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काजू कतली से बर्फी तक... क्यों लगाई जाती है मिठाइयों पर सोने-चांदी की परत? ये वजहें बताती हैं वर्क का असली मतलब

जब हम किसी मिठाई की दुकान में जाते हैं, तो सबसे पहले हमारी नजर काजू कतली, बर्फी या लड्डू पर चमकती चांदी की परत पर ही पड़ती है। ये देखने में तो काफी सुंदर लगती है, लेकिन इसके पीछे एक गहरी परंपरा, इतिहास और मान्यता जुड़ी है। इस परत को Vark कहा जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-10-24, 12:30 IST

आप जब भी किसी मिठाई की दुकान में जाती हैं, तो काउंटर पर सजी काजू कतली, बर्फी और लड्डू अपनी चमक से ही मन मोह लेती होंगी। इन मिठाइयों पर जड़ी पतली-सी चांदी या सोने की लेयर देखने में तो काफी सुंदर लगती है, लेकिन इसका मतलब सिर्फ सजाने से कहीं ज्यादा है। इस चमकदार लेयर को वर्क कहा जाता है, जो भारत की सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और शुद्धता का प्रतीक है।

पुराने समय में इसे शाही रसोइयों में इस्तेमाल किया जाता था, जिससे मिठाइयां राजसी दिखें। वहीं आयुर्वेद में भी सोने और चांदी के गुणों को शरीर और मन के लिए फायदेमंद माना गया है। आज भी त्योहारों, पूजा और खास मौकों पर वर्क लगी मिठाइयां जरूर घर में मंगाई जाती हैं। आज हम आपको इसके इत‍िहास और फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं -

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क्या है वर्क और इसे कैसे बनाया जाता है?

वर्क यानी खाने लायक सोने और चांदी से बनी पतली लेयर। इसे हथौड़े से पीटकर बहुत बारीक बनाया जाता है ताकि ये हवा में उड़ने जितनी हल्की हो जाएं। अब ज्यादातर वर्क पौधों से बने सिंथेटिक शीट्स में तैयार किए जाते हैं, ताकि परंपरा भी बनी रहे और किसी की भावना भी आहत न हो।

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क्या वर्क खाना सुरक्षित है?

FSSAI के अनुसार, खाने लायक सोना या चांदी अगर 99.9% प्‍योर है, तो ये शरीर के लिए हानिकारक नहीं हो सकता है। ये शरीर में एब्‍जॉर्ब नहीं होता और खाने के बाद मल के रास्‍ते पेट से बाहर न‍िकल जाता है। बस ध्यान देने की जरूरत है क‍ि वर्क में निकेल, लेड या कॉपर जैसी चीजें न मिलाई गईं हों।

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कैसे शुरु हुई इसे बनाने की परंपरा?

आपको बता दें क‍ि वर्क लगाने की शुरुआत मुगल काल में हुई थी। उस दौरान राजा-नवाब अपने खाने को खास और शाही दिखाने के लिए मिठाइयों पर सोने-चांदी की परत चढ़वाते थे। धीरे-धीरे ये परंपरा आम घरों तक पहुंच गई और काजू कतली पर वर्क त्योहारों की पहचान बन गया। उस समय इसे शान और मेहमाननवाजी का प्रतीक माना जाता था। अब आपको ज्‍यादातर म‍िठाइयाें पर ये वर्क देखने को म‍िलेगा। ब‍िना वर्क के म‍िठाइयां अधूरी मानी जाती हैं।

आयुर्वेद में भी होता इस्‍तेमाल

आयुर्वेद में भी सोने और चांदी दोनों का इस्‍तेमाल दवा के रूप में क‍िया जाता है। चांदी को ठंडक देने वाली और शरीर को शांत रखने वाली माना गया है। वहीं सोने को एनर्जी, ताकत और लंबी उम्र का प्रतीक माना गया है। त्योहारों और पूजा के समय वर्क लगी मिठाइयों को भगवान को प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है। चांदी की चमक को शुद्धता और रोशनी का प्रतीक माना गया है। सोना मां लक्ष्मी और समृद्धि का संकेत है। इसलिए दि‍वाली, जन्माष्टमी या ईद पर वर्क वाली मिठाई देना शुभ माना जाता है।

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अगली बार आप जब भी म‍िठाई खरीदने जाएं और उन पर ये वर्क देखें तो समझ जाएं ये शान और मेहमाननवाजी का प्रतीक है। साथ ही अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- Freepik/Ai generated

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