अगर शर्ट का एक बटन गलत तरीके से बंद किया जाए, तो सारे बटन गलत बंद होते हैं। कई बार हमारी इस सीख को लाइफ लेसन देने के लिए यूज किया जाता है। अब बटन है ही इतनी कमाल की चीज जिसे ना सिर्फ सस्टेनेबल फैशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि इससे लाइफ लेसन भी दिए जा सकते हैं। पर क्या आपको पता है कि बटन आखिर आया कहां से? हां, ये बिल्कुल वैसा ही सवाल है जैसा नींद ना आने पर रात में दो बजे दिमाग में चलता है। हम आप तक रोजमर्रा की चीजों से जुड़ा इतिहास पहुंचाते हैं और इसी कड़ी में आज बताने जा रहे हैं बटन के बारे में।
क्या आपको पता है कि बटन का आविष्कार भारत में हुआ था? इसका कोई ठोस साक्ष्य नहीं है, लेकिन माना जाता है कि हड़प्पा की खुदाई के दौरान इतिहासकारों को बटन जैसी आकृतियां मिली थीं। हमारी मॉर्डन लाइफस्टाइल की बात करें तो सबसे ज्यादा फंक्शनल चीजों में से एक बटन ही होगा। तो चलिए आज आपको बटन के बारे में ही कुछ रोचक बातें बताते हैं।
सिंधु घाटी में हुआ था बटन का आविष्कार
जैसा कि हमने बताया इसका आविष्कार 2000BCE के आस-पास माना जाता है। इतना पुराना बटन कर्व्ड शेल से बना हुआ था। सबसे पहले बटन को सजावट का सामान माना जाता था। ये कपड़ों को होल्ड करने की जगह गहनों की तरह माने जाते थे।
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इनमें बस छोटे-छोटे छेद होते थे जिनमें धागे डाले जाते थे और कपड़ों से अटैच किया जाता था। इसे भी सिलाई का एक तरीका ही माना जाता था। उस दौर में बटन्स अधिकतर जियोमेट्रिक पैटर्न्स में बनते थे।
इसी दौरान रोमन साम्राज्य में भी लोग बटन जैसी चीजों का इस्तेमाल कर रहे थे। रोम में इन्हें पिन्स के जरिए कपड़ों में अटैच किया जाता है।
इस दौरान बटन होल बस एक हुआ करते थे। सजावट के सामान से लेकर फंक्शनल बटन बनने तक बहुत समय लगा, लेकिन आखिर ये मेनस्ट्रीम हो गए।
रोम में हुआ था फिबुला का आविष्कार
फिबुला को सेफ्टी पिन का एक पुराना वर्जन माना जाता है। बटन्स को कपड़ों पर लगाने के लिए इसका आविष्कार हुआ था। शुरुआती दौर में बटन लकड़ी, जानवरों के सींग और मेटल आदि के बना करते थे और उन्हें कपड़ों पर अटैच करने के लिए कोई मजबूत सोर्स चाहिए था। इसलिए ही इसका आविष्कार हुआ था।
जर्मनी में बना था मॉर्डन बटन
भले ही सिंधु घाटी और रोम में शुरुआती बटन्स बन रहे थे, लेकिन उसका असली उपयोग जर्मनी से शुरू हुआ था। डिजाइन्स आदि में जियोमेट्री के पैटर्न अब भी चल रहे थे, लेकिन अब हम आ चुके थे 13वीं सदी में।
जर्मनी में ही मॉर्डन बटन को बनाया गया और इसमें मौजूद छेद के जरिए इन्हें कपड़ों पर धागों से सिला गया। अब ये आभूषण की जगह एक जरूरत बन चुका था। 14वीं सदी आते-आते बटन जर्मनी से ट्रैवल कर यूरोपीय देशों में पहुंच गया था।
रॉयल कपड़ों की शान बना बटन
जब ये यूरोपीय देशों में बढ़ा तो इसपर रॉयल परिवारों की नजर पड़ी। उस वक्स बटन फंक्शनल बन गया था और महिलाओं की ड्रेसेज में आने लगा था और पुरुषों की स्लीव्स का हिस्सा बन गया था। इसी के साथ, इसे लोगों के कपड़ों में लगाया जाने लगा। 16वीं सदी तक फ्रांस में बटन मेकर्स ने इसे और स्टाइलिश बनाना शुरू किया। जो लोग अमीर थे वो अपने कपड़ों पर ज्यादा बटन लगवाने लगे।
गरीब लोगों के कपड़ों में बटन काफी कम लगते थे। इसके बाद इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन आया जिसने बटन को आम बना दिया।
20वीं सदी तक आते-आते प्लास्टिक ने अपनी जगह बना ली थी और बटन की कीमत और गिर गई। इसलिए बटन्स एक जरूरत बन गए।
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आखिर बटन को क्यों कहते हैं बटन?
क्योंकि यूरोप में बटन को मॉर्डन रूप दिया गया था इसलिए इसे नामकरण भी उन्हीं भाषाओं के समावेश से हुआ। फ्रेंच शब्द bouton या boton से मिलकर ये बना। इसका मतलब था पुश करना या जोर लगाना। मॉर्डन बटन भी यही काम करता था जहां वो कपड़ों को पुश कर शरीर को और आकर्षक बनाता था। यही वजह है कि धीरे-धीरे इसका नाम बटन पड़ गया।
तो कैसी लगी आपको बटन की हिस्ट्री? अगर आप ऐसे ही किसी और चीज के बारे में जानना चाहें, तो उसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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