आजकल युवाओं की सोच पुराने लोगों की सोच से थोड़ी अलग है। जहां पहले एक साथ रहने का चलन था, वहीं अब सब अपनी-अपनी जिंदगी जी रहे हैं। बता दें कि इन दिनों एक शब्द काफी ट्रेंड में है, जिसका नाम है को-लिविंग। कुछ लोग इसे जॉइंट फैमिली मे रहने जैसा समझते है, पर ऐसा नहीं है। ऐसे में लोग कंफ्यूज हो गए हैं कि को-लिविंग क्या होता है और यह जॉइंट फैमिली से कैसे अलग है। यदि आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो यह लेख आपके लिए है। हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि को-लिविंग क्या होती है। जानते हैं कोच और हीलर, लाइफ अल्केमिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी तुगनैत (Dr. Chandni Tugnait) से...
क्या है को-लिविंग?
यह एक तरीके की रहने की व्यवस्था है, जिसमें लोग रहते तो एक घर में हैं, लेकिन वे एक दूसरे को जवाब देने के लिए पाबंद नहीं होते हैं। जी हां, ना तो कोई किसी के फैसले पर दखल देता है और ना ही किसी के फैसले पर सवाल उठाता है।
हालांकि, को-लिविंग में रहते वक्त किचन और बड़ा एरिया शेयर कर सकते हैं। वहीं सब मिलकर खर्च भी करते हैं।
जॉइंट फैमिली और को-लिविंग में अंतर?
- अगर जॉइंट फैमिली और को-लिविंग को और आसान भाषा में समझा जाए तो बता दें कि जॉइंट फैमिली में एक मुखिया होता है, वह सभी फैसलों को लेता है और दूसरे सदस्य उन फैसलों को मानते हैं। जबकि, को-लिविंग में ऐसा नहीं होता है। इसमें कोई भी मुखिया नहीं होता है। वहीं, रहने वाले सदस्य एक समान होते हैं। कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता है।
- जॉइंट फैमिली में लोग मिलजुलकर रहते हैं और फैसला भी मिलकर लेते हैं। जॉइंट फैमिली में सब मिलकर खर्चा भी उठाते हैं। वहीं, अगर परिवार में किसी एक को भी परेशानी है तो दूसरा व्यक्ति न केवल उससे सवाल पूछ सकता है बल्कि सामने वाला जवाब देने के लिए पाबंद होता है।
- को-लिविंग में जरूरी नहीं है कि हम केवल खून के रिश्तों के साथ ही रहें। इसमें पुराने दोस्त या स्ट्रेंजर्स के साथ भी रह सकते हैं।
को-लिविंग में रहने के फायदे क्या हैं?
जब लोग अकेले रहते हैं तो इससे न केवल खर्च बढ़ता है बल्कि लोग अकेलापन भी महसूस करते हैं। को-लिविंग का एक फायदा ये है कि दोस्तों के साथ आधा-आधा खर्च बांट सकते हैं।
इससे अलग कमरा, अपना बड़ा स्पेस भी मिलता है। ऐसे में जो लोग अपना कुछ अलग भी करना चाहते हैं तो वे को-लिविंग में रह कर कर सकते हैं।
कैसे करें को-लीविंग में रहने वाले लोगों का पता?
आजकल कई ऐसी एप्स और वेबसाइट मौजूद हैं, जिनके माध्यम से लोग को-लिविंग स्पेस ढ़ूंढ़ सकते हैं। साथ ही इन पर को-लिविंग में रहने के लिए पार्टनर्स भी आसानी से मिल जाते हैं। जो लोग अपना शहर छोड़ कर बड़े शहरों में नौकरी के लिए आते हैं, वे लोग को-लिविंग में रहकर अपने करियर की शुरुआत करते हैं। बता दें कि मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे जैसी जगहों पर ये काफी ट्रेंड पर हैं।
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