इंटरनेट के इस युग में जानकारी पाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है सही जानकारी तक पहुंच पाना। खासकर सेहत को लेकर इंटरनेट पर तमाम तरह की भ्रामक जानकारियां मौजूद हैं, जोकि असल में बेहद खतरनाक साबित होती है। इसलिए इस बारे में सही जानकारी का होना आवश्यक है और हमारा यह आर्टिकल इसी दिशा में छोटा सा प्रयास है। दरअसल, ‘विश्व अस्थमा दिवस’ (World Asthma Day) के मौके पर हम अस्थमा से जुड़े मिथक को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।
गौरतलब है कि हर साल मई के पहले मंगलवार को ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में अस्थमा के खतरे और इसके इलाज के प्रति जागरूकता लाना है। यहां हम आपको अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैँ। बता दें कि हमने इस बारे में लखनऊ के पल्मोनोलॉजिस्ट (श्वसन रोग विशेषज्ञ) डॉ. संकेत भार्गव से बात की है और उनसे मिला जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं। तो चलिए जानते हैं अस्थमा से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में...
मिथक- लंबे समय तक अस्थमा की दवा लेने से इसका प्रभाव कम हो सकता है
सच्चाई- अस्थमा एक दीर्घकालिक समस्या या कह सकते हैं कि शारीरिक स्थिति है। ऐसे में इससे राहत पाने के लिए पीड़ित व्यक्ति को हमेशा दवा लेने की आवश्यकता हो सकती है। पर इसका यह मतलब नहीं है कि लंबे समय तक अस्थमा की दवा लेने से इसका प्रभाव कम हो जाएगा। देखा जाए तो अस्थमा की अलग-अलग दवाएं अलग-अलग तरीके से काम करती हैं। इनमें से कुछ दवाएं जहां तभी असरदार साबित होती हैं जब आप उनका रोजाना सेवन करते हैं। वहीं कुछ दवाओं को आप लक्षणों के घटने और बढ़ने के अनुसार ले सकते हैं।

मिथक- अस्थमा में शारीरिक गतिविधि और एक्सरसाइज खतरनाक होती है
सच्चाई- आमतौर पर माना जाता है कि अस्थमा में शारीरिक गतिविधि और एक्सरसाइज खतरनाक हो सकती है। ऐसे में अस्थमा से पीड़ित बच्चों को लोग बाहर खेलने से लोग रोकते हैं। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है, संयमित रूप से की गई शारीरिक गतिविधि अस्थमा के मरीजों को स्वस्थ रखने में मददगार होती है। हालांकि यह जरूर है कि अस्थमा के मरीजों को हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट और हैवी एक्सरसाइज से बचना चाहिए। जैसे कि रनिंग, हैवी वेट लिफ्टिंग और अधिक मेहनत वाले खेल के कारण सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि अस्थमा से पीड़ित लोग वॉक, स्वीमिंग, साइकलिंग और योग का अभ्यास करें।
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मिथक- इनहेलर नशे की लत की तरह है, जिसके एक बार प्रयोग से आदत लग जाती है
सच्चाई- इनहेलर के प्रयोग को आमतौर पर सेहत के लिए नुकसानदेह माना जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि इनहेलर कोई नशा नहीं है बल्कि अस्थमा के गंभीर अटैक में इनहेलर ही सबसे अधिक प्रभावी तरीके से काम करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्थिति में जब आप दवा लेते हैं तो वो पहले आंतों से अवशोषित होती है और फिर खून में पहुंचती है। वहीं इनहेलर के रूप में यह दवा सीधे वायु मार्ग में पहुंचती है।
मिथक- अस्थमा से पीड़ित लोग सामान्य जीवन नहीं जी सकते हैं
सच्चाई- अस्थमा के बारे में एक यह बड़ा भ्रम है कि इससे पीड़ित लोग सामान्य जीवन नहीं जी सकते हैं। जबकि असल में अगर अस्थमा के मरीज उचित देख-रेख और सावधानी बरतें तो इससे पीड़ित लोग भी काफी हद सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
अस्थमा से बचाव के लिए जरूरी है कि आप कुछ बातों का ध्यान रखें। जैसे कि प्रदूषित वातावरण से जितना हो सके बचें, धूम्रपान न करें, साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें, मौसमी एलर्जी से बचाव करें और तनाव को नियंत्रित रखने का प्रयास करें। इस तरह से कुछ सावधानियों का उचित ध्यान रखा जाए तो अस्थमा के रोगी भी लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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Image Credit: Freepik
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