हिंदू धर्म में कई तरह के धार्मिक चिन्हों को महत्व दिया गया है। उनमें से स्वास्तिक भी एक ऐसा चिन्ह है जो प्राचीन काल से हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है। इस चिन्ह को हिंदू परिवार में बेहद शुभ और पवित्र माना गया है।
वास्तु शास्त्र में भी स्वास्तिक के महत्व की व्याख्या मिलती है। इस विशेष चिन्ह का अर्थ भी 'शुभ' होता है। इसे भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है। घर में किसी भी पूजा से पहले स्वास्तिक बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। स्वास्तिक की पूजा करने का अर्थ है, भगवान गणेश की पूजा करना।
वास्तु में स्वास्तिक का केवल धामिर्क महत्व ही नहीं बताया गया है, बल्कि यह भी बताया गया है कि स्वास्तिक को सही रंग, दिशा और तरीके से बनाने पर घर में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवेश होता है।
खासतौर पर घर के मंदिर में स्वास्तिक बनाने के कुछ नियम और कायदे होते हैं, जो हमें उज्जैन के ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्री पंडित कैलाश नारायण बताते हैं-
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स्वास्तिक बनाते वक्त न करें ये गलतियां
- घर के मंदिर में जब आप स्वास्तिक बना रही हों तो उसे बनाने के लिए पहले क्रॉस न बनाएं। अमूमन लोग ऐसा ही करते हैं, क्योंकि यह तरीका उन्हें आसान दिखता है। मगर वास्तु के हिसाब से इसे अशुभ माना जाता है।
- अगर आप घर के मंदिर (घर के मंदिर में भूल से भी न रखें ये 5 चीजें) में स्वास्तिक बना रहे हैं तो आपको पहले इसका दायां भाग बनाना चाहिए। बाएं भाग से स्वास्तिक को बनाने की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। मगर साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि कभी भी स्वास्तिक को उल्टा न बनाएं।
- स्वास्तिक टेढ़ा भी नहीं होना चाहिए क्योंकि इसे भी वास्तु के हिसाब से बहुत ही बुरा माना गया है।

मंदिर में इस तरह बनाएं स्वास्तिक
- हल्दी और कुमकुम के अलावा आप गोबर का स्वास्तिक भी बना सकती हैं। गोबर का स्वास्तिक आप रोज सुबह घर के मंदिर में बनाएं। इससे आपके घर और परिवार के सदस्यों को नजर नहीं लगती है। मंदिर के अलावा आप घर के मेन गेट पर भी गोबर का स्वास्तिक बना सकती हैं। गोबर का स्वास्तिक बनाने के बाद उसकी पूजा भी करें।
- घर के मंदिर की फर्श पर आप छोटी सी रंगोली बना सकती हैं और इस रंगोली (10 मिनट में बनने वाली रंगोली डिजाइन)में स्वास्तिक बना सकती हैं। पुजा खत्म करने के बाद खुद से इस रंगोली को न हटाएं और जब यह रंगोली बिगड़ जाए तो इसकी सामग्री को तुलसी के गमले में डाल दें। ऐसा करने से घर के सभी वास्तुदोष दूर हो जाते हैं।
- अगर आपके घर-परिवार में कोई सदस्य लंबे वक्त से बीमार है तो आपको हल्दी और कुमकुम का स्वास्तिक घर के मंदिर के मुख्य द्वारा पर रोज बनाना चाहिए। इसके साथ ही आपको उस पर कलावा भी चढ़ाना चाहिए। इस कलावे को बाद में आप बीमार सदस्य के हाथों में बांध सकती हैं।
- आप घर के मंदिर में मिट्टी से भी स्वास्तिक बना सकती हैं। आपको मिट्टी से बने स्वास्तिक बाजार में खूब मिल जाएंगे। इससे घर में फैली दरिद्रता दूर होती है। अगर आपको किसी बात का तनाव रहता है या घर में किसी बात का कलेश रहता है तो वह भी दूर हो जाता है।
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मंदिर में किस दिश में बनाएं स्वास्तिक
यह बात पहले भी बताई जा चुकी है कि वास्तु के हिसाब से घर में मंदिर रखने कि दिशा ईशान कोण या उत्तर दिशा होनी चाहिए। अगर आपके मंदिर में स्वास्तिक बनाने की जगह नहीं है तो जिस दीवार से मंदिर सटा हुआ है उस दीवार पर हल्दी से पीले रंग का स्वस्तिक बनाना चाहिए। इससे घर में सुख और शांति बनी रहती है।
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