क्या एसिडिटी और सीने में जलन आपके रोजमर्रा के जीवन को मुश्किल बना दिया है? क्या खाते ही पेट में भारीपन, खट्टी डकारें या गले तक जलन का एहसास आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है? यदि हां, तो आप अकेले नहीं हैं। एसिड रिफ्लक्स, जिसे ज्यादातर लोग एसिडिटी या सीने में जलन के नाम से भी जानते हैं, आज के समय में एक आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। यह न सिर्फ शारीरिक परेशानी देती है, बल्कि इसका मानसिक स्वास्थ्य और कार्यक्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।
आज हम आपको 3 ऐसे ही असरदार उपाय बता रहे हैं, जो एसिडिटी और सीने में जलन जैसी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इनके बारे में हमें वूमेन हेल्थ, वेलनेस और वेट लॉस कोच Ranjana kumain बता रही हैं।
एसिडिटी और सीने में जलन के कारण
आमतौर पर हम एसिडिटी और सीने में जलन का मुख्य कारण अपने खान-पान को ही मानते हैं और यह काफी हद तक सही भी है। ज्यादा मसालेदार, तला हुआ, फैटी फूड, जंक फूड, चाय-कॉफी और कार्बोनेटेड ड्रिंक आदि लेने और सही समय पर भोजन न करने और भोजन के तुरंत बाद लेटने जैसी आदतों से पेट में एसिड की समस्या बढ़ जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, हमारी आधुनिक लाइफस्टाइल भी इसमें जरूरी भूमिका निभाती है। तनाव, चिंता, भागदौड़, भरपूर नींद न लेने और फिजिकल एक्टिविटी की कमी डाइजेस्टिव सिस्टम पर नकारात्मक असर डालती है। जब हम तनाव में होते हैं, तब हमारा शरीर "फाइट या फ्लाइट" मोड में चला जाता है, जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम धीमा हो जाता है और पेट में एसिड का स्राव भी ठीक तरह से नहीं होता है। स्मोकिंग और अल्कोहल लेने से भी समस्या गंभीर हो जाती है।
इसके लक्षणों में मुख्य रूप से चेस्ट के निचले हिस्से या गले में जलन, खट्टा पानी मुंह में आना, पेट फूलना, गैस बनना, अपच और कभी-कभी मितली या उल्टी का एहसास होना शामिल है। यदि इसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाए, तो यह गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है।
बाजार में उपलब्ध एंटासिड और अन्य दवाएं तुरंत राहत तो दे सकती हैं, लेकिन ये समस्या की जड़ पर काम नहीं करती हैं। परमानेंट समाधान के लिए हमें लाइफस्टाइल में बदला और नेचुरल उपायों को आजमाना होगा। प्राणायाम, एक्यूप्रेशर और मुद्रा ऐसे ही कुछ शक्तिशाली प्राचीन उपाय हैं, जो न सिर्फ लक्षणों को कम करते हैं, बल्कि डाइजेस्टिव सिस्टम को अंदर से मजबूत बनाते हैं।
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शीतकारी प्राणायाम
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह प्राणायाम शरीर में शीतलता प्रदान करता है। एसिडिटी और सीने में जलन जैसी समस्याएं शरीर में बढ़े हुए पित्त दोष के कारण होती है। इस गर्मी को शीतकारी प्राणायाम शांत करता है, जिससे तुरंत राहत महसूस होती है। साथ ही, यह डाइजेस्टिव सिस्टम को सही रखता है, मन को भी शांति प्रदान करता है और तनाव कम करता है।
विधि
- कमर सीधी करके किसी भी आरामदायक ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
- अपने दांतों को हल्के से मिलाएं और होंठों को खोलें।
- अब दांतों के बीच से 'सी-सी' की ध्वनि करते हुए धीरे-धीरे और गहरी सांस अंदर भरें।
- सांस भरने के बाद मुंह बंद कर लें और नाक से धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।
- इस प्राणायाम को 5-10 बार दोहराएं।
सावधानियां: जिन्हें सर्दी, जुकाम, खांसी या लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो, उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
P6 एक्यूप्रेशर पॉइंट
एक्यूप्रेशर प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें शरीर के कुछ स्पेशल पॉइंट पर प्रेशर डालकर रोगों का उपचार किया जाता है। P6 बिंदु, जिसे 'नेई गुआन' भी कहा जाता है, सीने में जलन, मितली और उल्टी के लिए काफी असरदार पॉइंट माना जाता है। यह पेट को शांत करता है और बेचैनी को कम करता है।
विधि
- यह पॉइंट आपकी कलाई के अंदरूनी हिस्से में होता है।
- अपनी कलाई की क्रीज से तीन उंगलियों की चौड़ाई (तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को मिलाकर) नीचे आएं।
- यह पॉइंट दोनों टेंडन (मसल्स को हड्डी से जोड़ने वाली नसें) के बीच में मिलेगा।
- इस पॉइंट पर अपने अंगूठे या तर्जनी से हल्का प्रेशर डालें और 2-3 मिनट तक सर्कुलर मोशन या ऊपर-नीचे मालिश करें।
- इसे दूसरी कलाई पर भी दोहराएं। आप इसे दिन में कई बार या आवश्यकतानुसार कर सकती हैं।
अपान वायु मुद्रा
अपान वायु मुद्रा विशेष रूप से डाइजेशन को सुधारने, गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करने और शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करती है। इसे 'हृदय मुद्रा' भी कहा जाता है, क्योंकि यह दिल के लिए भी फायदेमंद है और कभी-कभी सीने में जलन के लक्षण दिल की परेशानी जैसे लगते हैं। यह मुद्रा शरीर में 'अपान वायु' को कंट्रोल करती है, जो नीचे की ओर बहने वाली ऊर्जा है और मल-मूत्र, गैस आदि के निकलने के लिए जिम्मेदार है। इसे रेगुलर करने से गैस, एसिडिटी, ब्लोटिंग और कब्ज जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
विधि
- इसे करने के लिए पीठ सीधी करके बैठ जाएं।
- हाथों को घुटनों पर रखें।
- अपनी इंडेक्स फिंगर को मोड़कर अंगूठे के बेस पर लगाएं।
- फिर, अपनी मीडिल फिंगर और रिंग फिंगर के पोरों को अंगूठे के पोरों से मिलाएं।
- इस मुद्रा को करते समय छोटी फिंगर सीधी होनी चाहिए।
- इस मुद्रा को दोनों हाथों से करें।
एसिडिटी और सीने में जलन को सिर्फ एक मामूली परेशानी समझकर नजरअंदाज न करें। इन उपायों को धैर्य और नियमितता से आजमाएं और शरीर को नेचुरली हेल्दी होने का अनुभव कराएं। याद रखें, "हेल्दी डाइजेशन से लाइफ हेल्दी रहती है।" आज ही इन उपायों को अपनाएं और फर्क महसूस करें।
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Image Credit: Shutterstock & Freepik
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