भारत में द कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) सरकार की वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। CAG की मुख्य जिम्मेदारी अपनी रिपोर्ट तैयार करना है, जो सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के खातों और खर्चों की स्वतंत्र जांच करता है। CAG रिपोर्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि सरकारी धन का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं। आइए जानते हैं कि CAG रिपोर्ट क्या है, इसे कैसे तैयार किया जाता है, इसे कौन तैयार करता है और इसके पेश होने के बाद क्या होता है?
CAG रिपोर्ट क्या है?
CAG रिपोर्ट एक आधिकारिक दस्तावेज हैं, जिसे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General - CAG) द्वारा तैयार किया जाता है। इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य सरकार के वित्तीय लेन-देन, खर्चों, राजस्व और नीतियों के कार्यान्वयन को ऑडिट करना होता है। इसके बाद, इस रिपोर्ट को संसद और विधानसभाओं में पेश किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 तक CAG को ऑडिट करने और रिपोर्ट पेश करने का अधिकार दिया गया है। CAG केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के खातों की जांच करता है।
जांच में, CAG द्वारा देखा जाता है कि कौन-से साल किस मद में कितना पैसा खर्च किया गया है। अगर पैसों के लेन-देन में किसी भी तरह की गड़बड़ी या वित्तीय अनियमितताएं दिखाई देती हैं, तो इसे CAG उजागर करता है। इसके अलावा, CAG केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जो भी नीतियां और योजनाएं लागू की जाती हैं, उनके प्रभाव का मूल्यांकन भी करता है।
इसे भी पढ़ें - राष्ट्रपति शासन कब और क्यों लगाया जाता है...इस दौरान राज्य में कैसे होता है सारा काम
कैग रिपोर्ट कैसे तैयार की जाती है?
CAG रिपोर्ट को तैयार करने की प्रक्रिया एक निर्धारित और विस्तृत तरीके से की जाती है, जिससे सरकारी वित्तीय जांच में निष्पक्षता और सटीकता बनी रहती है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में महत्वपूर्ण चरण शामिल होते हैं-
ऑडिट क्षेत्र का चयन
CAG उन मंत्रालयों, विभागों, योजनाओं और परियोजनाओं की पहचान करता है, जिनका ऑडिट जरूरी होता है। ऑडिट क्षेत्र का चयन जोखिम, वित्तीय महत्व और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर किया जाता है। ऑडिट तीन तरह के होते हैं- वित्तीय रिपोर्ट, प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट और अनुपालन रिपोर्ट।
डेटा और डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करना
ऑडिट क्षेत्र का चयन करने के बाद उससे संबंधित वित्तीय रिकॉर्ड, लेन-देन के डॉक्यूमेंट्स, रसीदें और नीतियों से जुड़े कागजात सरकारी ऑफिस से इकट्ठा किए जाते हैं। जरूरत पड़ने पर ऑडिट टीम जगह का दौरा भी कर सकती है।
जांच और विश्लेषण
डेटा को इकट्ठा करने के बाद, उसकी बारीकी से जांच की जाती है ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी, नियमों का उल्लंघन होने का पता चल सके। इसके लिए, आजकल मॉडर्न ऑडिटिंग टेक्निक्स और सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल किया जाता है।
ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करना
जांच और विश्लेषण के बाद एक प्राइमरी रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें ऑडिट के मुख्य निष्कर्ष और संभावित मुद्दों का उल्लेख किया जाता है। यह रिपोर्ट संबंधित सरकारी विभागों को उनके स्पष्टीकरण देने के लिए भेजी जाती है।
जवाबों की समीक्षा
सरकारी विभाग ऑडिट कमेंट्स पर अपना पक्ष रखता है। CAG उनके जवाबों की समीक्षा करता है और अगर जवाब से संतुष्ट होता है, तो रिपोर्ट में बदलाव किया जाता है। अगर संतुष्ट नहीं होता है, तो गड़बड़ियों के साथ अंतिम रिपोर्ट तैयार कर दी जाती है। CAG की अंतिम रिपोर्ट में सरकारी विभाग के जवाबों और CAG के निष्कर्षों को प्रस्तुत किया जाता है। इस रिपोर्ट में खासतौर पर वित्तीय अनियमितताओं, नीतिगत कमियों और प्रशासनिक खामियों को दर्शाया जाता है।
CAG रिपोर्ट कौन तैयार करता है?
वैसे तो CAG रिपोर्ट भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और उनकी टीम द्वारा तैयार की जाती है। इस प्रोसेस में अनुभवी लेखा परीक्षक, वित्तीय विशेषज्ञ और कानून विश्लेषक भी शामिल होते हैं, जो सरकारी वित्तीय रिकॉर्ड की जांच और एनालिसिस करते हैं। इसके अलावा, हर राज्य में राज्य महालेखाकार होता है, जो राज्य सरकार के खातों और खर्चों की जांच में सहायता करता है।
इसे भी पढ़ें - जानिए कब और किन लोगों को दी जाती है 21 तोपों की सलामी?
CAG रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद क्या होता है?
एक बार जब CAG रिपोर्ट बन जाती है, तो CAG इस रिपोर्ट को सबसे पहले भारत के राष्ट्रपति या संबंधित राज्य के राज्यपाल के सामने पेश करता है। इसके बाद, CAG रिपोर्ट को संसद या राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाता है। वहीं, CAG रिपोर्ट की समीक्षा मुख्य रूप से संसद की समितियों द्वारा की जाती है, जिनमें Public Accounts Committee (PAC) और Committee on Public Undertakings (COPU) शामिल हैं। ये समितियां रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों का विश्लेषण करती हैं, संबंधित अधिकारियों से सफाई मांगती हैं और सुधार के लिए सिफारिशें देती हैं।
समितियों की सिफारिशों के आधार पर, सरकार सुधारात्मक कदम उठाती है। जिन सरकारी विभागों की जांच की जाती है, उन्हें अपने खर्चों को साबित करना होता है, नीतिगत कमियों को दूर करना होता है औरसाथ ही, उन्हेंनए नियम लागू करने पड़ सकते हैं। अगर CAG रिपोर्ट में बड़े घोटालों या भ्रष्टाचार का पता चलता है, तो कानूनी कार्रवाई भी की जाती है।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों