फिट रहने के लिए हम सभी वर्कआउट करते हैं और इस दौरान कई तरह की एक्सरसाइज को उसमें शामिल करते हैं। अमूमन जिम में वर्कआउट करते हुए लोग स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करना पसंद करते हैं। यह आपकी बॉडी को अधिक टोन करने से लेकर मसल्स बिल्डिंग में मददगार है। अधिकतर लोग अपनी मसल्स को बिल्डअप करने के लिए स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग आपकी मसल्स के साथ-साथ हड्डियों के लिए भी बेहद फायदेमंद है।
जब आप नियमित रूप से वर्कआउट के दौरान स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करते हैं तो यह आपकी हड्डियों को अधिक मजबूत बनाता है। इससे ना केवल हड्डियों की डेंसिटी बेहतर होती है, बल्कि उम्र बढ़ने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को खतरा भी काफी कम हो जाता है। साथ ही साथ, इससे बॉडी बैलेंस भी इंप्रूव होता है, जिससे गिरने और फ्रैक्चर होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है। स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग कई मायनों में हड्डियों के लिए फायदेमंद है। तो चलिए आज इस लेख में ब्लॉसम योगा के फाउंडर, फिटनेस एक्सपर्ट और योगविशेषज्ञ जितेन्द्र कौशिक आपको बता रहे हैं कि स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग आपकी हड्डियों को किस तरह फायदा पहुंचा सकती है-
जब आप स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करते हैं तो इससे बोन डेंसिटी बूस्ट होती है। दरअसल, जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हड्डियां स्वाभाविक रूप से घनत्व खोना शुरू कर देती हैं। यही वजह है कि उम्र बढ़ने के साथ ही हड्डियाँ अधिक कमज़ोर हो जाती हैं। लेकिन जब आप स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करते हैं तो यह प्रोसेस काफी स्लो हो जाता है। यहां तक कि स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग से इसे रिवर्स करने में भी मदद मिलती है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करने से बोन डेंसिटी बेहतर होती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को रोकने में भी मदद मिलती है। बोन डेंसिटी बेहतर होने से फ्रैक्चर होने का खतरा भी काफी कम हो जाता है।
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स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग आपकी ज्वॉइंट कार्टिलेज को भी हेल्दी बनाए रखने में मदद करती है। दरअसल, ज्वॉइंट कार्टिलेज से आपकी मसल्स अधिक मजबूत बनती है। जब आपकी मसल्स मज़बूत होती हैं, तो वे आपके ज्वॉइंट्स को सहारा देती हैं और उन्हें प्रोटेक्ट करती हैं। स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग आपके ज्वॉइंट्स पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालती है, लेकिन फिर भी यह कार्टिलेज को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
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स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करने का एक फायदा यह भी होता है कि इससे आपका बॉडी बैलेंस और को-ऑर्डिनेशन बेहतर होता है। जब बॉडी बैलेंस इंप्रूव होता है तो इससे आपके गिरने या चोट लगने का खतरा काफी कम हो जाता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को फ्रैक्चर या हड्डी से संबंधित समस्याएं कम होती हैं। इस तरह स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग बोन हेल्थ को फायदा पहुंचा सकती है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है, बोन मास तेजी से लॉस होने लगता है। खासकार महिलाओं को मेनोपोज के बाद यह समस्या अधिक होती है। लेकिन अगर आप नियमित रूप से स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करती हैं तो इससे यह प्रोसेस काफी धीमा हो सकता है। जिसका सीधा सा अर्थ है कि उम्र बढ़ने के बाद भी आपकी हड्डियां दूसरों की अपेक्षा अधिक मजबूत होती है।
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