भारतीय कानून में धोखाधड़ी से शादी करने को गंभीर अपराध माना जाता है। धोखाधड़ी से शादी को "फ्रॉड मैरिज" भी कहा जाता है। धोखाधड़ी से शादी करने का मतलब होता है कि शादी को लेकर शादीशुदा व्यक्ति ने झूठ या छल किया है, जैसे कि उसने अपनी पहचान, परिवार का बैकग्राउंड, शादीशुदा होने का दावा, आदि में फेरबदल की है।
धोखाधड़ी से शादी को विवाह कानून (Hindu Marriage Act, 1955, Special Marriage Act, 1954 और अन्य नियमों के तहत अवैध घोषित कर सकता है और इसकी नैतिकता और कानूनी संरक्षण के लिए कार्रवाई की जा सकती है। Special Marriage Act (एसएमए), 1954 भारतीय कानून है, जो अलग-अलग धर्मों या जातियों के लोगों के शादी के लिए कानूनी सुरक्षा देता है। यह किसी नागरिक की शादी को कंट्रोल करता है, जहां अलग होने पर भी राज्य, धर्म, जाति के होने पर भी शादी को मंजूरी देता है।
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अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है, तो वे कानून का सहारा ले सकते हैं। वह थाने में शिकायत दर्ज करा सकते हैं और जांच प्रक्रिया की मांग करवा सकते हैं। वहीं, अगर जांच प्रक्रिया के बाद साबित होता है कि शादी के दौरान धोखाधड़ी की गई है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इसमें शादी को अवैध घोषित किया जा सकता है और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इसी तरह, धोखाधड़ी से शादी करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील पंकज शुक्ला बताते हैं कि भारत में धोखे से शादी करना एक अपराध है। अलग-अलग कानून इस अपराध को परिभाषित करते हैं और इसके लिए सजा का प्रावधान करते हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 के मुताबिक किसी व्यक्ति को धोखा देकर शादी करना एक अपराध है। अगर कोई व्यक्ति धोखाधड़ी, छल या बल का इस्तेमाल करके किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करता है, तो उसे 7 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। वहीं, धारा 495 के मुताबिक कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा होने के बावजूद किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करता है, तो उसे 10 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत धारा 12(1)(c) में अगर कोई व्यक्ति धोखाधड़ी या छल करके शादी करता है, तो शादी को शून्य घोषित किया जा सकता है। वहीं, धारा 12(1)(d) के तहत अगर कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा होने के बावजूद किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करता है, तो शादी को शून्य घोषित किया जा सकता है।
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ऐसे में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 12 के मुताबिक एक हिंदू पुरुष को यह अधिकार दिया गया है कि अगर उसकी पत्नी शादी से पहले किसी दूसरे पुरुष से गर्भवती थी तो ऐसी स्थिति में विवाह को शून्यकरणीय घोषित किया जा सकता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत, धोखे से शादी करना "तलाक-ए-तफवीज" का आधार हो सकता है। इसका मतलब है कि धोखाधड़ी से शादी करने वाला व्यक्ति तलाक ले सकता है और उसे शादी के दौरान खर्च किए गए पैसे वापस मिल सकते हैं।
किसी व्यक्ति को यह बताकर शादी करना कि आप अविवाहित हैं, जबकि आप पहले से शादीशुदा हैं। किसी व्यक्ति को यह बताकर शादी करना कि आप किसी विशेष धर्म या जाति के हैं, जबकि आप नहीं हैं। किसी व्यक्ति को यह बताकर शादी करना कि आप बच्चे पैदा कर सकते हैं, जबकि आप नहीं कर सकते हैं।
धोखे से शादी करने वाला व्यक्ति कानूनी कार्रवाई का सामना कर सकता है, जिसमें कैद और जुर्माना शामिल है। धोखाधड़ी से शादी करने वाला व्यक्ति शादी को शून्य घोषित करवा सकता है। धोखाधड़ी से शादी करने वाला व्यक्ति तलाक ले सकता है और उसे शादी के दौरान खर्च किए गए पैसे वापस मिल सकते हैं।
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