जब भी हम अपने घर को डिजाइन करते हैं तो उसमें पूजा स्थान अवश्य बनाते हैं। यह पूजा स्थान या पूजा का कमरा बेहद ही पवित्र माना जाता है, क्योंकि इसमें हमारे आराध्य मौजूद होते हैं। यह वह स्थान है, जहां पर बैठकर आपको सुकून का अहसास होता है। साथ ही साथ, इससे पूरे घर में एक सकारात्मकता का संचार होता है।
इसलिए, जब हम अपने पूजा रूम को डिजाइन करते हैं तो हर छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखते हैं। लेकिन इस दौरान अगर वास्तु के नियमों का ध्यान ना रखा जाए तो ऐसे में आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। अक्सर यह देखने में आता है कि हम पूजा रूम बनाते समय अनजाने में ही कुछ वास्तु मिस्टेक्स कर बैठते हैं।
तो चलिए आज इस लेख में वास्तुशास्त्री डॉ. आनंद भारद्वाज आपको कुछ ऐसी ही वास्तु मिस्टेक्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें हम पूजा रूम डिजाइन करते समय कर बैठते हैं-
कई बार जब हम मंदिर को डिजाइन करते हैं तो उसमें कई सारे देवी-देवताओं की मूर्ति को वहां पर रखते हैं। इतना ही नहीं, एक ही देवी या देवता की भी दो या तीन मूर्तियां रखते हैं। हालांकि, ऐसा करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता है।
कई बार हम अपने पूजा रूम को अधिक भव्य बनाने के लिए बहुत अधिक मेटल का इस्तेमाल करते हैं। मसलन, चांदी के छत्र से लेकर मंदिर को चांदी से कवर करवाते हैं। लेकिन वास्तु के अनुसार पूजा रूम में बहुत अधिक धातु का इस्तेमाल करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।
कोशिश करें कि आप अपने पूजा रूम में लकड़ी का इस्तेमाल करने की कोशिश करें। वहीं, प्लास्टिक या पीवीसी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।(प्लास्टिक फर्नीचर से जुड़े वास्तु टिप्स)
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पिछले कुछ वक्त से पत्थर का मंदिर बनाने का चलन भी काफी बढ़ गया है। ऐसा करने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन आप कोशिश करें कि आप बहुत अधिक भारी पत्थर का इस्तेमाल करने से बचें। आप मंदिर बनाने के लिए मार्बल पत्थर का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन वह भी बहुत अधिक भारी ना हो।
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घरों में अक्सर पूजा रूम बनाते समय हम वेंटिलेशन पर ध्यान नहीं देते हैं, जिससे पूजा के दौरान आपको सफोकेशन हो सकती है। इसलिए, जब भी आप पूजा रूम डिजाइन करवाएं तो यह अवश्य ध्यान रखें कि आप पूजा रूम में एग्जॉस्ट फैन या छोटी खिड़की(खिड़कियों से जुड़े वास्तु टिप्स)अवश्य बनाएं। इसे मंदिर के पूर्व या उत्तर दिशा में बनवाना काफी अच्छा माना जाता है।
कई बार जब हम घर में मंदिर बनवाते हैं और वह बहुत अधिक बड़ा होता है तो हम वहां पर दरवाजा बनाते हैं। लेकिन जब आप मंदिर के लिए दरवाजा डिजाइन करते हैं तो उसे भी सही तरह से बनाना आवश्यक होता है। मसलन, मंदिर में दरवाजा दो पल्ले का होना चाहिए, एक पल्ले का नहीं।
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कई बार हम मंदिर को डिजाइन करते समय उसे भव्य बनाना चाहते हैं और ऐसे में बहुत बड़ी मूर्ति को वहां पर रखते हैं। लेकिन आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि मंदिर में मूर्ति नौ इंच से बड़ी नहीं होनी चाहिए। ध्यान रखें कि इस नौ इंच में भगवान के छत्र और उसके आसन को नहीं गिना जाता है।(पूजा घर से जुड़े वास्तु टिप्स)
तो अब आप भी पूजा रूम डिजाइन करते समय इन छोटी-छोटी मिसटेक्स से बचें।
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