क्या डायबिटीज के कारण आपके पैरों के तलवे हमेशा जलन से तपते रहते हैं? यह परेशानी सिर्फ पैरों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि नींद, मूड और रोजमर्रा की जिंदगी पर भी असर डालती है। ऐसे में जब आम उपाय असर नहीं करते और मन में सवाल उठता है कि आखिर क्या किया जाए? तब अपनी सदियों पुरानी चिकित्सा आयुर्वेद मददगार साबित हो सकती है। पादाभ्यंग (तेल से मालिश), कांस्य कटोरा मसाज, ठंडी जड़ी-बूटियों का लेप और धारा जैसे आयुर्वेदिक तरीके पैरों की जलन को शांत कर सकते हैं, नसों को पोषण देते हैं और शरीर को भीतर से राहत पहुंचाते हैं। ये सारी चीजें कैसे काम करती हैं और इससे क्या फायदे हो सकते हैं? इसके बारे में हमें डॉक्टर दीक्षा भावसार बता रही हैं। डॉक्टर दीक्षा, आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स ब्रांड द कदंब ट्री की फाउंडर और BAMS (Bachelor of Ayurveda Medicine) हैं।
यह पारंपरिक आयुर्वेदिक फुट मसाज है, जो डायबिटीज के कारण पैरों में हो रही जलन के लिए सबसे असरदार चिकित्सा है। गाय के घी, कैस्टर ऑयल या बला/चंदन/क्षीरबला तैलम से हल्की मालिश करने से यह नसों को अंदर से पोषण देता है और जलन कम होती है। यह बढ़े हुए पित्त और वात दोषों को बैलेंस करता है। अच्छे रिजल्ट के लिए, कांस्य के कटोरे से धीरे-धीरे मालिश करें, जो पैरों को ज्यादा ठंडक देता है, उन्हें जमीन से जोड़ता है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है।
ठंडक, हाइड्रेशन और नसों की राहत के लिए ताजा एलोवेरा जेल का इस्तेमाल करें। पैरों के तलवों पर सीधे ताजा एलोवेरा जेल लगाने से ठंडा प्रभाव मिलता है, जो डायबिटीज में अनुभव होने वाली जलन को शांत करता है। एंटी-ऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर, एलोवेरा नसों को शांत करने, सूजन को कम करने और त्वचा के हाइड्रेशन को सपोर्ट करता है। इसे रेगुलर लगाने से न सिर्फ असुविधा कम होती है, बल्कि यह ड्राईनेस और न्यूरापैथिक जटिलताओं को कम करके पैरों की हेल्थ का ध्यान रखता है और लचीलापन भी बढ़ाता है।
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गर्मी को शांत करने के लिए चंदन, उशीर, लोध्र, मंजिष्ठा का लेप लगाएं।
लेप पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा है, जिसका इस्तेमाल पैरों में जलन से राहत के लिए किया जाता है। चंदन, उशीर, लोध्र, मंजिष्ठा जैसे तत्वों का सावधानीपूर्वक तैयार किया गया लेप सीधे तलवों पर लगाया जाता है, जो ठंडा और सूदिंग असर होता है, साथ ही त्वचा और नसों को पोषण देता है। नियमित रूप से लगाने से बढ़े हुए पित्त और वात दोष शांत होते हैं, सूजन कम होती है और डायबिटीज से परेशान महिलाओं के पैरों की हेल्थ को भी सही रखता है।
धारा शास्त्रीय आयुर्वेदिक उपचार है, जिसमें शरीर के विशिष्ट हिस्से पर लगातार तरल की धारा धीरे-धीरे डाली जाती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी में जलते तलवों के लिए तक्र धारा (छाछ/मट्ठा), दुग्ध धारा (दूध) या क्षीरबला तेल (औषधीय तेल) विशेष रूप से असरदार होते हैं। ये चिकित्साएं बढ़े हुए पित्त और वात दोष को शांत करती हैं और पैरों की नसों और टिश्यु को ठंडा, पौष्टिक और सूदिंग असर देती हैं, जिससे जलन, बेचैनी और असुविधा से राहत मिलती है।
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आयुर्वेद के कोमल स्पर्श से आप भी पैरों की जलन को शांत करें और तलवों को आराम दें। सही जीवनशैली और पारंपरिक उपचारों के माध्यम से स्थायी राहत संभव है। आपके पैरों को आराम, मजबूती और उपचार की जरूरत है, क्योंकि हर कदम मायने रखता है।
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