। माता महागौरी का स्वरूप श्वेत और अत्यंत शांत है, इसलिए इन्हें शुभता, शांति और पवित्रता की देवी माना जाता है।
माता का पूजन आरंभ करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके शुद्ध जल से पवित्र करें। पूजा के दौरान सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह माता महागौरी के पवित्र स्वरूप को दर्शाता है।
पूजा स्थल पर माता महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। माता को सफेद और पीले फूल विशेष रूप से प्रिय होते हैं, इसलिए उन्हें सफेद पुष्प अर्पित करें।
माता महागौरी की पूजा करते समय निम्न 'ॐ देवी महागौर्यै नमः' मंत्र का जाप करें।
पूजन समाप्त करके माता पार्वती की आरती करें और उनकी स्तुति में भजन गाएं। महागौरी की आराधना से मन को शांति और पवित्रता का अनुभव होता है। उनकी आरती में दीपक जलाकर सभी भक्त मिलकर आरती करें।
पूजा के बाद माता को भोग अर्पित करें और भक्तों को भी प्रसाद बांटें। 

नवरात्रि के नवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि

नवरात्रि के नवें दिन, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता सिद्धिदात्री, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं और सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां , ज्ञान और शक्तियों की प्राप्ति होती है। माता सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शुभ है और वे चार भुजाओं वाली होती हैं। इनका वाहन शेर है।
नवें दिन प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को स्वच्छ करके पवित्र जल से धो लें। सफेद वस्त्र पहनना माता सिद्धिदात्री की पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
पूजा स्थल पर माता सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें। माता को लाल, सफेद और पीले पुष्प अर्पित करें।

माता को फल, मिठाई, नारियल और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें। माता को भोग के रूप में हलवा और फल का प्रसाद अर्पित करना भी शुभ होता है।
 माता की आरती करें और भोग अर्पित करें।
नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन आठ या नौ कन्याओं को आमंत्रित करें और उन्हें भोजन कराएं। उन्हें नए वस्त्र, उपहार और दक्षिणा देकर सम्मानित करें। यह माता सिद्धिदात्री की विशेष कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय है।

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यदि हम नवरात्रि के नौ दिनों तक यहां बताई विधि के अनुसार पूजन करेंगे तो आपके जीवन में समृद्धि बनी रहेगी। 

FAQ
2025 में होने वाले चार प्रकार के नवरात्रि कौन-सी हैं?
2025 में चार नवरात्रि मनाई जाएंगी-चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, माघ गुप्त नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाती हैं।
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