हम सभी जानते हैं कि अच्छी नींद हमारे शरीर और दिमाग के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस स्थिति में आप सोते हैं, वह भी आपकी सेहत पर गहरा असर डाल सकती है? सिर्फ सोना ही काफी नहीं है, बल्कि सही तरीके से सोना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हमारी सोने की मुद्रा न केवल हमारी नींद की क्वालिटी को प्रभावित करती है, बल्कि पाचन, हृदय स्वास्थ्य, रीढ़ की हड्डी, श्वसन तंत्र और यहां तक कि मानसिक शांति पर भी असर डाल सकती है।
उदाहरण के लिए, बाईं करवट सोने से हृदय पर दबाव कम पड़ता है, रक्त संचार बेहतर होता है और पाचन तंत्र सुचारू रूप से काम करता है। वहीं, गलत मुद्रा में सोने से गर्दन और पीठ में दर्द, खर्राटे और यहां तक कि स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए भी सोने की सही स्थिति बेहद मायने रखती है, क्योंकि यह न केवल मां बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी लाभकारी होती है।
इस लेख में हम सभी प्रकार की सोने की स्थितियों के बारे में जानेंगे और यह समझेंगे कि बाईं करवट सोने पर शरीर में क्या बदलाव देखे जाते हैं।
फायदे: पीठ के बल सोना रीढ़ की हड्डी और गर्दन के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि यह शरीर के प्राकृतिक संरेखण को बनाए रखता है। इससे पीठ और गर्दन में दर्द की संभावना कम होती है। इसके अलावा, यह चेहरे पर झुर्रियों और फेशियल पिंपल्स से बचाने में मदद करता है, क्योंकि त्वचा तक ऑक्सीजन का प्रवाह सही बना रहता है और तकिए के साथ घर्षण कम होता है।
नुकसान: इससे खर्राटे लेने की संभावना बढ़ जाती है। इस मुद्रा में जीभ और ऊपरी श्वसन मार्ग पीछे की ओर ढल सकते हैं, जिससे वायुमार्ग अवरुद्ध हो सकता है और स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है।
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फायदे: पेट के बल सोने से खर्राटों की समस्या कम हो सकती है, क्योंकि यह सोने की ऐसी स्थिति है जो वायुमार्ग को खुला रखने में मदद कर सकती है। यह स्थिति उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है जो हल्की अपच या गैस की समस्या से जूझते हैं, हालांकि इसके प्रभाव व्यक्ति विशेष पर निर्भर करते हैं।
नुकसान: यह रीढ़ की हड्डी के लिए सबसे खराब स्थिति मानी जाती है। इससे गर्दन और पीठ में दर्द हो सकता है, क्योंकि सिर को एक तरफ मोड़कर सोना पड़ता है, जिससे मांसपेशियों पर अधिक तनाव पड़ता है। इसके अलावा, इस मुद्रा में सोने से फेफड़ों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
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फायदे: दाईं करवट सोने से पाचन तंत्र को लाभ मिल सकता है, जिससे अपच और गैस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यह मुद्रा भोजन को आंतों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाती है, जिससे पेट संबंधी परेशानियों में सुधार होता है। इसके अलावा, यह दिल की धड़कन को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकती है, जिससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।
नुकसान: इससे पेट का एसिड ऊपर की ओर आ सकता है, जिससे एसिडिटी और रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है। खासकर अगर कोई व्यक्ति भारी भोजन करने के तुरंत बाद इस मुद्रा में सोता है, तो एसिड वापस इसोफेगस (ग्रासनली) में पहुंच सकता है, जिससे सीने में जलन और असहजता महसूस हो सकती है।
फायदे: पाचन में सुधार, दिल की सेहत के लिए फायदेमंद, गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी।
नुकसान: लगातार इसी करवट में सोने से शरीर के एक तरफ अधिक दबाव पड़ सकता है, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित हो सकता है और मांसपेशियों में जकड़न या अकड़न की समस्या हो सकती है।
बाईं ओर सोने को वैज्ञानिक रूप से सबसे अधिक फायदेमंद माना जाता है। यहां इसके प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
जब हम बाईं ओर सोते हैं, तो हमारा पेट और अग्न्याशय सही स्थिति में रहते हैं, जिससे पाचन बेहतर होता है। इस मुद्रा में पेट का एसिड और एंजाइम भोजन को अच्छी तरह पचाने में मदद करते हैं, जिससे एसिडिटी और कब्ज की समस्या कम होती है।
हमारा हृदय शरीर के बाईं ओर स्थित होता है, और जब हम बाईं करवट सोते हैं, तो रक्त प्रवाह सुचारू बना रहता है। इससे हृदय पर दबाव कम पड़ता है और वह अधिक कुशलता से कार्य करता है। बाईं करवट सोने से पाचन में सुधार होता है, पेट में गैस की समस्या कम होती है और शरीर को विश्राम का अधिक लाभ मिलता है। यह नींद की गुणवत्ता बढ़ाने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है। वहीं, साल 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि कुछ लोगों को दोनों तरफ सुलाकर रिजल्ट्स देखे गए। जब प्रतिभागी अपनी दाहिनी ओर सोये तो ईसीजी गतिविधि में लगभग कोई परिवर्तन नहीं पाया गया। उन्होंने पाया कि बाईं ओर सोने से हृदय की गति बदल जाती है और उस पर दबाव कम पड़ा।
जो लोग एसिड रिफ्लक्स या गैस से परेशान रहते हैं, उन्हें बाईं ओर सोने की सलाह दी जाती है। इससे पेट का एसिड ऊपर नहीं आता और भोजन सही तरीके से पचता है। इससे एसिड रिफ्लक्स और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) से पीड़ित लोगों को मदद मिल सकती है। 2022 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन में पाया गया कि बाईं करवट सोने से एसिड का जोखिम काफी कम होता है और दाईं करवट सोने की तुलना में एसोफैगल क्लीयरेंस तेजी से होता है।
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गर्भावस्था के दौरान बाईं करवट सोना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है और गर्भ में पल रहे शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। यह मुद्रा गर्भाशय पर दबाव कम करती है, जिससे किडनी बेहतर कार्य कर पाती हैं और शरीर से विषैले तत्व आसानी से बाहर निकलते हैं। इसके अलावा, बाईं करवट सोने से सूजन कम होती है और मां के हृदय पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
बाईं ओर सोने से न केवल हृदय और पाचन तंत्र को लाभ मिलता है, बल्कि यह श्वसन तंत्र के लिए भी फायदेमंद होता है। इस स्थिति में गले की मांसपेशियां सही स्थिति में रहती हैं, जिससे खर्राटे और स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं कम होती हैं। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिन्हें सोते समय सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, यह रीढ़ की हड्डी को संरेखित रखने में मदद करता है, जिससे पीठ दर्द की समस्या भी कम हो सकती है।
दाईं करवट सोने के भी कुछ फायदे हैं, लेकिन अधिकांश स्वास्थ्य विशेषज्ञ बाईं करवट सोने को ज्यादा फायदेमंद मानते हैं। यह न केवल पाचन और हृदय के लिए अच्छा है, बल्कि आपके स्वास्थ्य को पूर्ण रूप से बेहतर कर सकता है। आपकी हेल्थ पर इससे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि आपको एसिडिटी, हाई ब्लड प्रेशर या हृदय संबंधी समस्या है, तो बाईं ओर सोना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा।
यदि आप अपनी नींद की क्वीलिटी सुधारना चाहते हैं तो बाईं ओर सोने की आदत डालें। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आएगी। इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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