रात को नाभि में तिल का तेल डालने से क्या होता है? महिलाओं की इस समस्या का है समाधान

क्या आपको पता है कि नाभि में तिल का तेल डालने के कितने फायदे हैं? इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पीरियड पेन में आपको दर्द से राहत दिला सकता है।
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नाभि सिर्फ शरीर का एक हिस्सा नहीं, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य का केंद्र माना जाता है। वहीं, आयुर्वेद के अनुसार नाभि में तेल डालना सेहत के लिए बेहद लाभकारी माना गया है। यह कोई नई खोज नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा है जिसे आधुनिक जीवनशैली में फिर से अपनाया जा रहा है।

नीम, सरसों, नारियल जैसे कई प्रकार के तेलों को नाभि में डालने से शरीर को अलग-अलग प्रकार के फायदे मिल सकते हैं। आयुर्वेद मानता है कि नाभि केवल शरीर का केंद्र नहीं, बल्कि यह ऊर्जा, पाचन और त्वचा स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक नसों से जुड़ी होती है।

अब इसी तरह रात में सोने से पहले नाभि में तिल का तेल लगाने के कई फायदे हैं। यह विशेषकर महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द, हार्मोनल असंतुलन, रूखी त्वचा और कब्ज जैसी समस्याओं में नाभि में तिल का तेल लगाना राहत दे सकता है।

देहरादून स्थित केरला वेदा में आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर और डॉक्टर अरविंद गुप्ता ने बताया कि नाभि में तिल का तेल डालने से शरीर को गर्माहट मिलती है, जिससे यूटेरस की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं। आइए लेख में विस्तार से इसके फायदे समझें।

आयुर्वेद के अनुसार नाभि में तिल का तेल लगाने का फायदा

आयुर्वेद में नाभि को ‘नाभि मर्म’ कहा गया है जो शरीर के सभी प्रमुख नाड़ियों से जुड़ी होती है। यह शरीर का केंद्रबिंदु है और यहां से तंत्रिका तंत्र, पाचन और प्रजनन से जुड़ी कई नसें गुजरती हैं।

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तिल का तेल शरीर में गर्मी पैदा करता है और गहराई तक जाकर कोशिकाओं को पोषण देता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और ऐंटीस्पास्मोडिक गुण दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

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पीरियड पेन से राहत में कैसे मदद करता है तिल का तेल?

तिल का तेल शरीर को अंदर से गर्म करता है जिससे यूटेरस की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और क्रैम्प्स कम होते हैं। नाभि पर इसे लगाने से रक्त प्रवाह तेज होता है जिससे पीरियड्स के दौरान ब्लॉकेज या जकड़न दूर होती है। नियमित इस्तेमाल से शरीर के हार्मोनल फ्लो में संतुलन बना रहता है जिससे पीएमएस के लक्षण भी कम हो सकते हैं।

तेल में सेसमिन और सेसमोलिन दो प्राकृतिक लिग्नान्स हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और हार्मोनल फ्लक्चुएशन को संतुलित करने में मदद करते हैं। जब हार्मोन्स असंतुलित होते हैं तो चेहरे पर मुंहासे और पिग्मेंटेशन हो सकता है। नाभि में तिल का तेल लगाने से आंतरिक संतुलन बनता है जिससे स्किन भी बेहतर दिखती है।

तिल का तेल नाभि में कब और कैसे लगाएं?

रात को सोने से पहले तिल का तेल लगाना सबसे उचित समय माना जाता है। उस वक्त शरीर पूरी तरह शांत होता है, और त्वचा द्वारा अवशोषण की प्रक्रिया भी बेहतर ढंग से होती है। इसके अलावा रातभर का समय तेल को पूरी तरह से असर दिखाने का अवसर देता है।

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जब आप नींद में होते हैं, तब शरीर की मरम्मत और संतुलन की प्रक्रिया सक्रिय होती है। इसलिए तिल का तेल नाभि में लगाकर सोना, शरीर के अंदरूनी संतुलन में मदद कर सकता है।

कैसे लगाएं-

  • नाभि और उसके आसपास की त्वचा को गीले कपड़े से हल्के हाथों से साफ कर लें। इससे त्वचा के पोर्स खुलेंगे और तेल अच्छी तरह अवशोषित होगा।
  • तिल का तेल सीधा फ्रिज या बोतल से न लें। उसे हल्का गुनगुना कर लें (आप चाहें तो चम्मच में तेल लेकर मोमबत्ती के ऊपर 5 सेकंड गर्म कर सकते हैं)।
  • गुनगुना तेल त्वचा में जल्दी समाता है और शरीर को सुखद गर्माहट देता है।
  • अब नाभि में 2–3 बूंदें तिल के तेल की डालें। अगर त्वचा बहुत ड्राय है तो 4–5 बूंदें भी ली जा सकती हैं।
  • उंगलियों से हल्के गोल-गोल घूमते हुए नाभि और उसके आसपास की जगह पर धीरे-धीरे 2–3 मिनट तक मालिश करें। इससे रक्तसंचार बढ़ेगा और तेल अच्छी तरह समा जाएगा।
  • तेल लगाने के बाद सीधे पीठ के बल लेट जाएं ताकि तेल बहकर बाहर न आए और सही तरीके से अवशोषित हो सके।
  • सप्ताह में 2–3 बार तिल का तेल लगाना काफी है। लेकिन यदि आपको पीरियड्स के दौरान ऐंठन, मूड स्विंग या नींद न आने की समस्या होती है, तो उन दिनों हर रात इसका उपयोग करें।

किन लोगों को तिल का तेल नाभि में नहीं लगाना चाहिए?

  • अगर आपको तिल से एलर्जी है तो इसका उपयोग न करें।
  • यदि नाभि में कोई कट, घाव या रैश हो तो तेल लगाने से जलन हो सकती है।
  • गर्भवती महिलाएं इसका प्रयोग डॉक्टर से पूछकर करें क्योंकि गर्म प्रभाव के कारण कभी-कभी असहजता हो सकती है।

तिल का तेल सिर्फ एक आयुर्वेदिक उपाय नहीं, बल्कि यह शरीर को भीतर से संतुलन और पोषण देने वाला एक सरल घरेलू उपचार है। खासकर महिलाओं के लिए यह पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं में एक प्राकृतिक राहत का जरिया बन सकता है।

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Image Credit: Freepik

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