दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली के भीतर प्रोटेस्ट किया जा रहा है। बीते शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था। गिरफ्तारी से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री को ईडी द्वारा अरेस्ट मेमो पढ़कर सुनाया गया था। क्या आपको अरेस्ट मेमो के बारे में पता है कि यह क्या होता है। अरेस्ट मेमो नियम को लेकर हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीतेश पटेल से बात की, अरेस्ट मेमो क्या होता है और इसे गिरफ्तारी के दौरान पेश करना क्यों जरूरी होता है। अरेस्ट मेमो विषय पर बात करने के दौरान एडवोकेट नीतेश पटेल ने बताया कि "अरेस्ट मेमो के अंदर व्यक्ति के गिरफ्तारी की तारीख, वजह, स्थान के बारे में लिखा होता है।"
जानिए क्या है अरेस्ट मेमो
क्या आपने कभी सोचा है कि आम-आदमी और किसी व्यक्ति विशेष के गिरफ्तारी को लेकर क्या कानून बनाए गए हैं। आपको बता दें, कि आम आदमी की तरह किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए विशेष प्रकार के नियम और प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करते समय ईडी की तरफ से अरेस्ट मेमो पढकर सुनाया गया था। अरेस्ट मेमो को तहत व्यक्ति को किन वजहों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है इन सभी बातों का वर्णन होता है।
गिरफ्तारी के वक्त क्यों जरूरी होता है अरेस्ट मेमो
बिना किसी वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। आपको बता दें कि पुलिस या किसी जांच एंजेसी द्वारा जब किसी आरोपी का आरोप साबित होता है और उसे गिरफ्तार करने किया जाता है। उस दौरान उस व्यक्ति को अरेस्ट मेमो पढ़ने के लिए दिया जाता है। अरेस्ट मेमो में गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति के आरोप, समय और डेट लिखी होती है। अरेस्ट मेमो में दो गवाहों के साइन भी होते हैं। (रेंटल लॉ)
इन नियमों के तहत हुई मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी
संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार सिविल मामले को लेकर किसी भी मुख्यमंत्री को अरेस्ट व हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। केवल अपराधिक मामले में गिरफ्तारी संभव है।
इस प्रोसिजर के तहत हुई मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी
आपको बता दें कि कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के अनुसार, सीएम एवं विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी जाती है। अपराधिक मामले के तहत मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी करने के लिए पहल विधानसभा के अध्यक्ष की परमिशन लेनी पड़ती है। वहीं दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रावधान के अनुसार, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को देश के किसी भी व्यक्ति विशेष को अरेस्ट करने की शक्ति प्रदान है, जिसके बदले उन्हें अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है।
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