Lord Vishnu And Demon: भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की भक्ति से भक्त हर वो चीज प्राप्त कर सकता है जिसकी वो इच्छा रखता है। बस भक्ति सच्ची होनी चाहिए।
यूं तो भगवान विष्णु के कई ऐसे भक्त हैं जिनके बारे में कथाओं के रूप में हमने कभी न कभी सुना ही है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जिसके मुताबिक, एक पिशाच ने विष्णु भक्ति कर श्री हरि नारायण से दिव्य वरदान प्राप्त किया था।
- हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह कथा बद्रीनाथ धाम क्षेत्र के क्षेत्रपाल देवता यानी कि घंटाकर्ण पिशाच की है। घंटाकर्ण वो था जिसने पिशाच योनी में जन्म लिया था। घंटाकर्ण भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) का परम उपासक था और उन्हीं की भक्ति में खोया रहता था।
- गौर करने वाली बात यह है कि घंटाकर्ण शिव भक्त था लेकिन उसे भगवान विष्णु के नाम से भी नफरत थी। उसका मानना था कि जो भी हैं महादेव ही हैं और भगवान विष्णु कुछ भी नहीं। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि घंटाकर्ण को भगवान विष्णु से सर्वोच्च स्तर का बैर था।

- जब भी कोई उसके आसपास भगवान विष्णु के नामा का जाप करता तो वह खीज जाता। एक बार बैर बढ़ते-बढ़ते इतना बढ़ गया कि उसने विष्णु नाम की ध्वनि से बचने के लिए अपने कानों में घंटे लटका लिए जिससे जब भी कोई भगवान विष्णु का नाम ले तो उसका स्वर घंटों की आवाज में दब जाए।
- भगवान विष्णु के नाम से चिढ़ने वाले घंटाकर्ण को पिशाच योनी से मुक्ति पा कर मोक्ष की अभिलाषा थी। जिसके लिए उसने महादेव की तपस्या की लेकिन जब उसकी भक्ति से प्रसन्न हो कर महादेव प्रकट हुए तो उन्होंने घंटाकर्ण की इच्छा को पूर्ण करने से मना कर दिया।

- महादेव ने इसके पीछे का कारण बताते हुए घंटाकर्ण को कहा कि एक की भक्ति और दूसरे का अनादर उचित आचरण नहीं है। भगवान विष्णु महादेव के आराध्य हैं और ऐसे में उनके आराध्य का अपमान उन्हें सहन नहीं।
- महादेव ने घंटाकर्ण को भगवान विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण) की भक्ति का मार्ग दिखलाते हुए कहा कि केवल के वही घंटाकर्ण को मोक्ष प्रदान कर सकते हैं। जितनी श्रद्धा से घंटाकर्ण ने भगवान शिव की भक्ति उतनी ही श्रद्धा से उसने भगवान शिव के कहने पर श्री हरि नारायण को ध्याया।
- जिसके बाद भगवान विष्णु ने घंटाकर्ण को दर्शन देते हुए यह आशीर्वाद दिया कि वह पिशाच योनी से मुक्त हो जाएगा और उसे मोक्ष की प्राप्त होगी। साथ ही, भगवान विष्णु ने उसे यह भी वरदान दिया कि इस घटना के बाद से वह बद्रीनाथ धाम का क्षेत्रपाल होगा और जो भी कोई उसके दर्शन किये बिना बदरीनाथ धाम में प्रवेश करेगा उसकी यात्रा सफल नहीं मानी जाएगी।
तो ये था भगवान विष्णु द्वारा एक पिशाच को दिया गया दिव्य वरदान। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Pinterest, Herzindagi
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